भारत और चीन के कोर कमांडर के बीच पिछले दो दिन से कई बैठकों की दौर शुरू हो चुकी है , भारत की मांग है कि LAC में मई के पहले यथास्थिति बरकरार हो।
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भारतीय अखबार उसी खबरों को वरीयता से छाप रहे है जो मोदी सरकार मीडिया को मुहैया करवा रहे है। सही पूछे तो पीएम मोदी की विश्वसनीयता ने निचले स्तर पर तब पहुंच गई जब वो अपने गिरते हुए छवि को संभालने के प्रयास में चीन को क्लीन चिट दे दिया।
पीएम मोदी के कहे गए बातों को ध्यान से सुने तो यह पता चलता है कि चीन के कब्जे में देश का एक छटाक जमीन नहीं है पर हकीकत को Sattelite pictures ने खोल कर रख दिया जिसमे बहुत सा हिस्सा चीन के कब्जे जा चुकी है।
देश कितने सुरक्षित हाथों में है इसका पता तो दोनों देशों के आर्मी के बीच लगातार बैठकों से पता चल रहा है, गलवान घाटी में अगर 20 जवानों की शहादत नहीं हुई होती और चीन के कब्जे में देश की जमीन नहीं गई होती तो आज मोदी सरकार बीरबल के खिचड़ी पकाने की तरह होती।
यह समझना जरूरी है कि बीजेपी के 300 लोकसभा सीटों का जितना और देश को चलना एक समान नहीं है, मोदी सरकार में घोर अनुभव की कमी है जो दिखने लगी है।
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