Friday, 25 December 2020

किसान संवाद के जरिए पीएम मोदी अपने पूंजीपति मित्रो के लिए आम जनता को गुमराह कर रहे है

पीएम मोदी किसान से संवाद के दौरान यह बताना भुल गए कि किस आशय से आवश्यक वस्तु अधिनियम में भंडारण करने की इतनी भारी छूट दिया है, क्या अदानी और अंबानी ग्रुप के द्वारा अनाज के भंडारण पर खर्च किए भारी भरकम रकम को ध्यान में रखकर दिया गया है।

https://www.aajtak.in/amp/india/news/video/pm-supports-agricultural-laws-in-farmers-dialogue-direct-target-on-mamata-banerjee-1182549-2020-12-25?__twitter_impression=true

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से खरीदे गए अनाज को भंडारण की आवश्यकता होगी और इस कारण मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करके अपने पूंजीपति मित्रों के लिए खुला खेत फर्रुखाबादी करके रख दिया है जिससे पूंजीपति होर्डिंग करके कालाबाजारी को बढ़ा सके।

देश के बुद्धिजीवी और पढ़े लिखे जमात को इन तीन काले कृषि कानून के जरिए गुमराह नहीं कर सकते है और इससे बचने के लिए मोदी सरकार संसद में इन कानूनों को लेकर बहस कराने का साहस तक दिखा नहीं सके।

हालांकि कि किसान आंदोलन को लेकर दायर किए जनहित मुकदमे को लेकर उच्चतम न्यायालय मौखिक आब्जर्वेशन में एक अलग से एक कमेटी के गठन का प्रस्ताव दिया पर मोदी सरकार ने शीर्ष अदालत के प्रस्ताव पर घास तक नहीं डाला और दूसरे तरफ अनेक किसानों का देहांत इस आंदोलन के दौरान जो चुका है।

Monday, 14 December 2020

মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের বিশাল প্রতিভা এবং খ্যাতির কারণে বিজেপি বাংলায় পিছিয়ে রয়েছে

[মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের বিশাল প্রতিভা এবং খ্যাতির কারণে বিজেপি বাংলায় পিছিয়ে রয়েছে]

 এটা বোঝা যায় যে, জে পি নদ্দার কাফেলার পৃষ্ঠপোষকতায় পাথর ছোঁড়ার ঘটনার বেশ কয়েক দিন পরে মোদী মিডিয়া_চ্যানেলগুলিতে এই আলোচনা আজ অব্যাহত রয়েছে এবং কৃষক আন্দোলনকে ঘুরে বেড়াতে গণমাধ্যমের লক্ষ্য হিসাবেও করা উচিত।

 বাংলার ভোটাররা সকলেই বুঝতে পেরেছেন যে স্পনসরিত এই পাথর ছোঁড়ার নাটকের পিছনে বিজেপি প্রকাশ্যে রয়েছে এবং বেঙ্গল পুলিশ বহু পাথর ছোঁড়ায়ে গ্রেপ্তার করেছে যাদের বিজেপির সাথে যোগাযোগ রয়েছে।

 কোনও সন্দেহ নেই যে বিজেপি সর্বশেষ লোকসভা নির্বাচন অনুষ্ঠিত হওয়ার পর থেকে তার অর্থশক্তির কারণে ছোট ছোট ঘটনাগুলি ঘটাচ্ছে এবং বেঙ্গল বিজেপি সভাপতি দিলীপ ঘোষ তাঁর সংবাদের কারণে, অবিচ্ছিন্ন বাচ্চা  মিসেস মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের বিরুদ্ধে কথা বলতে থাকেন।

 বাংলায়, টিএমসির বিরুদ্ধে এতটা আভা ও চিৎকার সত্ত্বেও, বিজেপি টিএমসির বিরুদ্ধে বিরোধী পদক্ষেপ তৈরি করতে পারছে না, যার কারণে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের আকাশচুম্বী প্রতিভা কোনও বিজেপি নেতার বিচরণ করতে পারছে না।

पश्चिम बंगाल में अपराध और कानूनी व्यवस्था के मामले में उत्तरप्रदेश से बहुत बेहतर

अपराध के मामले में यूपी अपने पीएचडी का दर्जा प्राप्त कर चुका है और दूसरी तरफ बंगाल में चुनाव के पूर्व मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाने का मतलब चुनाव से पहले भाजपा अपने हार को स्वीकार करने जैसा होगा।

मोदी सरकार अगर बीजेपी प्रायोजित पत्थरबाजी के आधार पर पश्चिम बंगाल की एक चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास करेगी तो निश्चित रूप से इसे उच्च अदालत पर चुनौती दिया जायेगा। ध्यान देने वाली बात यह है मोदी सरकार ने उत्तरंचल सरकार को गिराया था लेकिन बाद में मोदी सरकार को मुंह की खानी पड़ी थी।

अगर राज्यपाल के रेक्कोमेंडेशन से सरकार गिरा सकते तो आजतक सभी गैर भाजपा शासित राज्यों के राष्ट्रपति शासन होता लेकिन उच्च अदालतों के कुछ ज़मीर बचे होने के कारण अनर्गल रूप से जनता द्वारा चुने गए सरकार को गिराना आसान नहीं है।

यह बात सही है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर होती है पर कानूनी व्यवस्था तो उत्तर प्रदेश ढूंढने पर नहीं दिखाई देता है, यूपी में जिस प्रकार से बीजेपी के समर्थक एक आईपीएस रैंक के एसपी को मारने में कामयाब होते है तो इस प्रकार का दृश्य कम से कम बंगाल में नहीं देखने को मिला है।

अपराध को ध्यान में रखते हुए यह बात कही जा सकती है कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश अपराध के मामले पीएचडी कर चुके है और बंगाल में जो भी घमासान देखने को मिल रहा है वो 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के प्रायोजित दंगे के कारण हो रहा है।

Wednesday, 9 December 2020

Why opposition parties are silent on the drastic change in the Essential Commodities Act made in favour of Black marketeers

Strange that the general public is thinking that the agriculture bill is only related to the farmers and has nothing to do with the general public's interest, when the Modi government has made an amendment through the farmers bill which is against the completeness of the Essential Commodities Act.  .

  https://fb.watch/2gl6mhRvcV/
 
It is a matter of misfortune that the opposition parties of the country have remained silent on the drastic chang made in the Essential Commodities Act by the Modi government.

Such legal exemption will lead to hoarding for capitalists while hoarding is a matter related to the general public of the country, since it will promote blackmarketing in the country.

How opposition parties could promote and endorse blackmarketing of essential commodities by the big traders ?

Thursday, 3 December 2020

कृषि बिल को लेकर आम जनता आवश्यक वस्तु अधिनियम ( भंडारण नियम) के मामले को लेकर चुप क्यों है

इस बिल के पास होने से पहले आवश्यक वस्तु भंडारण के मामले में पहले जो कानून पारित किए गए थे उस कानन के हिसाब से कोई भी व्यापारी उपभोक्ता वाले वस्तुओं को होर्डिंग याने जानबूझकर किसी खाद्य सामग्री को रोक कर रखने पर पाबन्दी थी।

https://m.youtube.com/watch?feature=share&v=3EUL_f8vGJ0

यह बात सभी को पहले से पता है कि भाजपा को मूलत: बनिया की पार्टी समझा जाता रहा है लेकिन मण्डल या रामजन्म भूमि के बाद बीजेपी पर ब्राह्मणों का कब्जा हो गया है पर इसका मतलब यह नहीं है कि भाजपा बनिया समुदाय से दूर  हो गए है।

मोदी सरकार के इस नए आवश्यक वस्तु के भंडारण नियम में जो उलट फेर किया है उससे साफ पता चल रहा है कि संघ बनिया लॉबी को अपने साथ रखने पर आमादा है और एमेंडमेंट के जरिए व्यापारी या बनिया को भंडारण के लिए खुला छूठ दे दिया है ताकि वे मनमाफिक भंडारण करके होर्डिंग के जरिए कालाबाजारी करने का सुवर्ण अवसर दे दिया है।

इस नए नियम के लागू होने के बाद निश्चित रूप आवश्यक वस्तु के किल्लत देखने को मिलेंगे और जिसका सीधा प्रभाव आम जनता पर आना निश्चित है। कृषि कानून को लिंक में दिए गए वीडियो के ज़रिए समझा जा सकता है।

मोदी सरकार किसान आन्दोलन के साथ क्यों खिलवाड़ कर रहे है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि नष्ट हो रही है

देश में 3 कृषि कानून ऐसे है जो किसानों के हित की जगह मोदी सरकार के कुछ पूंजीपतियों के हित के लिए गया। अगर कृषि कानून किसान और आम जनता के हित में ना होकर पूंजीपतियों के हित में तो किसानों के द्वारा आन्दोलन जायज है। 

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=705116403769711&id=100028140732344

मोदी सरकार किसान संगठनों के साथ क्यों बैठक करना चाहते है यदि कृषि कानून किसानों के हित में है। किसानों के साथ नए सिरे से बैठक करके मोदी सरकार खुद साबित कर रहे है कि तीनों कृषि कानून में भारी लोचा है।

मोदी सरकार के अंहकारी और हटधर्मिता के कारण किसान आन्दोलन की गूंज विदेशों में सुनने को मिलने लगे है और तमाम देश के प्रधान लोगो के इस आन्दोलन को लेकर प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है और जिस कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि धूमिल होती जा रही है।

अगर किसान आन्दोलन दस या पंद्रह दिन तक और खीच गई तो अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में देश के साथ साथ पीएम मोदी के अंतर्राष्ट्रीय छवि धूमिल हो जायेगी और साथ में अनेक देशों के प्रधानों को बोलने का मौका और अवसर मिल जायेगा।

Tuesday, 1 December 2020

क्या मोदी सरकार देशद्रोहियों के साथ खड़े है ? पीएम मोदी को जवाब देना होगा कैसे सीडीएस और बीजेपी सांसदों ने चीनी कार किया लॉन्चिंग

सेना के सबसे उच्च पद सीडीएस में आसीन विपिन रावत और भाजपा के सांसद और मंत्री तो निकले देशद्रोही, जिन्होंने चीन के द्वारा निर्मित कार को देश में लॉन्च किया।

इस बात की जांच होनी चाहिए कि इस चीनी कार के लॉन्चिंग के चीनी कार के निर्माताओं ने विपिन रावत और अन्य भाजपा के सांसदों को कितने कितने के करोड़ रुपए हवाला के जरिए आदा किए है।

आश्चर्य की बात यह है चीनी द्वारा देश के जमीनों पर ढेर सारा कब्जा करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह ने कैसे इन लोगो को चीन के द्वारा निर्मित कार के लॉन्चिंग के लिए अनुमति प्रदान किया है। इन बातों से साफ़ जाहिर ही रहा है कि पीएम मोदी ने चीन के आगे घुटने टेक दिया है, इतना कमजोर प्रधानमंत्री तो किसी भी देश में देखना दुर्लभ है।

Wednesday, 25 November 2020

बीजेपी के फंड पर पलने वाले AIMIM की दाल बंगाल के चुनाव नहीं पकने वाली है, बंगाल में होगा AIMIM पहला चुनाव

बंगाल के चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि उनके पास मुख्यमंत्री का कोई ठोस चेहरा नहीं है और बंगाल के राजनीति में अन्य प्रदेशों के नेताओ को कोई खास महत्व नहीं दिया जाता है जैसा की दक्षिण के तमिलनाडू में देखने को मिलता है।

बंगाल के मुस्लिम राजनीतिक रूप से परीपक्कव होने के कारण AIMIM के छलावा में नहीं फसने वाले है क्यों कि उन्हें अच्छी तरह से इस बात का पता है कि AIMM भाजपा को चुनावी फायदा पहुंचाने के लिए मुस्लिम आबादी वाले चुनावी क्षेत्र से अपने उम्मीदवार खड़े करते है ताकि मुस्लिम वोटों पर सेंध लगाया जा सके।

