किसी भी इंसान को महुत्वकांक्षी ( ambitious ) होना बुरी बात नहीं है पर अतीमहुत्वकांक्षी होना कभी कभी किसी को डुबो ने का भी काम करती है और यही हाल अपने अपने पिता के विरासत में मिले ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के साथ हुआ है।
https://khabar.ndtv.com/news/india/rajasthan-crisis-why-sachin-pilot-adopts-soft-approach-towards-congress-2263046
कांग्रेस में रहकर बहुत नेताओं ने उस कद को छू नहीं पाए जो सिंधिया और पायलट को प्राप्त किया, इन दोनों का गुरूर उनके कद को बढ़ाने की जगह अपने राजनीतिक कैरियर को अंधकार में डाल चूकें है।
इन दिनों नेताओं में एक समनता देखने को मिला कि वो दोनो ने अपने पिता द्वारा छोड़े गए विरासत को अपने पैरों से कुचलने का काम किया है और साथ में अपने माथे पर जयचंद की मोहर लगा लिया।
दिनों नेताओं ने भाजपा के द्वारा बिछाए गए जाल में इस तरह से फंसे जैसे कोई बहेलिया पंक्षीयों को फंसाने का काम करते हैं। जब से रंगा और बिल्ला ने भाजपा पर कब्जा जमाया है तब से पार्टी एक सामुद्रिक लुटेरे ( Sea pirates ) में परिवर्तित हो चुकी है।
सामुद्रिक लुटेरे समुद्र में लोगों को लूटने में काम करते है और बीजेपी भी सत्ता को लूटने के काम पर ही जुटे हुए है।
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