कोरोना संक्रमण को लेकर मोदी सरकार में शुरू से ही कोई विशेष गंभीरता देखने को नहीं मिला बल्कि लॉक डाउन के समय काल में भाजपा ने अनेक प्रकार की नीच राजनीति करते दिखे जिसमें कभी जमात के साथ साथ गैर भाजपा शासित पर बराबर उंगली उठाते रहे।
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गृहमंत्री अमित शाह को कोई सपना नहीं आया था कि दिल्ली में बढ़ते संक्रमण के लिए दिल्ली के लिए केवल सर्वदलीय बैठक करे और वो भी 84 दिन बाद, बल्कि गृह मंत्री के पीछे का दबाव दिल्ली उच्च न्यायालय पर इस संक्रमण को लेकर मामला वजह बनी।
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भेजे गए वो नोटिस भी रही जिसमें प्रबंधन को लेकर शीर्ष अदालत रोष प्रकट किया था। दिल्ली चूंकि केंद्र शासित होने के कारण मोदी सरकार का भी जिम्मेदारी है कि प्रबंधन कामो पर ध्यान दे पर संक्रमण में जो आर्थिक मदद दिल्ली को मिलनी चाहिए उसे भी नहीं दिया गया ।
चौरासी दिन बाद अमित शाह ने टेस्टिंग संख्या को बढ़ाने, बेड की संख्या को बढ़ाने और जांच के कीमतों में कमी के लिए घोषणा किया पर दूसरे भाजपा शासित राज्यों में इसे लागू करने स पीछे रह गए।
गृह मंत्री का 84 दिन बाद LNJP अस्पताल जाना और फोटोशूट करवाना भी सवालों के घेरे में है, आखिर गृहमंत्री MCD हस्पतालों में क्यों नहीं गए जो भाजपा द्वारा संचालित है।
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