दुर्भाग्यवश भाजपा के चाणक्य को इस बात की रत्ती भर पता नहीं है बंगाल का चुनाव को बाहरी नेताओ के बल से जीता नहीं जा सकता है , उन्हें निश्चित रूप से बंगाल के लिए सीएम पद के चेहरे को आगे लाना होगा जो ममता बनर्जी जैसे विशाल व्यक्तित्व को चुनौती दे सके।

भाजपा बिहार के चुनाव में चुनाव आयोग और ईवीएम के सहारे सत्ता हासिल किया है। वही साम, दाम, दंड भेद और हेन तेन प्रकार से बंगाल को भी बीजेपी जीत सकते है।

Sunday, 8 November 2020

संघ ने बताया जो बाइडेन का पुराना नाम जय सिंह बद्री है

जय सिंह और नरेंद्र बचपन से स्टेशन पे साथ चाय बेचा करते थे बद्री क्योंकि रंग रूप से बिल्कुल अंग्रेज़ लगते थे तो एक दिन ट्रेन में विदेशी लोग आये और बद्री को अपने साथ ले गये 

लेकिन विदेश जाने पर भी बद्री के दिल दिमाग में सिर्फ भारत भक्ति समाई हुई थी और बद्री तथा नरेंद्र की दिन दिन भर मोबाइल पर बातें हुआ करती थीं 

फिर नरेंद्र के मार्गदर्शन में बद्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा और अपनी हर गतिविधि के लिए नरेंद्र से सलाह लेते रहे ।

एक दिन बद्री ने नरेंद्र से अपने पक्ष में चुनावी सभा करने को बोला लेकिन नरेंद्र ने अपना चाणक्य दिमाग लगाकर बोला कि में तेरे विरोधी ट्रंप के समर्थन में सभा करूंगा और तू देखना इस सभा का उल्टा असर होगा और ट्रंप के वोट कटकर तेरे पास आ जाएंगे और ऐसा ही हुआ ।

आज बद्री उर्फ बाइडेन के रूप में अमेरिका राष्ट्रपति के पद पर स्वयं नरेंद्र यानी हमारे मोदी जी विराजमान हो चुके हैं और अब पाकिस्तान चाइना नेपाल बांग्लादेश थर थर कांप रहे हैं

बाइडेन और मोदी जी बचपन की तस्वीर वाडनगर स्टेशन पर आज भी मिल जाएगा।

Friday, 6 November 2020

अमित शाह बंगाल के राजनीति को समझ नहीं पाए है, बंगाल की जनता किसी बाहरी चेहरा को अपना नेता नहीं मानते

बंगाल के चुनाव में अभी भी देरी है पर बंगाल अन्य राज्यों की तरह अभी भी कोरोना संक्रमण से जूझ रही है, ऐसे काल में गृहमंत्री अमित शाह के बंगाल के दो दिन के लिए चुनावी दौरा करना बंगाल के जनता के समझ के परे है।

https://m.hindustantimes.com/india-news/expert-on-gujarat-gymkhana-not-bengal-tmc-on-amit-shah-s-statue-flub/story-i7XCrLdZ2fQ2JA6180xiXO.html

अमित शाह का बंगाल दौरे में एक खास बात जो सामने आया है कि वो बंगाल को जात - पात के राजनीति में झोंकने का प्रयास कर रहे है। विचार का विषय यह है कि हिंदी बोले जाने वाले प्रदेशों की तरह बंगाल में जात पात की राजनीति में बंगाली समाज बिल्कुल विश्वास नहीं करते है और यही कारण जातीय संघर्ष आजतक बंगाल में देखने को नहीं मिला है।

अमित शाह शायद बंगाल के राजनीति को समझने की बडी भुल कर रहे है, बंगाल की राजनीति एक व्यक्ति विशेष के इर्द गिर्द घूमती है, पहले कांग्रेस के सिद्धार्थ शंकर रे, फिर सीपीएम के ज्योति बसु और आज सुश्री ममता बनर्जी जिन्होंने सीपीएम के 34 साल पुराने किला को गिराने का काम कर चुकी हैं।

भाजपा बंगाल में इतने सालों में एक भी प्रतिभाशाली व्यक्ति या नेता को तैयार नहीं कर सके जो बंगाल की शेरनी ममता बनर्जी को आगामी विधान सभा में चुनौती दे सके। बंगाल के लोग भाजपा के साइबेरियन बर्ड या दिल्ली से आयायत किए नेता के   चेहरे पर विश्वास नहीं करने वाले है।

Thursday, 5 November 2020

बिहार के चुनाव से लोगो का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा के मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों ने अर्नब गोस्वामी के अपराध के पीछे छुपना पड़ा

प्रधान मंत्री को छोड़कर सभी मोदी सरकार के मंत्री मंडल ने अमित शाह के अगुवाई में जिस प्रकार एक अपराधी अर्नब गोस्वामी के अपराधिक कृत के लिए लामबंद होते देखा गया यह किसी भी तरह से देश में एक स्वास्थ राजनीति का परिचायक नहीं हो सकता है।

समझने वाली बात यह है कि इस प्रकार का मंत्रिमंडल के द्वारा हल्ला बोल को एक राजनीतिक षड्यंत्र के रूप में देखा जाना चाहिए और जिसे बिहार के चुनाव को ध्यान में रखकर खेला गया है।

भाजपा के हर राजनीतिक कृत में एक उद्देश्य छुपा रहता है जिसे खोज कर बाहर निकलना जरूरी होता है। जिस प्रकार से बिहार के चुनाव में एनडीए किरकिरी और तेजस्वी यादव के हर राजनीतिक रैलियों में अपार भीड़ देखने को मिल रहा था उससे भाजपा और नीतीश कुमार के घोर निराशा पैदा कर चुका है।

इस प्रकार के भाजपा और नीतीश कुमार के विफलताओं से बिहार के जनता के ध्यान को भटकाने के लिए अर्नब गोस्वामी के मुद्दे को भाजपा ने हथियार के रूप में लिया गया ताकि चुनाव पर चर्चा ना होकर गोस्वामी पर चर्चा केंद्रित हो सके।

बिहार के आखरी दौर के चुनाव में पीएम मोदी और नीतीश कुमार ने नए-नए टोटके आजमाने की कोशिश किया जैसे पीएम के द्वारा बिहार के लोगो को पत्र लिखना और नीतीश कुमार द्वारा अपने जीवन के आखिरी चुनाव की घोषणा को टोटके के रूप में देखा जाना चाहिए।

Wednesday, 4 November 2020

अर्नब गोस्वामी को महाराष्ट्र के तत्कालीन भाजपा सरकार ने क्यों बचाव किया था

अर्नब गोस्वामी द्वारा आत्महत्या के लिए उसकाने वाले मामले की घटना कोई पिछले वर्ष की बात नहीं है बल्कि यह घटना 2018 में घटित हुई थी।

मीडिया सूत्रों की माने तो अर्नब गोस्वामी ने अपने रिपब्लिक टीवी के आंतरिक सज्जा के लिए एक महिला को कार्यभार सौंपा था और उक्त काम के लिए अपने रकम खर्च कर दिया था पर उस काम के भुगतान के लिए मामले को लेकर अर्नब गोस्वामी उस पौढ़ महिला को टालते रहे और भुगतान की रकम लगभग 5 करोड़ रुपए जानबूझ कर बकाया किया गया।

रुपए के तंगी के लिए थक हार कर उक्त महिला और उनके बेटे ने अपने बकायादारों से बचने के लिए मा और बेटे ने आत्महत्या   करने पर मजबूर हुए।

जिस समय की यह घटना है उस समय भाजपा की सरकार महाराष्ट्र में थी और भाजपा के दखल के कारण पूरे मामले को लीपापोती करके मामले को दबा दिया गया था जब कि आत्महत्या नोट में अर्नब को दोषी ठहराया था।

अर्नब के गिरफ्तारी पर गुस्सा करना अमित शाह से लेकर सभी मंत्रियों का जायज़ दिख रहा है क्यों की अर्नब को बचाने के लिए भाजपा सरकार ने अहम भूमिका निभाया था और अब दोबारा जांच में भाजपा नंगे हो सकते है।

क्यों बीजेपी कभी बलात्कारियों और कभी अपराधियों के साथ खड़े होते है

जो गधे अर्नब गोस्वामी का समर्थन कर रहे है उसने ही अन्वय नायक और उसकी माँ को दो साल तक पेमेंट नही दिया।

जबकि इस कमीने का ऑफिस का इंटीरियर डिजाइन में उसने बहुत रुपया बर्बाद कर दिया था इसलिए उनको आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा,सुसाइड नोट पर अर्नब का नाम भी है।

2018 में महाराष्ट्र्र में बीजेपी की सरकार थी इसलिए केस क्लोज कर दिया गया और अर्नब को दलाली का इनाम मिल गया,लेकिन शिवसेना ने केस के फिर से खोल दिया,पुराने केस को दोबारा जांच का अधिकार कानून ने राज्य पुलिस को दिया हुआ है। आज अन्वय नायक की बीवी को कुछ हद तक न्याय की उम्मीद जगी होगी।

गौर करने वाली बात यह है कि जब सुशांत सिंह ने आत्महत्या किया था तब कोई सुसाइड नोट सुशांत ने नहीं लिखा था पर राजनीतिक लाभ के लिए भाजपा ने उनके मौत को हत्या का संज्ञा देकर सीबीआई जांच के लिए बिहार सरकार ने आदेश किया था और अनव्य नायक के मामले में सुसाइड नोट में अरनब का नाम था ।

Saturday, 31 October 2020

पुलवामा को लेकर पीएम मोदी राख में आग लगाने की कोशिश कर रहे है।

पाकिस्तान के साथ मैच फिक्सिंग के जरिए बिहार के चुनाव के दौरान इस मामले को लेकर हल्ला मचाने से भाजपा को कोई फायदा बिहार के चुनाव में होता नहीं दिख रहा है।

देश को सुरक्षित हाथों में कहने वाले भाजपा मैच फिक्सिंग बयान के जरिए खुद अपने को एक्सपोज कर चुके है। मोदी सरकार आज तक यह नहीं कह सके कि पुलवामा में 300 kg. आरडीएक्स किस रास्ते से पुलवामा तक पहुंचा था और इतने भारी मात्रा में आरडीएक्स को पहुंचाने के लिए किस सरकारी अमला ने आतंकवादियों को मदद किया था।

मोदी सरकार आज तक इस बात का खुलासा नहीं कर पाएं है पुलवामा के आतंकवादी हमले का आईबी रिपोर्ट होने के बावजूद इतनी बड़ी घटना को किसके इशारे पर नजरंदाज किया गया।

साल भर बीतने के बाद भी आजतक मोदी सरकार किसी भी एक आतंकवादी को क्यों सजा नहीं दिला सके, जब कि जिन लोगो को इस मामले में गिरफ्तारी किया गया था वो सभी जमानत पर छूट चुके है और समय बीतने के साथ साथ सभी आरोपी बेदाग छूट जाएंगे।

Friday, 30 October 2020

बिहार के चुनाव में भाजपा के तोते उड़ने लगे है तो पीएम मोदी जिंदा तोते को अपने हाथ में लिए बैठे है

बिहार में दो सत्र के चुनाव अभी बाकी है पर एक बात साफ हो चुकी है जदयू और भाजपा के पास कोई ठोस मुद्दे ना होने के कारण दोनों पार्टियां आरजेडी के मुखिया तेजस्वी यादव के आगे बौने दिख रहे है।

https://www.jansatta.com/national/bjp-nda-pm-narendra-modi-trolled-by-social-media-users-on-his-nature-love-with-parrots-in-kevadiya-jungle-safari/1558492/

जिस प्रकार से तेजस्वी यादव के रैलियों में भीड़ उमड़ रहा है उससे तो भाजपा के ट्रंप कार्ड पीएम मोदी के तोते उड़ते हुए दिख रहा है और यही कारण भाजपा के मुखिया तोते को हाथ में लिए बैठे है।

बिहार के चुनाव में लोगो को दिखाने के एनडीए मैदान में पर लोजपा के चिराग पासवान को अलग थलग करके भाजपा एनडीए का विभाजन कर दिया है। इस चुनाव में भाजपा दोहरी राजनीति खेलने में लगे हुए है।

