Thursday, 13 June 2019
Political Analysis of India: ईवीएम सरकार यूपी के लिये धृताराष्ट्र बने हुए है पर...
Political Analysis of India: ईवीएम सरकार यूपी के लिये धृताराष्ट्र बने हुए है पर...: मोदी मीडिया के सहारे बंगाल के सरकार को बदनाम करने के लिये एक बडी साजिश भाजपा शुरु कर चुकी है , एक माहौल तैयार किया जा रहा है कि बंगाल मे...
ईवीएम सरकार यूपी के लिये धृताराष्ट्र बने हुए है पर बंगाल के Law and Order पर घोर आपत्ती है
मोदी मीडिया के सहारे बंगाल के सरकार को बदनाम करने के लिये
एक बडी साजिश भाजपा शुरु कर चुकी है, एक माहौल तैयार किया जा रहा है कि बंगाल मे कानून व्यवस्था
पुरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और इस फार्जी मौहोल के बुनियाद पर बंगाल मे राष्ट्रपति
शासन लगाने का षडयन्त्र ईवीएम सरकार की पुरे दम से शुरु हो चुकी है ।
https://www.facebook.com/DNHindi/videos/452091605354345/
अगर बंगाल मे ईवीएम सरकार द्वरा राष्ट्रपति
शासन लगाने के पिछे Law and Order हे एक वजह देखते
है तो ऐसी सोच प्रधान चौकीदार को उत्तर प्रदेश मे Law and Order मे भारी गिरावट के बाद क्यों नही दिख रही है जब कि उत्तर प्रदेश
मे पिछले 15 दिनों मे 72 हत्यायें और 24 बलात्कार की घटना
घट चुके है ।
उत्तर प्रदेश मे जिस ढंग से अपराध अपने
चरम सिमा तक पहुंच चुकी है उसकी समीक्षा
अखिलेश यादव ने बडे जोरदार तरिके से मीडिया के सामने रखा है उसका विरोध प्रदेश की
सरकार नही कर पा रहे है, जिस बढते हुए अपराध पर प्रदेश
शासन मौन है वहीं ईवीएम सरकार ( केन्द्र सरकार) धृताराष्ट्र की भूमिका उत्तर प्रदेश
के लिये अपनाये हुए है ।
बंगाल मे राजनीतिक खूनी खेल बाम दलो के शासन काल से चली आ रही है, बंगाल के लिये
ऐसे राजनीतिक संघर्ष कोई नई बात नही है पर हां समय समय पर पात्र बदल जाते है और इसी
कारण बंगाल की आम जनता इन राजनीतिक संघर्ष मे मौन रहते है ।
अंग्रेजी मे एक कहावत है कि “Fishing in the trouble water” और भाजपा बंगाल मे ऐसे राजनीतिक संघर्ष की आड मे बंगाल मे राष्ट्रपति शासन
लगाना चाहते है और राष्ट्रपति शासन के आड मे 20 लाख गुम हुए ईवीएम को विधानसभा चुनाव
से पूर्व सेट करके शासन मे आना चाहते है ।
Tuesday, 11 June 2019
Political Analysis of India: चौकीदार की बातों पर यकीन करना भाजपा और भक्तो की मज...
Political Analysis of India: चौकीदार की बातों पर यकीन करना भाजपा और भक्तो की मज...: मोदी की एक पुरानी बिमारी है कि वो हमेशा ही खबरो मे छाये रहना चाहते है उनके प्रथम चरण के शासन का ल को देखें तो प्रक्लपो की बौछार लगा दिय...
