Saturday, 7 September 2019

पीएम मोदी और मीडिया सामने ISRO के मुखिया का रोना-धोना इमोशनल ड्रामा जैसा लगा

गोदी मीडिया और पीएम मोदी की PR Agency ने जिस तरह से चन्द्रयान 2 का प्रचार किया है उससे देश के बहुत से लोगो को यह लगने लागा है कि पीएम मोदी ने ही चन्द्रयान 2 की नीव अपने सरकार के बनते ही रखी है पर हकीकत यह है कि चन्द्रयान 2 डॉ मनमोहन सिंह ने “इसरो” से बातचित कर वर्ष 2012 मे शुरुवात की थी “।

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देश का दुर्भाग्य है कि शनी की साढे साती की तरह पनौती देश का पिछा छोडने का नाम ही नही ले रहा है और यही वजह है कि मोदी सरकार के मन्त्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार जिस काम को हाथ मे लेती है उसका बन्टाधार या असफल हो जाता है

इसमे कोई शक नही है कि इस प्रकार के प्रोजेक्ट मे शुरुवाती दौर मे असफलता आती ही रहती है, अमरिका और रुस जैसे देशो को चन्द्रमा मे Satellite को भेजे जाने पर कई बार असफलता का मूंह देखना पडा था लेकिन बाद मे वे सफल भी रहे, क्या इस छोटी सी बात को ISRO के मुखिया को पता नही है ।

बात यह है पीएम मोदी जहां भी रहेंगे वंहा ड्रामेबाजी तो देखने को मिलेगा ही, चन्द्रयान 2 के असफल होने पर जिस प्रकार से ISRO के मुखिया का पीएम मोदी के सामने रोना धोना कि सी भी वैज्ञानिक के लिये शोभामान नही है, हकीकत यह है कि विज्ञान कभी रोता नही...वह बार-बार प्रयास करता है और सफल होता है ।

दुनिया के इतिहास में आज तक कोई भी वैज्ञानिक, प्रयोग या मिशन के असफल होने पर ऐसे सार्वजनिक तरह से रोया है।,उसने फिर से प्रयास करना नही छोडा है, अपनी असफलताओं से ही सीखा है ।

वैज्ञानिक हो या डॉक्टर उसकी एक पेशेवर गरिमा होती है। डाक्टर ऑपरेशन से पहले जानता है कि मरीज उसकी लाख कोशिशों के बावजूद मर भी सकता है। लेकिन किसी भी असफल ऑपरेशन के बाद डॉक्टर रोता नही, खामोशी से अकेले में अपनी असफलताओं की वजह को ढूंढता है।

पीएम मोदी की मौजूदगी मे इस प्रकार का इसरो के मुखिया का रोना धोना और फिर पीएम मोदी का उनके पिठ थप-थपाना (मीडिया के कैमरे के सामने) क्या पूर्व काल्पित था, इस प्रकार खुले स्थान पर मीडिया के समक्ष बचकाना नाटक के जरिये पीएम मोदी देश और दुनिया के सामने अपने बनवाटी Sportsman spirit को दिखाने की कोशिश मात्र रही, जब की उनका मौजूदा कार्य शैली बदले की भावना से काम करना ही दिखा है ।

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