भाजपा अपने राजनीतिक ड्रामेबाजी के जरिए नीतीश कुमार के वोट बैंक में ही सेंदमारी करने में लगे हुए है तभी चिराग पासवान को जदयू के उम्मीदवारों के खिलाफ उतारे है।

भाजपा की रणनीति यह है किसी भी तरह से नीतीश कुमार से सीएम पद को छीना जाए और यह तभी संभव है जब जदयू का     आंकड़ा भाजपा से कम रहे और इसी कारण भाजपा अपने वोट शेयर को चिराग पासवान के खाते में ट्रांसफर करने में लगे है।

Thursday, 29 October 2020

पुलवामा को लेकर बिहार चुनाव के समय पाकिस्तान के मंत्री के द्वारा बयानबाजी भाजपा की सोची समझी रणनीति है

जब बिहार का चुनाव भाजपा और जदयू के हाथ से जाते दिख रहा है तब भाजपा पुलवामा के घटना को दोबारा याद दिलाने के लिए पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीकी मंत्री फवाद चौधरी से पाकिस्तान के सदन में यह कहलाया है पुलवामा की घटना को पाकिस्तान सरकार ने कराया है।

पुलवामा के घटना को घटित हुए कई साल हो चुके है, क्या कारण है बिहार के चुनाव के समय ही पाकिस्तान के मंत्री को इस प्रकार के खुलासा करना पड़ा ताकि बिहार के जनता का ध्यान भाजपा बेरोजगारी से पाकिस्तान पर केन्द्रित किया जा सके।

विश्व के सबसे धनी पार्टी भाजपा जब अरबों रुपए बिहार के चुनाव में बहा सकते है, जब भाजपा सत्ता बदलने के खेल में एमएलए के खरीद फरोख्त में अरबों रुपए के बोली लगा सकते है तब पाकिस्तान में बैठे किसी मंत्री को इस प्रकार के बयान बाजी के लिए कितने करोड़ रुपए भेजना कौन सी बड़ी बात है।

Thursday, 24 September 2020

अगले लोकसभा चुनाव को देखने का सपना विपक्ष पार्टियों को छोड़ देना चाहिए तब तक चुनाव करवाने की रकम बचेगी नहीं

जब सरकार को देश के धरोहर को बेच बेच कर थक गए है तब जाकर देश के किसान को मोदी सरकार अपने पूंजीपतियों मित्रो के हाथो में किसानों के बोली लगाने पर उतारू हो चुके  है।

https://www.facebook.com/100004581871731/posts/1691641477665232/

अगर पीएम मोदी को लग रहा है कि तीन किसान बिल किसानों के हित में है तो मोदी सरकार इन बिलों को दोनों सदनों में पास कराने से पहले इस पर सदन में चर्चा करने से क्यों भाग गए और उनके इस भागने की प्रक्रिया यह साबित करती है कि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि दाल ही काली है।

मोदी सरकार द्वारा देश को व्यवसायिक नीति से चलाने की खामियाजा नोट बन्दी और जीएसटी का परिणाम देश के लोग देख चुके है और इस प्रकार की व्यवसायिक नीति ने देश के आर्थिक रीढ़ को तोड़कर तहस नहस कर दिया है और इसी कारण देश की जीडीपी अंधेरे खाई में गिर चुका है।

पीएम मोदी के लिए देश के किसान से बड़ा है उनके पूंजीपति दोस्त है जो देश को दीमक के तरह चाटना शुरू कर दिया है और अगले लोकसभा के चुनाव में देश की स्तिथि ऐसी हो जाएगी कि देश में चुनाव करवाने का भी रकम नहीं बचेगा।

Tuesday, 15 September 2020

झूठ बोलना पीएम मोदी के लिए बायें हाथ का खेल है, चुनाव के समय झूठ बोलने के फेरिस्ट बढ़ जाती है

जब कभी भी किसी भी राज्य में चुनाव नजदीक आने लगते है तब पीएम मोदी के झूठ बोलने और झूठे आश्वासन में एक तेजी देखने को मिलते है।

पीएम मोदी की विशेषता यह रही कि देश में जितने बडी समस्या आ जाए उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है, भले ही देश के विपक्ष पार्टी देश के समस्यायों को लेकर जितना शोर मचा ले पर क्या मजाल है पीएम मोदी इस मामले में ट्स से मस होते हुए कभी भी नहीं दिखे।

https://khabar.ndtv.com/news/bihar/bihar-did-not-got-its-package-announced-by-pm-modi-reveals-in-rti-1667613

लॉक डॉउन पीरियड में जिस प्रकार अन्य प्रदेशों की तरह बिहार के अप्रवासी मजदूरों को परेशानी उठनी पड़ी यह देश के सभी लोगो ने ना केवल देखा बल्कि उनके पीड़ा का भी एहसास किया गया था उस समय पर मोदी सरकार यह कहकर झूठ बोलते दिखे कि मोदी सरकार और नीतीश सरकार मजदूरों के ट्रेन का किराया अदा कर रहे है जो बाद कोरा झूठ साबित हुआ।

राजनीतिक कारणों के वजह पीएम मोदी झूठ बोलने का काम करते है, वो अच्छी तरह से जानते है कि एक झूठ बोल दो और सारे देश के गंभीर मुद्दे छुप जाएगा क्यों की चर्चा झूठ पर चलता रहेगा।

Monday, 14 September 2020

बीजेपी और भक्तो का #JusticeforSSR हुआ फ्लॉप, मोदी सरकार अहम को बचाने के लिए रिया को किया अरेस्ट

रिया चक्रवर्ती के मामले को बीजेपी ने एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत शुरू किया था । सीबीआई और ईडी से जांच करने के बावजूद बीजेपी समर्थक #JusticeForSushant चलाकर रखने के बाद सीबीआई और ईडी के हाथ खाली है, क्या में ड्रग एंगल लगाकर रिया को बन्द कर देने पर सुशांत को क्या न्याय मिल जाएगा?

https://m.thewirehindi.com/article/sushant-death-case-rhea-chakraborty-indian-media-misogyny/139117

सुशांत के पिता के द्वारा दर्ज किए गए FIR में जितने भी आरोप एक महिला को प्रताड़ित करने के लिए लगाए गए थे वे सभी झूठे और बेबुनियाद साबित हो चुके है।

सीबीआई और ईडी द्वारा रिया से गहन पूछ - ताछ के बाद भी जांच एजेंसियों के पास ऐसे कोई सबूत हाथ में नहीं लगे जिससे सुशांत के मौत के कारणों का खुलासा हो सके।

सीबीआई और ईडी के जांच फेल होने के बाद मज़बूरी में गृहमंत्रालय को जबरिया ड्रग एंगल को लाना पड़ा ताकि रिया के गिरफ्तारी करके बीजेपी अपना पिट थपथपा सके।

जिस आत्मविश्वास के साथ रिया ने मोदी सरकार के तीन जांच एजेंसियों का सामना किया इसके लिए रिया को सलाम, बंगाली बाला ने जांच एजेंसी के दांत ख्ट्टे कर चुके है।

Saturday, 12 September 2020

रिया चक्रवर्ती को बंगाल के अस्मिता से जोड़कर कांग्रेस ने बीजेपी को बंगाल में पीछे धकेलने का काम किया

जिस प्रकार रिया चक्रवर्ती को मोदी सरकार और उनके एनसीबी ने जबरदस्ती फसाने का काम अपने राजनीतिक उद्देश्य और  सुशांत सिंह को बिहार चुनाव के लिए इस्तमाल किया उसका तोड कांग्रेस के दिग्गज नेता और बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष श्री अधीर रंजन चौधरी ने आखिर में निकाल ही लिया

https://khabar.ndtv.com/news/india/congress-came-out-on-the-streets-of-bengal-in-support-of-daughter-of-bengal-rhea-chakraborty-2294474

एक तरफ जहां बीजेपी बिहार के चुनाव को ध्यान में रखकर सुशांत सिंह के मौत के आड में राजनीतिक समीकरण बनाकर बिहार के जनता को इमोशनल ब्लैकमेलिंग शुरू किया है वहीं कांग्रेस के अधीर रंजन ने रिया को बंगाल की कहकर बीजेपी को चुनौती दे दिया है।

कांग्रेस के नेता ने रिया को बंगाल के अस्मिता से जोड़कर बंगाल के बीजेपी को पीछे ढकलने का काम किया है और अगर  रिया के साथ मोदी सरकार की जांच एजेंसी ज्यादा दिक्कत पैदा करते है तो उसका सीधा असर अगले साल बंगाल में विधानसभा चुनाव में असर देखने को मिलेगा।

अगर बिहार के चुनाव में बीजेपी सुशांत सिंह के मौत को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ते है तब बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस भी रिया को मुद्दा बनाने में पीछे नहीं रहेंगे।

Tuesday, 8 September 2020

NCB ने गृहमंत्रालय के प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए रिया चक्रवर्ती को जबरियां गिरफ्तार किया

एक पुरानी कहावत है कि चले थे दुबे बनने और छबबे बनकर रह गए और यही हाल मोदी सरकार के गृह मंत्रालय का है जो  चक्रवर्ती को सीबीआई और ईडी के जरिए जेल भेजना चाहते थे पर फर्जी ड्रग मामले में रिया को गिरफ्तार करना पड़ा है और वो भी बिना ठोष सबूत और साक्ष्य के।

https://janchowk.com/pahlapanna/salute-to-rhea-chakrabortys-courage/

NCB का इस प्रकार का कवायद केवल गृह मंत्रालय के दबाव और उनके प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए किया गया प्रयास मात्र है।

भाजपा सुशांत सिंह के मौत के दो माह बाद तब जगे जब उन्हें लगा कि सुशांत के मौत पर राजनीति से बिहार चुनाव में लाभ हो सकता है और सुशांत के पिता के द्वारा जबरदस्ती एफआईआर दर्ज करवाया गया था।

जब सीबीआई और ईडी को रिया के खिलाफ कोई ठोस सबूत हाथ में नहीं लगा तब मोदी सरकार ने अपने प्रतिष्ठा बनाने के नियत से NCB के ट्रंप कार्ड की खेला ताकि रिया को जबरदस्ती गिरफ्तार किया जा सके।

दूसरी तरफ एनसीबी मान चुके है कि सुशांत के कहने पर रिया सुशांत के उपयोग के लिए ड्रग का इंतजाम करते थे।

गृह मंत्रालय को बताना पड़ेगा कि सुशांत के मौत के कारणों का पता सीबीआई कब तक लगा लेंगे ।

Saturday, 5 September 2020

एनसीबी के जांच के बहाने रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार करने का चक्रव्यू मोदी सरकार और भाजपा ने रचा है

मोदी सरकार के दबाव में आकर सीबीआई सुशांत सिंह के मौत के कारणों की जांच मुस्तैदी से इसलिए कर रहे है ताकि बीजेपी का बिहार के चुनाव में रिया चक्रवर्ती के गिरफ्तारी को भंजाया जा सके।

हकीकत यह है कि रिया के अलावा सीबीआई अनेक लोगो के साथ पूछताछ कर चुके और सुशांत सिंह के फ्लैट में जाकर क्राइम सीन को रीक्रिएट भी कर चुके है।

हद तो तब हो गईं जब सीबीआई चौथी बार सुशांत के फ्लैट में क्राइम सीन को रीक्रिएट करने के उद्देश्य से अपने साथ इस बार  AIIMS याने डॉक्टर्स टीम के साथ फोरेंसिक टीम को भी साथ ले गए।

सीबीआई द्वारा अपने साथ AIIMS के एक्सपर्ट डॉक्टर्स को ले जाने की वजह समझ के परे है और सुशांत के मृत्यु के महीनो बाद क्राइम सीन रीक्रिएट करने के पीछे फोरेंसिक टीम को काम पर लगना भी अटपटा लग रहा है।

यह सही है किसी भी क्राइम में फोरेंसिक जांच की एक विशेष महत्व है पर सुशांत सिंह के मृत्यु के दो महीने बाद फोरेंसिक के हाथ में क्या सबूत मिलने वाला है जब कि सुशांत के फ्लैट में कई बार और कई लोगो द्वारा आने जाने के कारण सभी सबूत अब तक नष्ट हो चुका है।

