बिहार में बढ़ते संक्रमण को रोकने और बाढ़ पीड़ितो को राहत सामग्री ना पहुंचाने के कारण नीतीश और बीजेपी सरकार की बड़ी फजीहत बिहार में देखने को मिल रहा है।
और इन मुद्दों से पीछा छुड़ाने और गंभीर विषयों से पल्ला झाड़ने के लिए नीतीश और मोदी सरकार को सुशांत सिंह के मौत का दर्द 50 दिन बाद याद आया है।
पचास दिन बाद भाजपा ने सुशांत सिंह के पिता पर दबाव बनाकर जबरियन एक एफआईआर दर्ज करवाया है और उस FIR के आड में अपने गोदी मीडिया के सहारे दो प्रदेशों के बीच दरार पैदा कर दिया है।
सुशांत के पिता ने एक भी एफआईआर घटना वाले थाने के अन्तरगत दर्ज नहीं कराया है, उनसे पूछा जाना चाहिए कि किसके दबाव में उन्होंने मुंबई में एफआईआर नहीं कराया है।
हकीकत यह है नीतीश और बीजेपी सरकार एक तीर से दो निशाना साधना चाहते है, भाजपा एक तीर से उद्धव ठाकरे की सरकार को सुशांत के मामले को लेकर घेरना चाहते है और दूसरी तरफ बिहार में अपने असफलताओं को छुपाना चाहते है।
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