अर्नब गोस्वामी द्वारा आत्महत्या के लिए उसकाने वाले मामले की घटना कोई पिछले वर्ष की बात नहीं है बल्कि यह घटना 2018 में घटित हुई थी।
मीडिया सूत्रों की माने तो अर्नब गोस्वामी ने अपने रिपब्लिक टीवी के आंतरिक सज्जा के लिए एक महिला को कार्यभार सौंपा था और उक्त काम के लिए अपने रकम खर्च कर दिया था पर उस काम के भुगतान के लिए मामले को लेकर अर्नब गोस्वामी उस पौढ़ महिला को टालते रहे और भुगतान की रकम लगभग 5 करोड़ रुपए जानबूझ कर बकाया किया गया।
रुपए के तंगी के लिए थक हार कर उक्त महिला और उनके बेटे ने अपने बकायादारों से बचने के लिए मा और बेटे ने आत्महत्या करने पर मजबूर हुए।
जिस समय की यह घटना है उस समय भाजपा की सरकार महाराष्ट्र में थी और भाजपा के दखल के कारण पूरे मामले को लीपापोती करके मामले को दबा दिया गया था जब कि आत्महत्या नोट में अर्नब को दोषी ठहराया था।
अर्नब के गिरफ्तारी पर गुस्सा करना अमित शाह से लेकर सभी मंत्रियों का जायज़ दिख रहा है क्यों की अर्नब को बचाने के लिए भाजपा सरकार ने अहम भूमिका निभाया था और अब दोबारा जांच में भाजपा नंगे हो सकते है।
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