चौकीदार की बातों पर यकीन करना भाजपा और भक्तो की मजबूरी हो सकती है पर आम जनता उनकी बातों का कोई तवज्जो नही देती
मोदी की एक पुरानी बिमारी है कि वो
हमेशा ही खबरो मे छाये रहना चाहते है उनके प्रथम चरण के शासन का ल को देखें तो
प्रक्लपो की बौछार लगा दिये थे, Stand up India से लेकर अनगिनत India को लेकर प्रक्लपो
की फेरिसत लम्बी रही पर अगर आज आप किसी लम्बे वाली दूरबीन से खोजने जायेगे वे एक
भी नही मिलेगे क्यों कि मामला तो मोदी के फेंकने तक सिमित है |
https://hindi.news18.com/news/nation/mukhtar-abbas-naqvi-announced-scholarships-to-5-crore-minority-students-in-the-next-5-years-2094220.html?fbclid=IwAR1F5uhUeunQrypZ8jGxlAumB3KRMxkGe9dNyovejUqlXlM9_v2tJuMySoE
मेरी बातो को अगर आप विष्वास नही
करना चाहते है तो जरा इस बात का पता लगा ले कितने किसानो को जो धन राशी देने के
वादा किया था आज तक कितने किसानो को वो रकम मिल चुकी है और साथ मे यह भी पता करे
कि आज तक आयुस्मान भारत का लाभ कितने गरीब लोगो ने अब तक उठाया है ।
अगर निचे दिये खबर को ध्यान से पाढे
तो अल्पसंख्यक समाज के सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण के लिए अगले पांच सालों में पांच
करोड़ विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाएगी. इतना ही नहीं इनमें आधी संख्या में
लड़कियां होंगी. मोदी सरकार ने अल्पसख्यको के नाम पर सभी अन्य धर्मो के लोगो को
रिझाने की कोशिश की गई है |
गौर से देखे तो मोदी सरकार ने इस
खबर को लोक लोकभावन बनाने के लिये 5 करोड अल्प सख्यकों को High light दम-खम के साथ किया है और तमाम अनावश्यक बातो पर बल दिया है पर पुरी
खबर मे इस बात पर चुप्पी साधे रहे कि इस योजना के तहत मोदी सरकार कितने करोड
रुपयों का आवंटन करेंगे और दूसरी तरफ मोदी सारकार इस बात पर भी सन्नाटा खींच कर
बैठ गये कि Scholarship के नाम पर एक-एक
छात्र-छात्रओ को सालाना कितनी रकम देंगे ।
हमे इस बात को बिल्कुल नही भूलना
चहिये कि पिछले बजट मे मोदी सरकार ने शिक्षा बजट को ना केवल घटाया था बल्कि शिक्षा
गला घोंटकर रख चुके है जिस फलस्वरुप JNU मे M.Phil के सीटों को घटाया बल्कि शोध करने
वाले छात्र-छात्रा के संख्या मे घोर कटौती की है ।
Monday, 10 June 2019
Political Analysis of India: मोदी सरकार भाजपा के गुण्डो के बल पर बंगाल मे आरजक्...
Political Analysis of India: मोदी सरकार भाजपा के गुण्डो के बल पर बंगाल मे आरजक्...: 2019 के लोकसभा चुनाव मे भले ही भाजपा को पश्चिम बंगाल मे बढत मिली हो पर इस बढत का श्रेय प्रदेश के बाम दलो को जाना चाहीये । यह बात साफ है क...
मोदी सरकार भाजपा के गुण्डो के बल पर बंगाल मे आरजक्ता और अशान्ती फैलाकर राष्ट्रपती शासन लगाने के फेर मे है
2019 के लोकसभा चुनाव मे भले ही भाजपा को पश्चिम बंगाल मे बढत मिली हो पर इस बढत का श्रेय प्रदेश के बाम दलो को जाना चाहीये । यह बात साफ है कि प्रदेश से 34 साल पुराना बाम दलों को उखाड फेकने मे ममता बनर्जी की अहम भूमिका रही है, सुत्रो की माने तो बामदल बदला लेने के लिये इस लोकसभा चुनाव मे गुप्त रुप से भाजपा के साथ समझौता के स्वरुप अपने वोट शेयर को भाजपा के झोली मे डलवाने मे सफल रहे ।
गौरतलब है कि 2014 लोकसभा के चुनाव मे बाम दलों का वोट शेयर लगभग 32% थी जो 2019 मे घटकर 8% के निचे पहुंच चुकी है, पर इतनी पुरानी पार्टी का इतने बडे पतन के पिछे क्या वोट ट्रांसफर ही एक वजह है या चुनाव आयोग के सहयोग से चुनाव पूर्व ईवीएम मे कोई गणीत तो नही लगाया गया है ?