Wednesday, 2 September 2020

जब सीबीआई को सुशांत सिंह के हत्या के सबूत नहीं मिले तो बीजेपी के इशारे पर रिया के भाई को नारकोटिक में फंसाना चाहते है

जब सीबीआई खुद अपने हाथ इस बात के लिए हाथ खड़े कर चुके है कि सुशांत सिंह के हत्या का कोई सबूत नहीं मिला है तो फिर किस कारण दुसासन के तरह चिर हरन में लगे है उससे यह बात साफ हो चुका है सीबीआई को गुप्त निर्देश देने के पीछे बीजेपी या गृह मंत्रालय के हाथ होने की संभावना लोगो के द्वारा  बताया जा रहा है।

https://www.aajtak.in/entertainment/news/story/sushant-case-cbi-states-no-evidents-on-actors-murder-yet-tmov-1122510-2020-09-01

दूसरी तरफ ईडी के हाथो में वे सबूत नहीं मिल सका है जिसमें सुशांत के परिवार द्वारा आरोप लगाया गया था कि रिया चक्रवर्ती ने कई करोड़ रुपए की सुशांत के खाते से निकाल कर अपने खाते में ट्रांसफर किया था।

भाजपा जब थक हार चुके है तब इतने गंभीर मुद्दे को एक दिशाहीन जांच के लिए Narcotic Control Bureau को काम पर लगा दिया है ताकि किसी तरह रिया के भाई को इस मामले में फंसाया जा सके और NCB ने इस बीच एक drug peddler को अरेस्ट करने में कामयाब हुए और यह भी कहा जा रहा उस drug peddler के साथ रिया के भाई का सम्बंध है।

क्या यह मान कर चला जाए कि उस ड्रग विक्रेता का पूरे मुंबई में केवल रिया के भाई ही एक ही ग्राहक है और मुंबई में किसी अभिनेता या अभिनेत्री ड्रग विक्रेता का कोई ग्राहक नहीं है। 

कुल मिलकर बीजेपी का एक एजेंडा है कि किसी तरह इस मामले को बिहार चुनाव तक खींचा जा सके।

Tuesday, 1 September 2020

प्रशांत भूषण के खिलाफ एक रुपए का दंड निर्धारित करने पर क्या सुप्रीम कोर्ट की खोई हुई विश्वसनीयता वापस आ सकती है?

जिस प्रकार कंटेंप्ट पिटीशन को लेकर देश के सुप्रीम कोर्ट को विश्व के सामने झुकना पड़ा है उससे तो शीर्ष अदालत का फजीहत हो चुकी है और अपने शर्म को छुपाने के लिए एक रुपए का दंड निर्धारित करना पड़ा।

http://www.mediavigil.com/op-ed/supreme-court-reserved-verdict-on-prashant-bhushans-sentence/

क्या इसके पूर्व विश्व के किसी भी उच्चतम न्यायलय ने कंटेंप्ट पिटीशन का दण्ड एक रुपए मुक्कर्र किया है?

ध्यान देने वाली बात यह भी कि जब से मोदी सरकार का गठन हुआ है और पिछले छह साल में मोदी सरकार के खिलाफ किसी भी मुकदमा के खिलाफ आजतक सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला मोदी सरकार के खिलाफ नहीं गया है और राजनीति से जुड़े फैसले भी बीजेपी के पक्ष में किया गया है।

उपरोक्त कारणों से लोगो की नजर में सुप्रीम कोर्ट अपनी विश्वसनीयता खो चुके है, अब प्रशांत भूषण के खिलाफ कंटेंप्ट पेटिशन के संदर्भ में केवल एक रुपए के दण्ड लगाने से क्या सुप्रीम कोर्ट की गिरी प्रतिष्ठा क्या वापस आ सकती है?

Wednesday, 19 August 2020

गोदी मीडिया रिया चक्रवर्ती के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मायने को बदलने में लगे है

सुशांत सिंह के मामले और रिया चक्रवर्ती के याचिका का पटाक्षेप पिछले दिन सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की धारा 142 का प्रयोग करते हुए सीबीआई जांच की संस्तुति खुद शीर्ष अदालत ने प्रदान किया।

https://www.abplive.com/news/india/sushant-case-cbi-team-will-go-to-mumbai-for-investigation-recreate-crime-scene-riya-chakraborty-will-be-questioned-1531284

पीएम मोदी के गोदी मीडिया भले ही अपने चाटुकारिता को बनाए रखने के लिए इस मामले को लेकर तमाम प्रकार के भाजपा के पक्ष में व्याख्या करते दिखे और सीबीआई जांच को बडी कामयाबी के तौर से दिखाया गया है।

परन्तु गोदी मीडिया अपने व्याख्या में यह भूल गए है कि रिया चक्रवर्ती ने अपने याचिका में शीर्ष अदालत से सीबीआई जांच के लिए गुहार लगाई थी और साथ में यह निवेदन किया था कि सुप्रीम कोर्ट संविधान की धारा 142 में दिए गए विशेष अधिकार का प्रयोग करते हुए सीबीआई जांच का आदेश करें।

अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सही व्याख्या किया जाए तो शीर्ष अदालत ने संविधान के धारा का प्रयोग करके बिहार सरकार के सीबीआई जांच के सिफारिश और साथ में मोदी सरकार के गृहमंत्रालय के सीबीआई जांच के आदेश को वरीयता ना देते हुए खुद सीबीआई जांच के आदेश को पारित किया है।

यह एक पहला मामला है जिसमें शीर्ष अदालत ने बिना किसी दबाव में आकर अपने राय को रखने में सफल हुए है।

Friday, 14 August 2020

Won't object if Supreme Court order for CBI probe, says Rhea Chakroborty

Rhea Chakraborty said in her written submission that  he has no objection if  the Supreme Court transfers the investigation into the death  of Sushant Singh Rajput to the Central Bureau of Investigation

Rhea Chakraborty said in her written submission that he has no objection if the Supreme Court transfers the investigation into the death of Sushant Singh Rajput to the Central Bureau of Investigation . 

Actor Rhea Chakraborty told the Supreme Court on Thursday that she has no objection if it transfers the investigation into the death of her boyfriend and fellow actor Sushant Singh Rajput to the Central Bureau of Investigation in exercise of its powers under Article 142 of the Constitution.

However, such transfer at the behest of Bihar police is wholly without jurisdiction, she maintained in her written submissions filed before the top court. Article 142 is a special power vested in the Supreme Court empowering it to pass orders to do complete justice in a case before it.

“The petitioner (Rhea Chakraborty) has no objection if the transfer of investigation to CBI is done in exercise of powers conferred upon this court (Supreme Court) under Article 142 of the Constitution of India. Otherwise, the present transfer from Bihar Police to CBI as is done is totally without jurisdiction and contrary to law,” she said in her submissions.

Tuesday, 11 August 2020

सुशांत सिंह के पिता ने रिया चक्रवर्ती के खिलाफ Money Laundering को लेकर फर्जी एफआईआर दर्ज किया था

सुशांत सिंह के मामले को लेकर मोदी चैनलों में गजब गजब की कहानियां और मीडिया ट्रायल जोर शोर से चल रहा था पर रिया को लेकर Money Laundring के मामले में सुशांत सिंह के पिता ने जो एफआईआर दर्ज किया था वे सभी आरोप झूठा साबित हुए है ।

https://twitter.com/CNNnews18/status/1293136597123137536?s=09

Money laundering को लेकर ईडी के हाथ आज भी खाली है और दूसरी तरफ ईडी के नाकामयाबियों ने रिया और उनके परिवार के लोगों को मोबाइल छीनने का काम किया है।

सुशांत सिंह के पिता के आरोपों की हवा तब निकाल गई जब न्यूज 18 के अंग्रेजी चैलेल्स ने नया खुलासा किया है कि कोई भी रकम सुशांत सिंह के किसी भी बैंक खातों से रिया चक्रवर्ती को भुगतान नहीं किया गया है उपरांत रिया ने तीस हजार रूपए ने अपने खाते से सुशांत को दिया था।

इन बातों से साफ़ जाहिर हो रहा है कि बीजेपी के दबाव में सुशांत के पिता ने रिया चक्रवर्ती के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाने का काम किया है।

जो बात समझ में नहीं आ रही है क्या ईडी बिहार के चुनाव तक रिया के खिलाफ अपने जांच को चलाते रहेंगे।

Monday, 10 August 2020

Rhea Chakroborty was made scapegoat by the BJP and Nitish govt. to set their political agenda

If we go through the Zero FIR, filed by the father of Sushant Singh, every IPC Sections were against of Ms. Rhea Chakraborty and the father of Sushant Singh never expressed any concern regarding the cause of deaths not sensed any foul play of his son's death, in the Zero FIR .

https://www.indiatoday.in/news-analysis/story/cbi-probe-into-sushant-singh-rajput-death-raises-eyebrows-heres-why-1708100-2020-08-05

When father of SSR did not challenge nor sensed any criminality on the issue of cause of death of his son, in his First Information Report, then what have inspired the Nitish govt. to jump  into conclusion that a foul play or crime took place on SSR's death.

When according to FIR, there was no crime took place for SSR'S cause of death, then reccomendation for CBI by the Nitish govt. is purely politically motivated to malign Maharashtra police.

The Supreme Court should set aside the CBI inquiry, when SSR father did not express any foul play or crime on his son's death.

Friday, 7 August 2020

भाजपा रिया चक्रवर्ती को घेरने के चक्कर में मोदी सरकार की फजीहत करवा दिया है

एक बात जो सभी के समझ के परे है कि जब ईडी ने लगातार आठ घटों तक रिया चक्रवर्ती से पूछ ताछ पूरी कर चुकें है तो फिर सीबीआई रिया चक्रवर्ती से किस बात के लिए जांच करेगी।

ईडी ने सुशांत सिंह के एफआईआर के आधार पर पूछ-ताछ किया है और अब सीबीआई भी उसी प्राथमिकी को आधार बनाते हुए जांच करेगी।

एक ही विषय पर दो जांच एजेंसी द्वारा जांच करवाने का मतलब है कि सीबीआई को ईडी के जांच पर विश्वास नहीं है तभी रिया चक्रवर्ती से दोबारा जांच करना चाहते है।

हकीकत में ज़ीरो एफआईआर पर बिहार सरकार का सीबीआई जांच करने की सिफारिश करना कानूनी गलत है, क्यों की मामला jurisdiction से जुड़ा है।

गृह मंत्रालय की सोच पर केवल अफ़सोस जताया जा सकता है, बीजेपी के राजनीति को चमकाने के लिए एक ही विषय पर दो - दो जांच बैठने का औचित्य समझ में नहीं आ रहा है।

एक ही प्राथमिकी पर दो - दो जांच हस्यपद है।

Thursday, 6 August 2020

क्या मुंबई के इनकम टैक्स कमिश्नर सुशांत सिंह के इनकम टैक्स रिटर्न और बैंक खाते की जांच करेगी या ईडी द्वारा केवल एक महिला को प्रताड़ित किया जाएगा

यह बडी दुर्भाग्य की बात है कि एक तरफ देश के शरहद पर चीन कब्जा जमाए हुए है, दूसरी तरफ 14 करोड़ मजदूर बेरोजगार हो चुके है और देश की आर्थिक दशा खाई में जा गिरी है ऐसे परिस्थिति में बीजेपी और मोदी सरकार अपने गोदी मीडिया के सहारे बिहार के चुनाव जितने की रणनीति बनाने में लगे है।

बीजेपी और मोदी सरकार उपरोक्त बातों को दरकिनार करते हुए अपनी राजनीति चमकाने के नियत से एक महिला रिया चक्रवर्ती को बिहार चुनाव को जितने के लिए उक्त महिला के खिलाफ ईडी से लेकर सीबीआई जांच भी करवाने में लगे है।

बिहार में बीजेपी सुशांत सिंह के मरने के पचास दिन बाद तब हरकत में आए जब सुशांत सिंह के पिता ने रिया चक्रवर्ती के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा चुके हैं।

