Monday, 10 June 2019

मोदी सरकार भाजपा के गुण्डो के बल पर बंगाल मे आरजक्ता और अशान्ती फैलाकर राष्ट्रपती शासन लगाने के फेर मे है

2019 के लोकसभा चुनाव मे भले ही भाजपा को पश्चिम बंगाल मे बढत मिली हो पर इस बढत का श्रेय प्रदेश के बाम दलो को जाना चाहीये । यह बात साफ है कि प्रदेश से 34 साल पुराना बाम दलों को उखाड फेकने मे ममता बनर्जी की अहम भूमिका रही है, सुत्रो की माने तो बामदल बदला लेने के लिये इस लोकसभा चुनाव मे गुप्त रुप से भाजपा के साथ समझौता के स्वरुप अपने वोट शेयर को भाजपा के झोली मे डलवाने मे सफल रहे ।

गौरतलब है कि 2014 लोकसभा के चुनाव मे बाम दलों का वोट शेयर लगभग 32% थी जो 2019 मे घटकर 8% के निचे पहुंच चुकी है, पर इतनी पुरानी पार्टी का इतने बडे पतन के पिछे क्या वोट ट्रांसफर ही एक वजह है या चुनाव आयोग के सहयोग से चुनाव पूर्व ईवीएम मे कोई गणीत तो नही लगाया गया है ?

https://twitter.com/ndtv/status/1138032068187774977?s=19

भाजपा चुनाव के पूर्व से जिस प्रकार से बंगाल मे करोडो-करोडो रुपयों को खर्च करते दिख रहे और अपने गोल को बढाने मे लगे उससे तो बात साफ है कि उनकी गिद्द नजर आने वाले विधानसभा पर ही, उनके द्वरा नेता और टीएमसी के कार्यकर्ताओ को रुपयो की लालच देकर अपने गोल को बढा रहे है जिसके फलस्वरुप पुरे प्रदेश मे भाजपा अशान्ती का मौहोल पैदा करने मे सफल दिख रहे है ।

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि बंगाल के पिछले पंचायत चुनाव मे भाजपा के उम्मीदवार अपने नामंकन भरने से डरते दिखे और इसी कारण से उन्हे अपने डर को झडवाने –फूकवाने के लिये उच्चतम न्यालाय का दरवाजा भी खट-खटाना पडा था, आज बंगाल मे भाजपा लडाई झगडे मे अगर सफल दिख रहे है तो उसके पिछे भाजपा का करोडो का Investment दिखने लगा है ।

बंगाल के Law and order को लेकर बंगाल के राज्यपाल का अचानक प्रधान मन्त्री और ग़ृह मन्त्री से मिलना अपने मे ही उनके मंसूबे के पोल को खोल रही है, मोदी सरकार भाजपा के गुण्डो के बल पर बंगाल मे आरजक्ता और अशान्ती फैलाकर राष्ट्रपती शासन लगाने के फेर मे है ।

अगर भाजपा अपने मंसुबे मे सफल होती है तो चुनाव आयोग से गुम हुए 20 लाख ईवीएम को आयोग के सहारे सेट करके अगला विधानसभा चुनाव जीतने मे सफल होगी ।

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