https://twitter.com/ndtv/status/1138032068187774977?s=19
भाजपा चुनाव के पूर्व से जिस प्रकार से बंगाल मे करोडो-करोडो रुपयों को खर्च करते दिख रहे और अपने गोल को बढाने मे लगे उससे तो बात साफ है कि उनकी गिद्द नजर आने वाले विधानसभा पर ही, उनके द्वरा नेता और टीएमसी के कार्यकर्ताओ को रुपयो की लालच देकर अपने गोल को बढा रहे है जिसके फलस्वरुप पुरे प्रदेश मे भाजपा अशान्ती का मौहोल पैदा करने मे सफल दिख रहे है ।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि बंगाल के पिछले पंचायत चुनाव मे भाजपा के उम्मीदवार अपने नामंकन भरने से डरते दिखे और इसी कारण से उन्हे अपने डर को झडवाने –फूकवाने के लिये उच्चतम न्यालाय का दरवाजा भी खट-खटाना पडा था, आज बंगाल मे भाजपा लडाई झगडे मे अगर सफल दिख रहे है तो उसके पिछे भाजपा का करोडो का Investment दिखने लगा है ।
बंगाल के Law and order को लेकर बंगाल के राज्यपाल का अचानक प्रधान मन्त्री और ग़ृह मन्त्री से मिलना अपने मे ही उनके मंसूबे के पोल को खोल रही है, मोदी सरकार भाजपा के गुण्डो के बल पर बंगाल मे आरजक्ता और अशान्ती फैलाकर राष्ट्रपती शासन लगाने के फेर मे है ।
अगर भाजपा अपने मंसुबे मे सफल होती है तो चुनाव आयोग से गुम हुए 20 लाख ईवीएम को आयोग के सहारे सेट करके अगला विधानसभा चुनाव जीतने मे सफल होगी ।
Sunday, 9 June 2019
Political Analysis of India: मोदी _ 2 का नंगापन सामने आया, उच्चतम न्यायालय के च...
Political Analysis of India: मोदी _ 2 का नंगापन सामने आया, उच्चतम न्यायालय के च...: जब से मोदी सरकार का गठन हुआ है तब से देश के लगभग सभी संवैधानिक संस्थानों को ना केवल ध्वस्त किया गया बल्कि उनके जुबान को काट दी गई ताकि मो...
मोदी _ 2 का नंगापन सामने आया, उच्चतम न्यायालय के चीरहरण पर नहीं दिखाया कोई संकोच
जब से मोदी सरकार का गठन हुआ है तब से देश के लगभग सभी संवैधानिक संस्थानों को ना केवल ध्वस्त किया गया बल्कि उनके जुबान को काट दी गई ताकि मोदी सरकार के विरोध में अपना मुंह ना खोल सके और जिन्होंने भी मोदी सरकार के खिलाफ मुंह खोलना चाहा उस परलोक भेजने का त्वरित गति से किया गया।
https://www.24viralpage.com/jastick-qureshi-ko-chif-jaj/
पिछले 5 सली में अनेक सभ्य और भद्र सांविधानिक संस्थानों ने अपने जन बचाकर त्याग पत्र देना उचित समझा और इस प्रकार के त्याग पत्र पिछले पांच सालों में इसलिए देखने को मिले क्यों की उन्होंने अपने जमीर के साथ समझौता नहीं कर पाए है।
मोदी के दोबारा छल कपट से सरकार बना लेना उनकी हिम्मत का इजाफा हो गया है और शायद यही कारण है कि वे देश के उच्चतम न्यालय को भी पंगु बनाने के लिए आतुर हो चुके है।
मोदी सरकार के टारगेट में उच्चतम न्यालय शुरू से ही रहा और शीर्ष अदालत के द्वारा गठित कॉलेजियम सिस्टम को ध्वस्त करके विधी आयोग के गठन करने की मंशा अपने चहेते लोगो को न्यायाधीश के पद पर बैठाया का सके।
जिस प्रकार इस बार मोदी सरकार ने जानबूझ कर उच्चतम न्यालय के कॉलेजियम के आदेश को ठुकराकर अपने पसंदीदा न्यायाधीश को मध्य प्रदेश के उच्च न्यालय में चीफ जस्टिस के पड़ पर आसीन करने के लिए Notification जारी किया है उससे तो यही लग रहा है कि मोदी 2 ने उच्चतम न्यालय की चीरहरण करके रख दी है और दूसरी तरफ CJI और अन्य कॉलेजियम के न्यायाधीश चंद रुपयों के खातिर अपना त्याग पत्र भी नहीं दिया।
Friday, 7 June 2019
Political Analysis of India: क्या भाजपा चुनाव अयोग को अपना हथियार बना कर हर चुन...
