पीएम मोदी किसान से संवाद के दौरान यह बताना भुल गए कि किस आशय से आवश्यक वस्तु अधिनियम में भंडारण करने की इतनी भारी छूट दिया है, क्या अदानी और अंबानी ग्रुप के द्वारा अनाज के भंडारण पर खर्च किए भारी भरकम रकम को ध्यान में रखकर दिया गया है।
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कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से खरीदे गए अनाज को भंडारण की आवश्यकता होगी और इस कारण मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करके अपने पूंजीपति मित्रों के लिए खुला खेत फर्रुखाबादी करके रख दिया है जिससे पूंजीपति होर्डिंग करके कालाबाजारी को बढ़ा सके।
देश के बुद्धिजीवी और पढ़े लिखे जमात को इन तीन काले कृषि कानून के जरिए गुमराह नहीं कर सकते है और इससे बचने के लिए मोदी सरकार संसद में इन कानूनों को लेकर बहस कराने का साहस तक दिखा नहीं सके।
हालांकि कि किसान आंदोलन को लेकर दायर किए जनहित मुकदमे को लेकर उच्चतम न्यायालय मौखिक आब्जर्वेशन में एक अलग से एक कमेटी के गठन का प्रस्ताव दिया पर मोदी सरकार ने शीर्ष अदालत के प्रस्ताव पर घास तक नहीं डाला और दूसरे तरफ अनेक किसानों का देहांत इस आंदोलन के दौरान जो चुका है।