यह बात सही है कि पिछ्ले 70 साल मे भारत के किसी भी प्रधान मन्त्री ने इजरायल का दौरा कभी भी नही किया है पर आज अगर मोदीजी का भव्य स्वागत इजरायल में हो रहा है तो हमें इसका श्रेय नरसिंहाराव को देने में राजनीति नहीं करनी चाहिए जिन्होंने तमाम इस्लामिक देशों की परवाह किए बिना 25 वर्ष पहले इजरायल से , " डिप्लोमेटिक संबन्ध " स्थापित किये । यही नहीं 1962 के चीन के साथ हो रहे युद्ध में तत्कालीन प्रधान मंत्री नेहरूजी ने इजरायल से संबद्ध स्थापित कर 81 & 120 mm Mortars and Pack Howitzers artilery guns with ammunition मंगवाए ।
बाद में पाकिस्तान के साथ युद्ध में इंदिरा गांधी ने भी इजरायल से मेलजोल बढाते हुए पहले इजरायल को Spares for Israeli Mystere and Ouragon aircraft and AMX 13 टेंको के लिए दिए बदले में 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी के आग्रह पर पहले से तय सौदे के F-86 Sabre Aircraft पाकिस्तान को सप्लाई करने में देरी की।
मेरा कहने का तात्पर्य है कि मोदीजी का इजरायल जाना उत्तम कार्य है लेकिन सरकार और मीडिया दोनों को निष्पक्ष होकर प्रचार करना चाहिए । यह डिप्लोमेसी कोई एक दिन में नहीं तय होती । तमाम अरब देशों को नाराज करने का सीधा मतलब था तेल के आयात में कठिनाई अतः तमाम अरब देशों को मानसिक रूप से तैयार करने में दशकों लग गये ।
अनूप्रेणित: श्री Harish Ch Awasthi
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