देश में 3 कृषि कानून ऐसे है जो किसानों के हित की जगह मोदी सरकार के कुछ पूंजीपतियों के हित के लिए गया। अगर कृषि कानून किसान और आम जनता के हित में ना होकर पूंजीपतियों के हित में तो किसानों के द्वारा आन्दोलन जायज है।
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मोदी सरकार किसान संगठनों के साथ क्यों बैठक करना चाहते है यदि कृषि कानून किसानों के हित में है। किसानों के साथ नए सिरे से बैठक करके मोदी सरकार खुद साबित कर रहे है कि तीनों कृषि कानून में भारी लोचा है।
मोदी सरकार के अंहकारी और हटधर्मिता के कारण किसान आन्दोलन की गूंज विदेशों में सुनने को मिलने लगे है और तमाम देश के प्रधान लोगो के इस आन्दोलन को लेकर प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है और जिस कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि धूमिल होती जा रही है।
अगर किसान आन्दोलन दस या पंद्रह दिन तक और खीच गई तो अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में देश के साथ साथ पीएम मोदी के अंतर्राष्ट्रीय छवि धूमिल हो जायेगी और साथ में अनेक देशों के प्रधानों को बोलने का मौका और अवसर मिल जायेगा।
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