Monday, 3 July 2017

जीएसटी का दांव पेंच देश की जनता को बेहाल करने के लिये पर्याप्त है

जेएसटी से आम लोगो को सब्ज बाग दिखाने और फायदा गिनाने के पिछे देश के प्रधान सेवक, व्युरोक्रेट और भाजपा के एमपी और एमएलए जो जीएसटी का फुल फर्म तक का पता नही वे भी रोजाना दैनिक समाचार पत्रो मे जीएसटी के दम भरते नजर आ रहे है पर हकीकत इस का उलटा है कि रोजआना आने वाले घरेलू उत्पादो के दामो मे कोई फर्क देखने को नही मिला है बल्कि कुछ नयें बिल सामने आये है जिसमे एक बिल मे ही जीएसटी के नाम पर पांच बार टैक्स वसूले गये है I

दूसरी तरफ देश के प्रधान सेवक ने जीएसटी को Rocket Science के तर्ज पर ऐसे पेश किया है देश के कारोबारी जीएसटी के पेंचिदा नियमो और नियमो के सही जानकारी के अभाव मे असमंजस मे फंसे हुये है, इस चक्कर-घीन्नी के पिछे मोदी जी अपनी वा-वाही के चक्कर मे फंस कर अधकचरे ढंग से इस टैक्स प्रणाली को पेश किया I

मोदी जी को अच्छी तरह से पता था कि कब इस नये कर प्रणाली को हरी झंडी दिखाना है, कहां से दिखाना है और कितने बजे दिखाना है, इन सभी की कुण्डली बनी हुई थी पर जितना होम वर्क जीएसटी को लेकर होनी चाहीये थी उसमे मोदी सरकार फिसड्डी साबित हुये, इन्ही होम वर्क के अभाव के कारण हर प्रदेशो मे अधिकांश व्यपारीयों को जीएसटी के प्रोफार्मा तक उपलब्ध न हो सका है, जिस कारण पुराने तरीके के बिलींग और अन्य पुराने ढरें पर ही काम करना पड रहा है जिसका सीधा नुकसान ग्राहकों को उठाना पड रहा है I

मोदी जी द्वरा ठिक ढंग से होम वर्क न करने के कारण से एक सायकल विक्रेता को ज्यादा परेशानी उठानी पड रही है उसका कारण यह है कि सायकल मे प्रयोग होने वाली पाइडल, चैन, फ्रेम, हैंडेल, सीट, सीट कवर आदि अन्य समानो का जीएसटी अलग अलग है, जीएसटी को पेचींदा बनाने के पिछे मोदी सरकार के एक ही मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा टैक्स खोरी किया जा सके I


निचे दिये गये कैशमेमो को अगर ध्यान से देखें तो यह पता चल जायेगा कि सरकार कैसे टैक्स के जरीये एक मुनाफाखोर के तरह काम कर रहे है I

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