Monday, 14 December 2020

पश्चिम बंगाल में अपराध और कानूनी व्यवस्था के मामले में उत्तरप्रदेश से बहुत बेहतर

अपराध के मामले में यूपी अपने पीएचडी का दर्जा प्राप्त कर चुका है और दूसरी तरफ बंगाल में चुनाव के पूर्व मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाने का मतलब चुनाव से पहले भाजपा अपने हार को स्वीकार करने जैसा होगा।

मोदी सरकार अगर बीजेपी प्रायोजित पत्थरबाजी के आधार पर पश्चिम बंगाल की एक चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास करेगी तो निश्चित रूप से इसे उच्च अदालत पर चुनौती दिया जायेगा। ध्यान देने वाली बात यह है मोदी सरकार ने उत्तरंचल सरकार को गिराया था लेकिन बाद में मोदी सरकार को मुंह की खानी पड़ी थी।

अगर राज्यपाल के रेक्कोमेंडेशन से सरकार गिरा सकते तो आजतक सभी गैर भाजपा शासित राज्यों के राष्ट्रपति शासन होता लेकिन उच्च अदालतों के कुछ ज़मीर बचे होने के कारण अनर्गल रूप से जनता द्वारा चुने गए सरकार को गिराना आसान नहीं है।

यह बात सही है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर होती है पर कानूनी व्यवस्था तो उत्तर प्रदेश ढूंढने पर नहीं दिखाई देता है, यूपी में जिस प्रकार से बीजेपी के समर्थक एक आईपीएस रैंक के एसपी को मारने में कामयाब होते है तो इस प्रकार का दृश्य कम से कम बंगाल में नहीं देखने को मिला है।

अपराध को ध्यान में रखते हुए यह बात कही जा सकती है कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश अपराध के मामले पीएचडी कर चुके है और बंगाल में जो भी घमासान देखने को मिल रहा है वो 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के प्रायोजित दंगे के कारण हो रहा है।

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