बलात्कारियों पर प्रेम दर्शाने वाले बीजेपी हमेशा ही महिला विरोधी रहे और उनके अपने महिला विरोधी चरित्र को बनाए रखने के लिए रिया चक्रवर्ती को निशाने में लिया है।

सुशांत सिंह के पास इतना बेशुमार धन कुछ ही फिल्मों से कैसे आया इस बात की जांच मुंबई के आयकर विभाग क्या जांच करेगी? सुशांत सिंह के पिता के रिया चक्रवर्ती के खिलाफ लगाए गए आरोपों को तभी सिद्ध होगा जब सुशांत के खाते का हिसाब हो।

Wednesday, 5 August 2020

बिहार सरकार ज़ीरो एफआईआर में सीबीआई जांच की सिफारिश नहीं कर सकता है, क्षेत्राधिकार को अनदेखा किया गया

बहुत लोगो को शायद याद ना हो कि आशाराम बापू वाले मामले में भी पीड़िता ने दिल्ली में ज़ीरो एफआईआर दर्ज कराई थी उसके बाद दिल्ली पुलिस ने उक्त मामले को राजस्थान पुलिस को सौंप दिया था।

https://m.timesofindia.com/entertainment/hindi/bollywood/news/sushant-singh-rajput-case-rhea-chakrabortys-lawyer-says-we-are-satisfied-with-the-outcome-of-supreme-court-hearing/amp_articleshow/77368169.cms

सुशांत सिंह के पिता ने भी पटना में रिया चक्रवर्ती के खिलाफ कई धाराओं को आधार बनाकर एक ज़ीरो एफआईआर दर्ज करवाया था।

क्या कहता है जीरो एफआईआर :

जीरो एफआईआर का मतलब है कि किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है, भले ही क्षेत्राधिकार की सीमाओं और घटना अन्य स्थान का हो। संबंधित पुलिस स्टेशन एफआईआर लिख तो लेता है पर दस्तावेजों को तुरंत संबंधित अधिकार क्षेत्र में स्थानांतरित कर देता है।

पिछले दिन सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार के अधिवक्ता ने क्षेत्राधिकार को लेकर सवाल खड़े किए थे और रिया चक्रवर्ती के अधिवक्ता ने भी ज़ीरो एफआईआर पर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया था।

अब देखना यह है कि शीर्ष अदालत ज़ीरो एफआईआर को कितने गंभीरता से लेते है या अनदेखा करते है।

Tuesday, 4 August 2020

बिहार पुलिस ने दो राज्यो के बीच के प्रोटोकॉल तोड़ने का काम किया है और यही है सुशासन बाबू और भाजपा की दादागिरी

संविधान में एक प्रोटोकॉल बनया गया है कि जब कभी भी एक प्रांत की पुलिस दूसरे प्रांत में किसी मुल्जिम के खोज में या गिरफ्तार करने के नियत से जाते है तो उसके पूर्व खोजी पुलिस संबंधित राज्य के पुलिस से बात चीत के साथ उन्हें आत्मविश्वास में लेना पड़ता है।

सुशांत सिंह राजपूत को लेकर बिहार पुलिस का अचानक मुंबई में प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए मुंबई पहुंचना भाजपा और नीतीश कुमार सरकार की दादागिरी को दर्शाता है।

श्री उद्धव ठाकरे की सरकार के बिना अनुमती के बिहार पुलिस के मुंबई पहुंचने वाले मामले को बिहार सरकार ने हलके में लिया था।

बिहार पुलिस का प्रोटोकॉल को तोड़ने का मतलब यह है कि भाजपा और जदयू के लिए उनकी दादागिरी के आगे संविधान और देश के कानून का कोई मतलब नहीं है।

बिहार पुलिस का मुंबई जाने के पीछे की वजह उस एफआईआर से है जिसके तहत सुशांत सिंह के पिता ने 50 दिन बीत जाने के बाद दर्ज कराया था।

मजे की बात यह है कि ईडी भी उसी FIR पर जांच कर रहे है तो फिर बिहार पुलिस किस काम के लिए मुंबई पहुंचना पड़ा।

Monday, 3 August 2020

बिहार में नीतीश और बीजेपी सरकार सुशांत सिंह के मौत की आड़ में अपने विफलताओं पर पर्दा डालना चाहते है

बिहार में बढ़ते संक्रमण को रोकने और बाढ़ पीड़ितो को राहत सामग्री ना पहुंचाने के कारण नीतीश और बीजेपी सरकार की बड़ी फजीहत बिहार में देखने को मिल रहा है।

और इन मुद्दों से पीछा छुड़ाने और गंभीर विषयों से पल्ला झाड़ने के लिए नीतीश और मोदी सरकार को सुशांत सिंह के मौत का दर्द 50 दिन बाद याद आया है।

पचास दिन बाद भाजपा ने सुशांत सिंह के पिता पर दबाव बनाकर जबरियन एक एफआईआर दर्ज करवाया है और उस FIR के आड में अपने गोदी मीडिया के सहारे दो प्रदेशों के बीच दरार पैदा कर दिया है।

सुशांत के पिता ने एक भी एफआईआर घटना वाले थाने के अन्तरगत दर्ज नहीं कराया है, उनसे पूछा जाना चाहिए कि किसके दबाव में उन्होंने मुंबई में एफआईआर नहीं कराया है।

हकीकत यह है नीतीश और बीजेपी सरकार एक तीर से दो निशाना साधना चाहते है, भाजपा एक तीर से उद्धव ठाकरे की सरकार को सुशांत के मामले को लेकर घेरना चाहते है और दूसरी तरफ बिहार में अपने असफलताओं को छुपाना चाहते है।

Sunday, 2 August 2020

क्या भाजपा सुशांत के आत्महत्या को लेकर गंदी राजनीति खेल रहे है

दिशा सलियान जो सुशांत सिंह राजपूत के मैनेजर थे उनकी भी मौत की आत्महत्या के कारण हुई थी जो शायद सुशांत के आत्महत्या एक हफ्ता पहले हुई थी।

https://www.indiatoday.in/movies/celebrities/story/disha-salian-death-case-detailed-investigation-by-mumbai-police-no-link-with-sushant-singh-rajput-1707063-2020-08-02

दुर्भाग्य का विषय है कि दिशा सलियान की मृत्यु की ख़बर एक आम खबर के तरह आई और चली भी गई और उनके मौत पर रत्ती भर चर्चा नहीं हुआ।

सुशांत सिंह के मृत्यु के 50 दिन बाद जिस प्रकार से सुशांत के पिता ने इतने दिनों बाद एफआईआर का दर्ज वो भी एक महिला के खिलाफ किया जाने वाली बात ने एक नए राजनीति को जन्म दिया गया।

दूसरी तरफ बीजेपी सुशांत को एक बिहारी समझकर बिहार के आने वाले चुनाव को ध्यान में रखकर सुशांत के मौत पर राजनीति करना शुरू कर दिया पर दिशा सलियान के आत्महत्या पर रत्ती पर चर्चा करते हुए नहीं दिखे।

भाजपा के उकसाने पर पीएम मोदी की गोदी मीडिया रोजाना सुशांत के दूसरी गर्ल फ्रेंड रिया चक्रवर्ती के खिलाफ नए नए मनगढ़ंत कहानी पेश करने में पीछे नहीं है और दूसरी तरफ भाजपा के शीर्ष नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए सुशांत के आत्महत्या पर सीबीआई जांच की बात को छेड़कर राजनीति में जुटे हुए हैं।

Friday, 31 July 2020

सुशांत सिंह के मौत के आड़ में बीजेपी और जेडीयू ने बिछाया राजनीतिक विषाद ताकि बिहार के आपदाओं पर पर्दा डाल जा सके

बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह राजपूत का देहांत 14 जून 2020 को आत्महत्या होने के कारण हुआ था और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट उनके आत्महत्या की पुष्टि कर चुका है।

सुशांत मृत्यु के 45 दिन बाद अब बीजेपी और गोदी मीडिया उनके मौत को राज्य स्तर पर राजनीतिक रंग देना शुरू किया है, इस घटिया राजनीति की शुरवात तब हुई जब सुशांत के पिता ने बिहार में सुशांत के गर्ल फ्रेंड रिया चक्रवर्ती के खिलाफ तमाम आरोपी के साथ एफआईआर दर्ज किया जिसमें रिया चक्रवर्ती के द्वारा 17 करोड़ रुपए सुशांत के बैंक खाते से निकलने की बात किया गया है।

बिहार में बढ़ते संक्रमण और बाढ़ के कारण बिहार के जेडीयू और बीजेपी की सरकार दोनों मामले को संभालने में बुरी तरह से असफल रहे और दोनों पार्टियों के गिरते छवि को संभालना मुश्किल सा हो चुका है।

बिहार की जनता को इन अपदाओ से ध्यान बांटने के लिए बीजेपी ने राजनीतिक चक्रव्यूह की रचना की ताकि दोनों प्रदेशों में दरार को बढ़ाया जा सके और रिया चक्रवर्ती को पूरे खेल का मोहरा बीजेपी ने बनाया है जिसे गोदी मीडिया रिया के खिलाफ   माहौल बनाने में लगे है ।

मोदी सरकार मामले की गंभीरता को तूल देने के लिए ईडी को भी रिया चक्रवर्ती के खिलाफ खड़ा कर चुका है।

Thursday, 30 July 2020

क्या भूमि पूजन को पीएम मोदी अपने प्रतिष्ठा के साथ जोड़कर देख रहे है, संक्रमण को ध्यान में रखकर भूमि पूजन टाली जा सकती है

जहां पुरे उत्तर प्रदेश में संक्रमण को लेकर आम जनता जूझ रहे है और अयोध्या नगरी में इस संक्रमण को लेकर बुरा हाल है ऐसे बुरे वक़्त पर पीएम मोदी द्वारा भूमि पूजन को कहां तक सही ठहराया जा सकता है।

एक तरफ खुद मोदी सरकार un-lock 3 में धार्मिक अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगाए हुए है और दूसरी तरफ पीएम मोदी अपने सरकार के नियमों को जानबूझकर तोड़ने पर आमादा है।

http://www.indianewsreport.com/index.php/show/news/2750/july-31-2020

ऐसा नहीं है कि 5 अगस्त के अलावा पंचांग में पूरे साल भर में भूमि पूजन के लिए कोई अन्य शुभ मुहूर्त नहीं है पर पीएम मोदी के द्वारा 5 अगस्त को भूमि पूजन पर अडे रहना उनके अनपढ़ होने का सबूत देता है।

संक्रमण काल में हर विषय को अपने प्रतिष्ठा के साथ जोड़ना भी एक मूर्खता भरा कदम है जिसे किसी भी रूप में प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है।

Wednesday, 29 July 2020

क्या भारत विश्व का पहला देश जिनके पास पांच राफेल जेट विमान है

मुस्लिम देश 28 लाख की आबादी वाले #Qatar के पास 36 #Rafale हैं और Egypt के पास भी 36 और भारत के पास पांच साल बीत जाने के बाद मात्र 5 राफेल जेट जुटा पाए है।

https://t.co/vEHghJf067

लद्दाख के जिन जिन जगहों पर चीन ने अपना कब्जा जमाया हुआ है अब लगता है 5 राफेल जेट को देखकर कल दुम दबाकर भागेगा।

https://www.financialexpress.com/hindi/international-news/rafale-owned-countries-which-countries-have-rafale-indian-air-force-egyptian-air-force-qatar-air-force/2038567/

हालांकि पीएम मोदी आज भी अपने पुराने स्टैंड पर कायम है कि चीन ने देश के जमीन पर कोई कब्जा नहीं किया है,भले ही सैटेलाइट पिक्चर्स कब्जे को दिखा रहा है।

कुल मिलाकर मोदी सरकार को 5 राफेल जेट पर लंबे समय तक कवर लगाकर रखना पड़ेगा उसका कारण देश में स्क्वॉर्डन   लीडर की भारी कमी दिख रही है उसका कारण है अनेक स्क्वॉर्डन लीडर रिटायर कर चुके है।

