Sunday, 9 July 2017

चुनाव आयोग का भाजपा के साथ गहरा प्रेम गुजरात विधानसभा के चुनाव मे देखने को मिले पर रोडा बनी है उच्चतम न्यालय


अभी तक हर दुसरी विपक्षी पार्टीयां ईवीएम को लेकर काफी हल्लाबोल किया था जिसके परिणम स्वरुप चुनाव आयोग को एक नया नाटक का पटकथा इस बात पर लिखना पडा कि बिना ईवीएम के मदर बोर्ड को छुये मशीन को छेड कर दिखाये, हालांकि आयोग के इस फर्जी चुनौती को अधिकांश राजनीतिक दलो ने सिरे से नकार दिया था I

उसी दरमियान तत्कालिन मुख्य चुनाव आयोग ने देश की जनता समक्ष आने वाले हर चुनाव मे वीवीपैट मशीन के प्रयोग होने की बात कह कर ईवीएम पर पैदा हुये बवाल को टालने की कोशिश की और बाद मे एक मुकदमे के दौरान अपनी बातो से पलट गये I

आयोग का यह यू टर्न तब देखने को मिला जब गुजरात के उच्चन्यालय मे एक जनहित याचिका मे 2017मे गुजरात मे होने वाले विधान सभा चुनाव मे ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन के प्रयोग होने के लिये न्यालय को आदेश पारित करने के लिये निवेदन किया I

उक्त याचिका के सुनवाइ के दौरान ही आयोग ने वीवीपैट से चुनाव सम्पन्न करवाने से अपना कन्नी काट लिये और उच्च तमन्यालय नी भी आयोग को सही मानते हुए उक्त जनहित याचिका को निरस्त किया I आयोग के ऐसे पल्टी मार स्टेण्ड से यह बात का खुलासा हो गया कि पिछले विधानसभा के कई चुनाव मे ईवीएम का खेल बडे पैमाने मे खेला गया था I

गुजरात उच्च न्यालय के आदेश को उच्चतम न्यालय मे चुनौती के बाद मामला आयोग के लिये पेंचिदा हो गया है I आयोग सुप्रीम कोर्ट मे यह मान चुकी है कि उनके पास 88,000 वीवीपैट मशीने है जो विधानसभा चुनाव के लिये पर्याप्त है पर आयोग कोर्ट मे यह दलील देने के कोशिश की कई मशीने दुरुस्त नही है I

उच्चतम न्यालय ने आयोग के इस बचकाने दलील को सिरे से खारिज किया है I उधर मोदी सरकार उच्चतम न्याल्य के दबाव मे आकर नये वीवीपैट मशीनो को खरिदने के लिये धन आवंटित कर चुके है I

http://www.thehindu.com/news/national/why-not-use-vvpat-units-for-gujarat-polls-sc-asks-ec/article19225709.ece

अब देखना यह है कि उच्चतम न्यालय के मौजूदा बैंच अपने ही न्यालय मे पुर्व मे पारित किये गये आदेशों को सम्मान दे पाती है कि नही, हालांकि मौजूदा बैंच अपने बातो मे मजबूती से खडे दिखाइ दे रहे है I

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