Wednesday, 26 July 2017

नीतीश कुमार तो सुशासन बाबू के जगह छलिया बाबू निकले

नीतीश कुमार का त्याग पत्र कोई अप्रत्यशित घटना नही कहा जा सकता है, इस घटना को होना लगभग तय था वह भी तब से जब लालू यादव ने अपने कम पढे लिखे दोनो बेटों को मन्त्री मण्डल मे जगह दिलवाया था और यही बात नीतीश कुमार को शुरु से ही मन मे खटकने लगी थी I

एक बात देश के लोगो तथा बिहार के मतदाताओ को यह समझ मे नही आई होगी कि श्री कुमार ने भाजपा से क्यों नाता तोड लिया था जब श्री नरेन्द्र मोदी के नाम का प्रस्ताव प्रधान मन्त्री के रुप मे किया गया था पर उस के पिछे की राजनीति को समझना कोई राकेट साइंस नही है. बात असल मे यह है कि 2014 के लोक सभा के चुनाव मे श्री नीतीश बाबू को मुस्लिम वोटरो की चिन्ता सताने लगी थी कि कहीं मुस्लिम मतदाता पुरे के पुरे लालू यादव के साथ न चले जायें हलांकि 2014 के चुनाव के नतीजों ने उनके मुस्लिम गणित का वाट लग गया I

 लोक सभा के चुनाव के बाद सुशासन बाबू अपने को बिहार के विधान सभा चुनाव मे अपनी पार्टी को जितना और अपने को मुख्य मन्त्री के रुप मे देखने की लालसा बढ गई और उन्हे यह बात भी समझ मे आ चुकी थी कि यदि जेडीयू और आरजेडी अलग- अलग चुनाव लडेगी तो फायदा भाजपा को हो जायेगा और उन्होने सजायाफ्ता लालू यादव और उनके भ्रटाचारी छवि को दर किनार करके महा गठबंधन किया और लालू यादव को एक पवित्र गाय के रुप मे देखने लगे I

नीतीश कुमार की राजनीति तभी समझ मे आ चुकी थी जब उन्होने अरएसएस के श्री राम कोविन्द के राष्ट्रपति के उम्मीदवारी पर न केवल कसिदे पढे बल्कि जेडीयू का सर्मथन बिना मागें ही दे दिया और महा गठबंधन से अपने को अलग किया, गौरतलब है कि यही सुशासन बाबू ने आरएसएस मुक्त भारत का नारा भी दे चुके है I

नीतीश कुमार का अचानक सुबह त्यागपत्र देना और शाम होते-होते मोदी जी के सामने शिर्ष आसन करने से यह बात संदेह युक्त नही रहा कि मोदी जी के एजेंसीयो द्वारा यादव परिवार के पिछे छापों मे एक बडी भूमिका सुशासन बाबू की रही होगीI

दुर्भाग्य से राजनीती के धुंरधर माने जाने वाले श्री लालू प्रसाद को नीतीश कुमार के गिरगिट वाली राजनीति समझ न सके अगर वे अपने पुत्र सहित सभी आरजेडी के मन्त्रीयो का त्याग पत्र कुछ समय के लिये दिलवा दिये होते तो सुशासन बाबू का भाजपा प्रेम हिलोरे नही मारता I

वैसे बिहार के मतदाताओ को नीतीश कुमार के इस छलिया बाबू वाला रुप कितना भायेगा उसका पता तो 2019 के लोक सभा के चुनाव मे पता चलेगा वैसे जेडीयु के एमएलए भाजपा और मोदी विरोधी वोट के सहारे जीत कर आयें है I

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