Tuesday, 28 July 2020

भाजपा और बीजेपी आईटी सेल में भूमि पूजन को लेकर कंट्रोवर्सी ना होने के कारण घोर मायूसी

देशवासियों से मेरा निवेदन है कि राजनीति से प्रेरित भूमि पूजन को बिना किसी विवाद को होने दिया जाए।

जब से इस भूमि पूजन की घोषणा की गई तब से अधिकांश राजनीतिक दल कुछ भी प्रतिक्रिया देने से बचते रहे सिवाय AIMM के Assaudin Owasi ने जानबूझकर कुछ बातें संविधान को ध्यान में रखकर कहे।

हकीकत में इस संदर्भ में भूमि पूजन के घोषणा के बाद कोई कंट्रोवर्सी उत्पन्न ना होने के कारण बीजेपी आईटी सेल में बड़ी मायूसी छाई हुई है, उनकी मनसा यह रही कि अगर इस मामले को लेकर राजनीतिक पार्टियां अगर कंट्रोवर्सी उत्पन्न करते है तो उसका सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा।

असाउद्दीन ओवासी के साथ भाजपा का गुप्त समझौता है जो जग जाहिर है और इसी रिश्ते का फायदा भाजपा उठना चाहते है तभी AIMIM के मुखिया ने जानबूझकर भूमि पूजन को लेकर विवादित दिलवाए गया ताकि भूमि पूजन की टीआरपी बीजेपी आईटी सेल के द्वारा बढ़ाया जा सके।

इस भूमि पूजन को लेकर जितना विवाद होगा उतना ही राजनीतिक लाभ भाजपा के खाते में जाना तय है।

Sunday, 26 July 2020

मोदी_शाह के आगे बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं की इज्जत दो कौड़ी की है, राजस्थान के राज्यपाल को बनाया जा रहा है बली का बकरा



जब भाजपा का राजस्थान में हर दांव पेंच फेल हो गया तो मोदी सरकार को आगे आकर कमान थामना पड़ा और अपने गिरी हुई राजनीति को मूर्त रूप देने के लिए गवर्नर को बली का बकरा बना कर सामने खड़ा कर दिया ताकि जो भी विरोध पूरे देश में हो तो वो राज्यपाल के खिलाफ हो।

वरिष्ठ बीजेपी नेता वो गवर्नर को इस तरह से मोदी_शाह के द्वारा बली का बकरा बनाए जाने से एक बात साफ़ हो गई कि मोदी_शाह के सामने वरिष्ठ नेताओं की औकात एक पट्टा बंधे हुए कुत्ते से अधिक नहीं है।

भाजपा का लोकतंत्र से छत्तीस का आंकड़ा है उसका कारण उनके पिताश्री आरएसएस का सपना देश को हिन्दू राष्ट्र बनना है और यही कारण है आरएसएस constitution बदलना चाहते है और उसकी शुरवात संविधानिक संस्थानों और Judicary को डर और भय दिखाकर अपने कब्जे में करने की शुरवात कर चुके है।

Thursday, 23 July 2020

क्या यूपी में योगी सरकार होम आइसोलेशन को पात्रता और संक्रमित मरीजों के भरोसे से लागू करना चाहते है

भले ही उत्तरप्रदेश शासन ने आज से कोविड -19 के पॉजिटिव मरीजों के लिए घर में आइसोलेट करने की बात कर रहे है पर होम आइसोलेशन के मरीजों के देखभाल और साथ में Oximeter को प्रबंध कराने वाले मामले में चुप्पी साधे हुए है।

मोदी सरकार से लेकर योगी सरकार में एक बात बहुत की समानता है कि दोनों ही सरकार अपने - अपने निर्णय और फैसले को मीडिया के द्वारा लॉन्च करने और विज्ञापन के जरिए प्रचार पर विश्वास करती है।

हर निर्णय को एक इवेंट के तरह लॉन्च किया जाता है पर कुछ समय बीतने के बाद सब हवा हवाई हो जाता है और ना ही बाद में अपने इवेंट पर सुध लेने की जरूरत नहीं दिखते है।

यूपी में होम आइसोलेशन की पात्रता को पढ़े तो समझ में आ जाएगा कि इसे बनाए रखना आम लोगो के लिए कितनी दिक्कत की बात है और साथ में यह कहना जरुरी है योगी सरकार ने isolated मरीजों की देखरेख में कोई चिकित्सीय टीम को बड़े पैमाने में नियुक्त करने की खबर पढ़ने को नहीं मिला, बल्कि घरो में non - covid मरीजों में इस संक्रमण के फैलने को रोका नहीं जा सकेगा।

देश के आवाम को आत्मनिर्भर होने का पाठ पढ़ाने वाले पीएम मोदी आज अमरीकन कंपनियों के आगे घुटने टेक कर बैठ गए है

जब एक एक करके देश के धरोहर को बेचकर पीएम मोदी सन्यासी बन गए है और साथ में अपने गुजराती मित्रो को मजबूत कर चुके तब यह स्तिथि तो पैदा होना ही था और अब US के कंपनियों को भारत में निवेश पर स्वास्थ, इंफ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस, ऊर्जा और बीमा के लिए दावत देने का काम कर रहे है।

Narendra Modi invites U.S. firms to invest in India - The Hindu @MIUI| https://www.thehindu.com/news/national/narendra-modi-invites-us-firms-to-invest-in-india/article32165805.ece/amp/?__twitter_impression=true

देश जितना पिछले 70 सालों में विकास किया था उसे पीएम मोदी की नासमझी और गलत पॉलिसी के कारण देश को 60 साल पीछे धकेलने का काम किया, आज से 60 साल पहले देश की स्तिथि जो थी पीएम मोदी ने देश को पहुंचा चुके है

एक पुरानी कहावत है " अब पछताए का होत हैं जब चिड़िया चुग गई खेत " पीएम मोदी को इस बात का अहसास होना चाहिए कि आत्मनिर्भर का मतलब विदेशी मदद या विदेशी कंपनियों के आगे घुटना टेकना नहीं होता है।

Wednesday, 22 July 2020

उत्तर प्रदेश में होम आइसोलेशन कहीं मरीजों के लिए छलावा साबित तो नहीं होगा?

उत्तर प्रदेश की सरकार काफी दिनों बाद होम आइसोलेशन पर गंभीरता दिखाने का काम किया है, जब कि दिल्ली के अरविंद केजरीवाल सरकार ने बहुत पहले से ही होम आइसोलेशन करके लगातार मरीजों को ठीक करने का काम किया है।

दिल्ली सरकार ने जिस गंभीरता से होम आइसोलेशन पर काम किया है उसके अच्छे परिणाम दिखने लगा है। अरविंद केजरीवाल ने मुफ़्त में उन सभी मरीजों को Oxymeter meter का प्रबंध करवा चुकें जो दिल्ली सरकार के द्वारा होम आइसोलेशन किया गया है।

यूपी में भी होम आइसोलेशन की बाते बड़े जोर शोर से योगी सरकार के द्वारा किया गया है और हर भाजपा शासित सरकार वादे में कोई कमी नहीं रखते है, जिस त्वरित गती से अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में होम आइसोलेशन पर काम किया और साथ में आइसोलेशन के मरीजों को Oxymeter प्रबंध किया क्या उसी ढ़ंग और योगी सरकार इस संदर्भ में काम कर पायेगी, क्या जिले स्तर आइसोलेशन मरीजों को उतनी मात्रा में चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति आइसोलेशन वाले मरीजों का देखभाल के लिए कर पाएंगे?

योगी सरकार ने जिस तरह से होम आइसोलेशन के मुद्दे को अचानक उछला उससे तो यह लगने लगा है कि प्रदेश सरकार के पास Covid dedicated hospital का घोर अभाव है और साथ में बेड की भी कमी है और शायद उसी कारण से होम  आइसोलेशन के विषय को उछालने का काम कर रहे।

Tuesday, 21 July 2020

धर्म के नाम पर दिखावा करने वाले व्यक्ति से अयोध्या भूमि पूजन करावाकर शंकराचार्यों, संत समाज और ब्राह्मण समाज को नीचा दिखया गया

अयोध्या में राम लला के मंदिर का भूमि पूजन किसी उच्च कोटि के जनेऊधारी ब्राह्मण या साधु संत समाज के किसी संक्राचार से होना चाहिए था पर बीजेपी और आरएसएस ने एक ऐसे व्यक्ति से भूमि पूजन करवा रहे है कि जिन्हे धर्म से ज्यादा अपने झुठी बातों पर विश्वास है। 

आरएसएस और बीजेपी इस प्रकार के व्यक्ति से भूमि पूजन करवाकर ब्राह्मण और साधु समाज का घोर अपमान करने का काम किया है।

इस प्रकार की आरएसएस और भाजपा की चाटुकारिता निश्चित रूप से हिन्दू धर्म के लिए घातक सिद्ध होगा। इस प्रकार के धर्म विरोधी निर्णय एक राजनीतिक षड़यंत्र के पूर्ति के लिए किया गया है।

गौरतलब है कि पिछले छह सालों में पीएम मोदी एक बार भी अयोध्या नहीं गए और ना ही राम जी के आगे शीश तक नहीं झुकाया है।

Wednesday, 15 July 2020

सामुद्रिक लुटेरे ( Sea pirates ) समुद्र में लूटपाट करते है और बीजेपी सत्ता के लिए लूटपाट कर रहे है

किसी भी इंसान को महुत्वकांक्षी ( ambitious ) होना बुरी बात नहीं है पर अतीमहुत्वकांक्षी होना कभी कभी किसी को डुबो ने का भी काम करती है और यही हाल अपने अपने पिता के विरासत में मिले ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के साथ हुआ है।

https://khabar.ndtv.com/news/india/rajasthan-crisis-why-sachin-pilot-adopts-soft-approach-towards-congress-2263046

कांग्रेस में रहकर बहुत नेताओं ने उस कद को छू नहीं पाए जो सिंधिया और पायलट को प्राप्त किया, इन दोनों का गुरूर उनके कद को बढ़ाने की जगह अपने राजनीतिक कैरियर को अंधकार में डाल चूकें है।

इन दिनों नेताओं में एक समनता देखने को मिला कि वो दोनो ने अपने पिता द्वारा छोड़े गए विरासत को अपने पैरों से कुचलने का काम किया है और साथ में अपने माथे पर जयचंद की मोहर लगा लिया।

दिनों नेताओं ने भाजपा के द्वारा बिछाए गए जाल में इस तरह से फंसे जैसे कोई बहेलिया पंक्षीयों को फंसाने का काम करते हैं। जब से रंगा और बिल्ला ने भाजपा पर कब्जा जमाया है तब से पार्टी एक सामुद्रिक लुटेरे ( Sea pirates ) में परिवर्तित हो चुकी है।

सामुद्रिक लुटेरे समुद्र में लोगों को लूटने में काम करते है और बीजेपी भी सत्ता को लूटने के काम पर ही जुटे हुए है।

Tuesday, 14 July 2020

भाजपा के लिए चाल, चेहरा और चरित्र अब इतिहास की बातें है

कांग्रेस का ही देन है ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट और कांग्रेस ने ही इन्हे नेता बनया है और दोनों नेताए बीजेपी के भीख के आगे अपने जमीर को बेचने में लग गए, यह दोनों नेताओं ने जिस थाली में खाया उसी थाली में पिसाब कर दिया।

https://aajtak.intoday.in/story/sachin-pilot-deputy-cm-post-dismissed-congress-says-party-give-him-a-lot-a-short-age-1-1210031.html

दूसरी तरफ मोदी ने बीजेपी के सभी वरिष्ठ नेताओं के अस्तित्व को मिटा दिया है और अपने आगे किसी को नेता बनने नहीं दिया और यहां तक राजनाथ सिंह को किनारे लगा कर रखा हुआ है।

आज बीजेपी के नेता और मंत्रियों को मोदी और शाह ने सभी को विधवा बना कर रखा हुआ है। बीजेपी में मोदी के सामने सभी नेता और मंत्रियों की हैसियत केवल काठ के उल्लू जैसा है और सभी को तड़ीपार का खौफ 24X 7 लगा रहता है।