Political Analysis of India: क्या भाजपा चुनाव अयोग को अपना हथियार बना कर हर चुन...: इसमे कोई शक नही है 2019 के चुनाव को चुनाव अयोग चुनाव को लेकर एक घिनौना रुप को प्रस्तुत करने मे सफल रहे और साथ मे भक्तो को छोडकर सभी लोगो ...
क्या भाजपा चुनाव अयोग को अपना हथियार बना कर हर चुनाव मे अपने मन मुताबिक चुनाव परिणाम पैदा करेंगी
इसमे कोई शक नही है 2019 के चुनाव को चुनाव अयोग चुनाव को लेकर एक घिनौना रुप को प्रस्तुत करने मे सफल रहे और साथ मे भक्तो को छोडकर सभी लोगो का देश के चुनाव आयोग पर मानो विश्वाश खत्म हो चुका है । 2014 के लोकसभा चुनाव नतीजो के साथ अगर 2019 के नतीजे का मिलान किया जाये तो दोनो नतीजो मे काफी फर्क देखने को मिला है
2014 के चुनाव मे मोदी की प्रचण्ड लहर देखने को मिली थी और उनके अकेले दम पर सत्ता पर कब्जा जमाना किसी को शक नही हुआ था परन्तु पाच साल बीतने के बाद पर मोदी की दुर्द्शा भाजपा के नेताओ अपने आंखों से नही देख नही पा रहे जब कि 2019 के चुनाव परिणाम पिछले चुनाव के मुकाबले मे उलट आ गया जिसका कुल श्रेय देश के चुनाव आयोग को मिलना चाहिये ।
https://www.facebook.com/175257659942336/videos/433655297214952/
अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या भाजपा चुनाव अयोग को अपना हथियार बनाकर हर चुनाव मे अपने मन मुताबिक चुनाव परिणम पैदा करेंगे या देश के अन्य विरोधी दल इसके लिये कोई मजबूत हल निकालेग
जिस प्रकार चुनाव परिणाम आने के बाद बंगाल की मुख्य मंत्री सुश्री मामता बनर्जी ने ईवीएम के खिलाफ और बैलेट पेपर के पक्ष बयान जारी किया है उससे मौजूदा सरकार और चुनाव अयोग के कानो मे जूं नही रेगने वाली है ।
कुछ विरोधी पार्टी के नेताओ ने अगले चुनाव को बहिष्कार करने की बात कर रहे है वो भी गलत है क्यों कि निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मे हिस्सा लेते है तो चुनाव प्रक्रिया पुरी हो रही है तो इस Boycott से भाजपा और चुनाव आयोग के लिये क्या फर्क होने वाला है ।
जब तक संसद के अगले सत्र मे 21 या 22 विरोधी पार्टीया ईवीएम के साथ साथ बैलेट पेपर की विक्लप व्यवस्था के लिये बिल प्रस्त्तुत नही करती है तब तक कुछ होने वाला नही है और अगर इस के लिये सदन को लम्बे समय तक स्थगन किया जाना जरुरी भी है ।
मतदान केन्द्रों मे ईवीएम के साथ-साथ बैलेट पेपर के प्रविधान होने पर वोटरो को मतदान के लिये एक खुला विक्लप मिल जायेगा जिसके फलस्वरुप चुनाव आयोग की छवि भी सुधर जायेगी ।
Tuesday, 4 June 2019
Political Analysis of India: अपाहिज विपक्षी पार्टियों के वजह से मोदी चुनाव जीतन...
