संविधान में एक प्रोटोकॉल बनया गया है कि जब कभी भी एक प्रांत की पुलिस दूसरे प्रांत में किसी मुल्जिम के खोज में या गिरफ्तार करने के नियत से जाते है तो उसके पूर्व खोजी पुलिस संबंधित राज्य के पुलिस से बात चीत के साथ उन्हें आत्मविश्वास में लेना पड़ता है।
सुशांत सिंह राजपूत को लेकर बिहार पुलिस का अचानक मुंबई में प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए मुंबई पहुंचना भाजपा और नीतीश कुमार सरकार की दादागिरी को दर्शाता है।
श्री उद्धव ठाकरे की सरकार के बिना अनुमती के बिहार पुलिस के मुंबई पहुंचने वाले मामले को बिहार सरकार ने हलके में लिया था।
बिहार पुलिस का प्रोटोकॉल को तोड़ने का मतलब यह है कि भाजपा और जदयू के लिए उनकी दादागिरी के आगे संविधान और देश के कानून का कोई मतलब नहीं है।
बिहार पुलिस का मुंबई जाने के पीछे की वजह उस एफआईआर से है जिसके तहत सुशांत सिंह के पिता ने 50 दिन बीत जाने के बाद दर्ज कराया था।
मजे की बात यह है कि ईडी भी उसी FIR पर जांच कर रहे है तो फिर बिहार पुलिस किस काम के लिए मुंबई पहुंचना पड़ा।
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