Saturday, 4 July 2020

लेह से लद्दाख की दूरी मात्र 250 km. है फिर भी पीएम मोदी ने गलावन घाटी तक पहुंचने का साहस नहीं दिखया

कम से कम उस जगह पीएम मोदी को पहुंचना चाहिए था जिस जमीन पर बीस भारतीय जवान शहीद हुए थे।

जब पीएम मोदी यह कह चुके है कि गलावन घाटी में कोई कब्जा नहीं हुआ है तो अपने सरजमीन में पहुंचने का साहस क्यों नहीं दिखाया है।

https://www.jansatta.com/national/fake-hospital-set-pm-modis-leh-visit-heres-need-know/1457507/

यह जानना जरूरी है कि क्या पीएम मोदी 11000 फीट की ऊंचाई तक पैदल पहुंचे थे, अगर पैदल गए होंगे तो उसका वीडियो को पीएम के द्वारा रिलीज करना चाहिए था।

बीजेपी आईटी सेल पीएम मोदी को अनर्गल रूप से महामंडित करने में लगे है जब कि पीएम मोदी के उस फर्जी फोटो की चर्चा नहीं किया जिसमें फोटो खिंचवाने के लिए अस्पताल का नाटक करना पड़ा था।

Friday, 26 June 2020

मोदी सरकार की कुबत चीन से लडने की नहीं है तभी कांग्रेस के साथ नुरा कुस्ती और गड़े मुर्दे उखाड़ने में लगे है

मोदी सरकार जब चीन के साथ लड़ने में बेहाल हो गए तो अपने कमियों और असफलता से ध्यान भटकाने के लिए कांग्रेस के राजीव गांधी फाउंडेशन के पुराने फाइल से धूल हटाने का काम कर रहे है। 

भाजपा की राजनीतिक मंसा है कि चीन के मामले में लोगो को सही जानकारी ना दिया जाए बल्कि इसके बदले कांग्रेस पर नए नए आरोप लगते रहो और बीजेपी आईटी सेल और गोदी मीडिया के सहारे कांग्रेस के उपर लगे आरोपों पर चर्चा जारी रखो।

सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि जिस भूमि पर 20 सेना के जवानों ने अपना शहादत दिया था आज उसी भूमि पर चीन की सेना तम्बू गाढ़े हुए है जिसे Sattelite तस्वीरों के जरिए देखा जा सकता है पर मोदी सरकार इन तस्वीरों से अपना पल्ला झाड़ने में लगे है।

मोदी सरकार को चीन के सामरिक शक्ति का अंदाजा है और चीन पाकिस्तान नहीं है यह भी वो अच्छे तरह से समझ रहे है तो भलाई इसमें है चीन से पंगा ना लिया जाए और कांग्रेस के खिलाफ आरोप का दौर को चालू रखा जाए।

Wednesday, 24 June 2020

[ लाला रामदेव की Covid 19 की दवा की अन्तर्राष्ट्रीय जांच होनी चाहिए ]

बाबा रामदेव ने कोई सार्थक प्रयास कोरोना मरीज के लिए किया है या अपने धंधे पानी के लिए किया है यह बताना मुश्किल है । चूंकि Covid 19 अब panademic बन चुका है इस दवा की authenticity और इंटरनेशनल लैब से परीक्षण होना जरुरी है और साथ में WHO का reccomendation होना भी आवश्यक है।

जिस यूनिवर्सिटी का reference दिया जा रहा है क्यो वो यूनिवर्सिटी मेडिकल साइंस से जुड़ा हुआ है, क्या उनके अपने हॉस्पिटल है जहां Clinical trail किया गया है।

हजारों मरीज इस रोग से ठीक हो चुके है उसका कारण symptomatic ट्रीटमेंट किया गया है और हजारों के तादाद में मरीजों के मौत की खबर भी आ चुका है जहां symptomatic treatment बुरी तरह से फेल हो चुका है।

बाबा रामदेव के दावे को इसलिए नहीं मानना चाहिए क्यों की उनके पास कोई चिकित्सा से जुड़े कोई डिग्री नहीं है अगर कोई औषधि से जुड़े वैज्ञानिक दावा करता तो बात समझा जा सकता है।

Tuesday, 23 June 2020

भारत और चीन में रोजाना बैठक यह साबित करता है कि पीएम मोदी ने झूठा बयान दिया था, अब यथास्थिति की बातें क्यों ?

भारत और चीन के कोर कमांडर के बीच पिछले दो दिन से कई बैठकों की दौर शुरू हो चुकी है , भारत की मांग है कि LAC में मई के पहले यथास्थिति बरकरार हो।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4238051222886750&id=100000457432810

भारतीय अखबार उसी खबरों को वरीयता से छाप रहे है जो मोदी सरकार मीडिया को मुहैया करवा रहे है। सही पूछे तो पीएम मोदी की विश्वसनीयता ने निचले स्तर पर तब पहुंच गई जब वो अपने गिरते हुए छवि को संभालने के प्रयास में चीन को क्लीन चिट दे दिया।

पीएम मोदी के कहे गए बातों को ध्यान से सुने तो यह पता चलता है कि चीन के कब्जे में देश का एक छटाक जमीन नहीं है पर हकीकत को Sattelite pictures ने खोल कर रख दिया जिसमे बहुत सा हिस्सा चीन के कब्जे जा चुकी है।

देश कितने सुरक्षित हाथों में है इसका पता तो दोनों देशों के आर्मी के बीच लगातार बैठकों से पता चल रहा है, गलवान घाटी में अगर 20 जवानों की शहादत  नहीं हुई होती और चीन के कब्जे में देश की जमीन नहीं गई होती तो आज मोदी सरकार बीरबल के खिचड़ी पकाने की तरह होती।

यह समझना जरूरी है कि बीजेपी के 300 लोकसभा सीटों का जितना और देश को चलना एक समान नहीं है, मोदी सरकार में घोर अनुभव की कमी है जो दिखने लगी है।

Monday, 22 June 2020

पीएम मोदी गलवान को लेकर झूठ बोलकर बुरे फंसे, दूसरी तरफ चीन ने पीएम की बातों का समर्थन किया

किसी भी देश का प्रधान मंत्री अगर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर झूठ बोले तो पूरा देश शर्मसार हो जाती है और साथ में दुनिया भर में एक गलत मेसेज चली जाती है कि देश का स्तर कितना गिरा हुआ है।

https://www.abplive.com/news/india/rahul-gandhi-says-why-china-is-praising-narender-modi-even-after-this-clash-with-india-1438808

इन सब बातो की परवाह किए बिना जिस तरह पीएम मोदी ने देश और दुनिया के सामने चीन के द्वारा गलवान घाटी पर कब्जा जमाने की बात को इंकार किया वो सदी का सबसे बड़ा झूठ तब साबित हुआ जब सैटेलाइट की तस्वीरों ने कब्जा होने की पुष्टि की।

अगर किसी प्रकार की कोई जमीन का कब्जा चीन द्वारा नहीं की गई और ना ही चीन द्वारा LAC का कोई अतिक्रमण किया गया तो फिर पिछले दिन किस बात को लेकर दोनों देशों के कोर कमांडर की बैठक क्यों बुलाई गई।

कथित बैठक के बाद मोदी सरकार ने चीन को चेताया कि जब तक गलवान, पैंगोंग त्सो और हॉट स्प्रिंग पर जब तक 2 मई से पहले वाली स्तिथि नहीं लौटती है तब तक LAC पर हालत नाजुक बनी रहेगी।

उक्त बैठक ने पीएम मोदी की झूठी बातो का पोस्टमॉर्टम कर दिया अगर कोई कब्जे वाली घटना हुई नहीं फिर उस प्रकार की बैठक क्यों आयोजित की गई।

Saturday, 20 June 2020

पीएम मोदी और उनके मंत्रियों के USP उनके झूठी बातों पर टिका हुआ है, झूठ बोलना मोदी सरकार की परम्परा बन चुकी है

https://www.satyahindi.com/opinion/indian-soldiers-went-unarmed-in-galwan-110966.html

चीन को लेकर पीएम मोदी और उनके मंत्रियों की BRAIN MAPPING की जरूरत आ चुकी है ताकि देश के लोगो को सच्चाई का पता चल सके। इनके द्वारा जारी किए गए किसी भी बयान को उनके face value में नहीं लेना चाहिए बल्कि इनके बातों को तर्क के तराजू में तौलना जरूरी है।

मोदी सरकार भारतीय सेना को बिना किसी अस्त्र शस्त्र को शरहद की रखवाली के लिए क्यों भेजा था इसका कोई तर्कपूर्ण जवाब आज तक देश को पीएम मोदी या रक्षा मंत्री नहीं दे पाएं है , अगर भारत और चीन के बीच के संधी को पढ़े तो उसमे यह नहीं लिखा गया कि दोनों सेना अपने अपने शरहद बिना किसी हथियार के ही रखवाली करेंगे।

क्या किसी ने सुना है कोई भी देश अपने शरहद की रक्षा बिना हथियार को साथ में लिए बिना करता है पर इस प्रकार का बेवकूफी भरा कदम केवल और केवल मोदी सरकार ही के सकते है।

Friday, 19 June 2020

देश की ज़मीन जाये तो जाये पर पीएम मोदी का सिर नही झूकना चाहिये क्यों कि वे देश से उपर है

पीएम मोदी के बयान से संकेत मिलता है कि भारत चीन की गैलन घाटी और पैंगोंग झील में यथास्थिति बदलने के लिए तैयार है और तभी इन जगहों से देश का हक छोड़ दिया

https://twitter.com/ANI/status/1274004649230479360?s=19

निर्जन क्षेत्रों पर कब्जा करके, चीन ने उन क्षेत्रों में भारत की गश्त पर रोक लगा दी है और भारतीय सुरक्षा की अनदेखी करके अपने खूंटी गड़ने में सफल हुए और साथ में पीएम मोदी कब्जा किए गए जमीन को चीन को गिफ्ट में दिया है।

जिस तरह का बयान पीएम मोदी ने टीवी के जरिए प्रचार किया है उससे लग रहा पीएम विवादित जमीन का सर्वे खुद करके आएं हो, पीएम मोदी को इस प्रकार की महुत्वपुर्ण जानकारी क्या सेना अध्यक्ष ने दिया अगर सेना अध्यक्ष ने दिया है तो पीएम मोदी ने पिछले चालीस दिन में किस कारण देश के लोगो को  यह जानकारी नहीं दिया।

यह भी चौंकाने वाली बात है जिस खुलासे को पीएम मोदी ने चालीस दिन बाद किया इस खबर को सेना अध्यक्ष ने अपने से देश की जनता के सामने क्यों नहीं रखा, जब की बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी इंडियन एयरफोर्स ने दिया था।

पीएम मोदी का चीन से अखंड प्रेम कोई नई बात नहीं है, गुजरात के मुख्यमंत्री काल में चीन में चार बार दौरा कर चुके है

चीन ने हमारे 10 सैनिकों को POW जारी किया है। क्यों @PMOIndia सरकार ने झूठ बोला कि कोई भी भारतीय सैनिक कैद में नहीं था?

https://www.satyahindi.com/amp/india/rahul-gandhi-asks-why-soldiers-sent-unarmed-to-martyrdom-in-galwan-valley-clash-110938.html?__twitter_impression=true

हमारे सैनिकों को क्यों विस्थापित किया गया? भारत के अपमान और 20 सैनिकों के मारे जाने का बदला लेने के लिए मोदी सरकार ने क्या कार्रवाई की है?

दिलचस्प बात यह है जब पीएम मोदी बीस शहीदों को अपनी खोखली श्रृद्धांजलि अर्पित कर रहे तब उनकी हिम्मत नहीं हुई की एक बार भी चीन के कायराना हमले की निन्दा अपने मुंह से कर सकें, इस बात से पता चलता है कि पीएम मोदी का प्रेम अभी भी चीन से बना हुआ है।

देश के प्रधान मंत्री का सेना के जवानों को लेकर बिना रुके झूठ बोलना एक अत्यन्त शर्मनाक कृत है । सेना के जवानों को लेकर झूठ बोलने से पता चलता कि पीएम मोदी के लिए भारतीय सेना के जवानों की मृत्यु उनके लिए एक राजनीतिक खुराक है जिसे वो चुनाव के समय भुनाने की कोशिश करते है।

Tuesday, 16 June 2020

क्या कोरोना संक्रमण से ध्यान हटाने के लिए चीन और मोदी सरकार की तरफ से कोई बड़ा खेल खेला जा रहा है?