Political Analysis of India: अपाहिज विपक्षी पार्टियों के वजह से मोदी चुनाव जीतन...: अगर आज मोदी सरकार हर संवैधानिक संस्थानों और देश के न्यालाय चाहे उच्च न्यायालय हो या उच्चतम न्यालाय को अपने उंगलियों पर नचाने की कूबत रखते...
अपाहिज विपक्षी पार्टियों के वजह से मोदी चुनाव जीतने मे हुए कामयाब, चुनाव मे इतनी धांधली के बाद भी विपक्षी पार्टियां चुप क्यों है
अगर आज मोदी सरकार हर संवैधानिक संस्थानों और देश के न्यालाय चाहे उच्च न्यायालय हो या उच्चतम न्यालाय को अपने उंगलियों पर नचाने की कूबत रखते है तो यह उनकी दंबगई ही वजह है, इनके इस दबंग शैली को और मजबूत करती है विपक्षी पार्टियो की साल भर की राजनीतिक उदासिनता, जब की आम जनता जो फेसबुक और ट्वीटर से जुडे हुए है वो तमाम राजनितिक दलो से ज्यादा राजनीतिक सचेतन है और कहीं ना कहीं मोदी सरकार के खिलाफ मुखर देखे जाते है ।
20 लाख ईवीएम चुनाव अयोग से गुम हो जाते है और यह मामला एक आम जन्ता मुम्बई हाई कोर्ट मे मार्च 2018 को एक जनहित याचिका के जरीये देश के सम्मुख लाने मे कामयाब होती है पर क्या इस मुद्दे को लेकर विपक्षी पार्टियो ने सरकार और चुनाव आयोग को संसद के सदन मे घेरने का काम किया है ? क्या वे इस विषय को लेकर सडको पर उतरे है ? जब कि भाजपा कांग्रेस के शासन काल मे एलपीजी गैस मे 15 रुपये बढाये जाने पर हल्ला करने मे नही चुके ।
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=472261599775624&set=gm.1090098831090133&type=3&eid=ARD993sZwKaCTVXXvDJ2U4bZ0RACICSY-E1Vycp32yY9LV4NKFwkkQl0p9AhlhS1zKlyuYPH4iha6pEw&ifg=1
जब की मोदी 2 के आने के बाद एलपीजी गैस मे 85 रुपये बढाये गये पर आज तक किसी राजनीतिक विपक्षी पार्टी ने कोई धरना या प्रदर्शन नही किया और चुनाव के इतिहास मे चुनाव अयोग के सौजन्य से चुनाव सम्पन्न होने के बाद बिना सुरक्षा के खुली सडक पर ईवीएम और वीवीपैट सैर सपाटे करते रहे फिर भी कांग्रेस हो अन्य प्रमुख दलो ने अपने मूंह मे दही जमा के बैठे रहे जब की इस विषय के खिलाफ लोगो ने सोशल मीडिया मे खुब हल्ला मचाया ।
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1416907728408873&set=a.142092679223724&type=3&eid=ARCSHTfckEdOuLSx9Y296e2e8rvsPT5aD7aRSm57JQ6RvEKHO_VBpvy8vQUMcuHhx9bBvwSDgSslu0E6&ifg=1
हाल ही में न्यूज़ वेबसाइट ‘द क्विंट’ ने ख़बर दी थी कि देश भर में 373 लोकसभा सीटों पर डाले गए वोट और ईवीएम से ग़िने गए वोटों की संख्या में अंतर है। उसके बाद न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़ क्लिक ने ख़बर की है कि उत्तर प्रदेश और बिहार की 120 लोकसभा सीटों में 119 सीटों पर डाले गए वोटों की संख्या और ईवीएम की ग़िनती में निकले वोटों की संख्या में अंतर |