जब जब पीएम मोदी और उनकी सरकार किसी मुद्दे पर घिर जाते है तब तब भाजपा और सरकार की तरफ से नए नए कहानियों के सृजन में लग जाते है ताकि मुख्य मुद्दो से लोगो का ध्यान भटकाया जा सके।

https://www.jansatta.com/national/chinese-company-shanghai-tunnel-engineering-co-ltd-bags-rs-1126-cr-ug-package-4-of-delhi-meerut-rrts-corridor/1439385/

पूरे विश्व के द्वारा कोरोना संक्रमण को फैलाने के आरोप चीन पर लगते रहे और पूरे मुद्दे को दूसरी दिशा में ले जाने के लिए पिछले  7 मई को अपने रणनीति के तहत भारत के भूमि पर कब्जा जमाने की नियत से लद्दाख के 60 वर्ग किलोमीटर घुस आए।

चीन के द्वारा जमीन को हथियाने की बात को मोदी सरकार ने जानबूझ कर नजरंदाज इसलिए किया ताकि आगे चलकर लोगो का ध्यान बढ़ते संक्रमण से हटाया जा सके।

कहते है सब्र का फल मीठा होता है और लद्दाख में दोनों देशों के जवानों का आपस में भिड़ना भी दोनों देशों के रणनीति को उजागर करता है। शुरवात में मीडिया द्वारा यह खबर फैलाया गया कि एक कर्नल और दो जवान शहीद हुए है पर रात में ANI द्वारा बीस जवान के शहीद होने की खबर भी मिली।

जिस समय चीन द्वारा जमीन को कब्जाया गया था उसी दौरान मोदी सरकार ने बड़े लंबे पैमाने पर चीन के किसी कंपनी के साथ टनल खोदने के लिए चीन के साथ व्यवपारिक समझौता करने में लगे थे और इसी समझौते के कारण चीन द्वारा जमीन कब्जा पर चुप्पी साधे रहे।

इसके अलावा चीन के साथ अनेकों अनेक ट्रेड समझौता हो चुका है और देश के लोगो को आत्मनिर्भर और चीन निर्मित समनो के बहिष्कार करने का उपदेश आरएसएस और भाजपा देते आ रहे है।

देश में बढ़ते संक्रमण को पीछे धकलने और इस संक्रमण में अपने विफलताओं को छुपाने के लिए गोदी मीडिया दिन रात जवानों के शहीद होने पर चर्चा चलाते रहेंगे।

यूपी में भ्रष्टाचारियों के साथ सरकार का क्या रिश्ता है

सुनने में आ रहा है एसएसपी साहब का तबादला हो गया ।। होना ही था। भर्ती की धांधली को उजागर करने के एवज में कुछ तो गिफ्ट मिलेगा ही तो मिल गया और अगर अभी भी किसी को शक है कि भर्ती में धांधली नहीं हुई है तो ईश्वर से दुआ है कि उसके मस्तिष्क में थोड़ी सी सद्बुद्धि आ जाए ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=134045368314034&id=100051257144530

क्या उन एसएसपी साहब की ये गलती थी कि उन्होंने इस भर्ती की धांधली को उजागर किया जिसके कारण उनका तबादला करके वेटिंग लिस्ट में डाल दिया गया। क्या आज के इस युग में ईमानदारी की कोई जगह नहीं रह गई है ईमानदारी सिर्फ किताब और भाषण में ही रह गई है क्या ?

जिस सरकार को ज़ीरो टॉलरेंस पे काम करना था कि भ्रष्टाचार ना हो इस सरकार ने एक ऐसे एसएसपी जिसने भर्ती की धांधली का भंडाफोड़ किया उसे इनाम स्वरूप वेटिंग लिस्ट में डाल दिया। क्या अभी भी आपको लगता है कि इस भर्ती में धांधली नहीं हुई है ।

एक अधिकारी जो जनता की छोटी सी छोटी शिकायत का संज्ञान लेता था , जिसने 69000 शिक्षक भर्ती में घोटाले का पर्दाफाश किया , उसे इनाम के रूप में ट्रांसफर के साथ प्रतीक्षारत की सूची में डाल दिया जाता है ।

जय हो योगी सरकार । राम राज्य है भैया ।

Monday, 15 June 2020

उच्चतम न्यायालय के नोटिस के कारण अमित शाह को आगे आकर मीडिया में खबरों के लिए ड्रामे बाजी करना पड़ा

कोरोना संक्रमण को लेकर मोदी सरकार में शुरू से ही कोई विशेष गंभीरता देखने को नहीं मिला बल्कि लॉक डाउन के समय काल में भाजपा ने अनेक प्रकार की नीच राजनीति करते दिखे जिसमें कभी जमात के साथ साथ गैर भाजपा शासित पर बराबर उंगली उठाते रहे।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=572953816985971&id=100028140732344

गृहमंत्री अमित शाह को कोई सपना नहीं आया था कि दिल्ली में बढ़ते संक्रमण के लिए दिल्ली के लिए केवल सर्वदलीय बैठक करे और वो भी 84 दिन बाद, बल्कि गृह मंत्री के पीछे का दबाव दिल्ली उच्च न्यायालय पर इस संक्रमण को लेकर मामला वजह बनी।

दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भेजे गए वो नोटिस भी रही जिसमें प्रबंधन को लेकर शीर्ष अदालत रोष प्रकट किया था। दिल्ली चूंकि केंद्र शासित होने के कारण मोदी सरकार का भी जिम्मेदारी है कि प्रबंधन कामो पर ध्यान दे पर संक्रमण में जो आर्थिक मदद दिल्ली को मिलनी चाहिए उसे भी नहीं दिया गया ।

चौरासी दिन बाद अमित शाह ने टेस्टिंग संख्या को बढ़ाने, बेड की संख्या को बढ़ाने और जांच के कीमतों में कमी के लिए घोषणा किया पर दूसरे भाजपा शासित राज्यों में इसे लागू करने स पीछे रह गए।

गृह मंत्री का 84 दिन बाद LNJP अस्पताल जाना और फोटोशूट करवाना भी सवालों के घेरे में है, आखिर गृहमंत्री MCD हस्पतालों में क्यों नहीं गए जो भाजपा द्वारा संचालित है।

Sunday, 14 June 2020

मोदी सरकार बड़े पैमाने में संक्रमण की जांच करवाने से भाग रहे है, पीएम मोदी और मुख्यमंत्रियों का बैठक समस्या का हल नही

जिस प्रकार हाल में उच्चतम न्यालय ने गैर भाज शासित राज्यों को लेकर Corona के प्रबंधन कार्यों को लेकर मीडिया रिपोर्ट को आधार मानकर ऐसे राज्यों को नोटिस भेजा है उससे एक बात साफ हो चुकी है मोदी सरकार का दबाव अब न्याय पालिका में भी असर दिखने लगा है।

गौरतलब है कि पीएम मोदी का लॉक डॉउन बुरी तरह से पिट चुका है उसकी वजह शुरू के दौर पर गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली ही रही , नमस्ते ट्रंप और भाजपा के एमपी के लिए एमएलए के मार्केटिंग मुख्य वजह बनी।

उच्चतम न्यायालय मीडिया में छपी खबरों को आचार मानकर   निश्चित रूप से गैर भाजपा शासित राज्य के प्रबंधन को लेकर त्रुटियां दिखा है पर हैरान करने वाली बात यह है कि शीर्ष अदालत ने देश में बेतहाशा रूप से बढ़ते हुए संक्रमण को लेकर ना तो कोई चिंता जताई है और ना ही इस संक्रमण के विकास की रोकथाम के लिए आयोग गठन के लिए कोई सुझाव रखा है।

मौजूदा समय पर Covid टेस्ट हर प्रदेश में बड़े पैमाने की जरूरत है और इस मामले में शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया ताकि बड़े पैमाने पर संक्रमण की जांच राज्यों के जिले स्तर पर हो और जो निर्धारित समय पर पूरा किया जा सके।

Friday, 12 June 2020

कोरोना संक्रमण को लेकर पीएम मोदी की नहीं दिखी कोई गंभीरता, उल्टे सीधे निर्णय के कारण देश का हुआ बुरा हाल

अगर ध्यान से देखा जाए तो पीएम मोदी और उनकी सरकार कोरोना संक्रमण को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया बल्कि इस संक्रमण की आड़ में भाजपा ने तब्लीगी जमात के लोगो को लेकर जमकर राजनीति की और धन उगाही के लिए PM Care Fund नामक एक फर्जी संघटन का निर्माण किया जिस पर सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है।

https://www.jjpnews.com/british-newspaper-revealed-the-strategy-of-prime-ministers-lockdown/

पीएम मोदी का कहना है कि देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई में फरवरी के महीने से स्क्रीनिंग हो रही थी तो फिर संक्रमण को देश में घुसेड़ा किसने। पीएम पद में रहने के बावजूद उन्हें यह जानकारी नहीं है कि थर्मल स्कैनिंग Covid 19 का पुख्ता जांच नहीं है अपितु थर्मल स्कैनिंग बुखार नापने का यंत्र है।

इस संक्रमण को लेकर मोदी सरकार ने National Disastar Act को पारित किया ताकि राज्यों पर lock down की जिम्मेदारी सौंप कर चैन की बंसी बजा सके और दिल्ली को छोड़कर सभी बीजेपी शासित राज्यों को भारी रकम देने का काम किया ताकि भाजपा शासित राज्य मालामाल हो सके।

जब पीएम मोदी कोरोना से थक गये तब भाजपा अपने गंदे राजनीति के जरिए गैर भाजपा प्रदेशों के बढ़ते संक्रमण और मौत पर अपने घटिया राजनीति का सहारा लिया। 

बढ़ते संक्रमण काल में मोदी सरकार का #VirtualRally ने इस रोग के प्रति गंभीरता का पोल खोल कर रख दिया है।

उच्चतम न्यायलय जब स्वत संज्ञान ले रहे थे तब भाजपा शासित राज्यों और केंद्र सरकार पर संज्ञान लेने से क्यों डर गए

आम जनता का मानना है कि उच्चतम न्यायायलय ने पहले स्वत: संज्ञान लिया..तो मजदूरों को घर पहुंचाने से लेकर नौकरी देने तक की जबाबदेही राज्यों पर थोप दी और केंद्र सरकार को बचा ले गए। शीर्ष अदालत ने मजदूरों के रेल भड़ा का जिम्मा मोदी सरकार पर ना डालकर राज्य सरकार पर डाल दिया था।

https://t.co/ep72cD4MKO?amp=1

शीर्ष अदालत ने दूसरी बार स्वत: संज्ञान लिया.. तो माई-लॉर्ड की नजर सिर्फ दिल्ली बंगाल और तमिलनाडु पर गई और भाजपा शासित राज्यों से अपना ध्यान हटा लिया। 

जब गुजरात के उच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार की सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा पर जोरदार हमला बोला तो बेंच के न्यायाधीशों को मोदी सरकार ने बदल दिया।

पर सुप्रीम कोर्इ ने गुजरात के बेंच के जजो को बदलने पर कोई स्वत संज्ञान नहीं लिए बल्कि मौजूदा स्वत संज्ञान मामले में एक बार भी केंद्र या भाजपा शासित सरकार को कमियों पर चुप्पी साधे रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते समय गोदी मीडिया में छपी खबरों को आधार माना, दिल्ली में #कोरोना के सबसे ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं, लेकिन माई-लॉर्ड पूछ रहे हैं.. यहां टेस्ट कम क्यों हो रहे हैं पर भाजपा शासित राज्यों में टेस्ट के दरो पर कोई सवाल नही किया।

युपी, बिहार, मध्य प्रदेश और हरियाणा का नाम लेने से माई-लॉर्ड को डर क्यों लगता है.?