लेकिन इन खबरो के बावजूद भी वे 21 विरोधी पार्टीयों के नेताओ ने कोई शोर-शराबा नही किया और ना ही 21 दलो के समूह ने चुनाव आयोग से मिलने गये, जब कि चुनाव आयोग इस खुलासे के बाद बैक फुट पर आ चुकी है और उन्हे जनता को जवाब देते नही बन रहा है, जब की हमेशा ही चुनाव आयोग इन्ही ईवीएम को लेकर कसमे खाती रही ।
Sunday, 2 June 2019
उच्चतम न्यालाय के वरिष्ठ न्यायाधीशों की बात सही साबित हुई कि लोकतन्त्र खतरे मे है और लोकतन्त्र की हत्या 2019 के चुनाव आयोग ने दबाव मे किया
कांग्रेस के 6 दशक के शासन काल मे उच्चतम न्यालय हो या चुनाव आयोग दोनो की गरिमा को कभी भी निचा नही किया गया लेकिन मोदी के शासन काल मे दोनो संवैधानिक संस्थानो का जो पतन हुआ है वो देश ही नही बल्कि पुरा विदेश भी इनके पतन के गवाह बन चुके है । दुनिया मे पहली बार उच्चतम न्यालय के वरिष्ठ न्यायाधिशों ने देश की जनता के सामने देश की लोकतन्त्र को बाचाने के लिये गुहार करना पडा था ।
वरिष्ठ न्यायाधिशों का Observation 2019 के चुनाव मे उनके बातो को सिद्ध कर दिया है जब चुनाव आयोग को पर्दे के पिछे से बन्धुवा बनाकर वे सभी काम करवाये जिसके कारण मोदी की जोरदार वापसी हो पाई है । दुर्भाग्य है उन मातदाताओ का जिनके मताधिकार का कोई सम्मान नही हुआ ।
https://www.satyahindi.com/india/electronic-voting-machine-malfunction-in-up-bihar-election-commission-102819.html?fbclid=IwAR28D_yNFmHIbR7sYldTrg7LyLacVElbaRIC8k6PCBZ0aNv0FelCGDE8OxY
https://www.satyahindi.com/india/evm-mismatch-in-370-seats-ec-refuses-to-reply-2-102805.html
गौरतलब है कि 2014 मे जब मोदी लहर होने के बाद भी भाजपा को 31% वोट शेयर मिले और 2019 मे मोदी की शाख गिरने के बावजूद वोट प्रतिशात 50 के पर चली गई है, इस वोट प्रतिशत के विकास के पिछे चुनाव आयोग की अहम भूमिका देखने को मिली ।
अंग्रेज़ी वेबसाइट ‘द क्विंट’ ने ख़बर को माने तो ईवीएम में जितने वोट पाए गए, वे कुल मतदाताओं की संख्या से मेल नहीं खाते। ईवीएम में जितने वोट पाए गए, उसी बूथ पर उससे कम मतदाता थे ।
ऐसा एक नहीं 373 सीटों पर हुआ। यहाँ मतदान पहले के चार चरणों में हुए थे। दिलचस्प बात यह है कि ये दोनों ही आँकड़े चुनाव आयोग की वेबसाइट पर डाले गए थे जिसके आधार पर यह Calculation किया गया था । भाजपा के पक्ष मे चुनावी परिणाम मे उलट फेर की वजह वो 20 लाख ईवीम है जो चुनाव आयोग के कब्जे से गुम हो चुका है ।
चुनाव आयोग के स्तिथी यह हो चुकी है कि वे अपने द्वरा प्रस्तुत आंकडे को ही अपने वेबसाइट से हटाने के लिये बाध्य हो गये है पर वो भूल रहे है कि उनके द्वरा पूर्व मे दर्ज किये गये आंकडे का Snap shot लिया जा चुका है, अब चुनाव आयोग का आलम यह है कि अंग्रेज़ी वेबसाइट ‘द क्विंट’ द्वरा इस विषय को लेकर फोन करने से भी कॉल रिसीव नही किया जा रहा है ।
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