Friday, 7 June 2019

क्या भाजपा चुनाव अयोग को अपना हथियार बना कर हर चुनाव मे अपने मन मुताबिक चुनाव परिणाम पैदा करेंगी

इसमे कोई शक नही है 2019 के चुनाव को चुनाव अयोग चुनाव को लेकर एक घिनौना रुप को प्रस्तुत करने मे सफल रहे और साथ मे भक्तो को छोडकर सभी लोगो का देश के चुनाव आयोग पर मानो विश्वाश खत्म हो चुका है । 2014 के लोकसभा चुनाव नतीजो के साथ अगर 2019 के नतीजे का मिलान किया जाये तो दोनो नतीजो मे काफी फर्क देखने को मिला है
2014 के चुनाव मे मोदी की प्रचण्ड लहर देखने को मिली थी और उनके अकेले दम पर सत्ता पर कब्जा जमाना किसी को शक नही हुआ था परन्तु पाच साल बीतने के बाद पर मोदी की दुर्द्शा भाजपा के नेताओ अपने आंखों से नही देख नही पा रहे जब कि 2019 के चुनाव परिणाम पिछले चुनाव के मुकाबले मे उलट आ गया जिसका कुल श्रेय देश के चुनाव आयोग को मिलना चाहिये ।

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अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या भाजपा चुनाव अयोग को अपना हथियार बनाकर हर चुनाव मे अपने मन मुताबिक चुनाव परिणम पैदा करेंगे या देश के अन्य विरोधी दल इसके लिये कोई मजबूत हल निकालेग
जिस प्रकार चुनाव परिणाम आने के बाद बंगाल की मुख्य मंत्री सुश्री मामता बनर्जी ने ईवीएम के खिलाफ और बैलेट पेपर के पक्ष बयान जारी किया है उससे मौजूदा सरकार और चुनाव अयोग के कानो मे जूं नही रेगने वाली है ।
कुछ विरोधी पार्टी के नेताओ ने अगले चुनाव को बहिष्कार करने की बात कर रहे है वो भी गलत है क्यों कि निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मे हिस्सा लेते है तो चुनाव प्रक्रिया पुरी हो रही है तो इस Boycott से भाजपा और चुनाव आयोग के लिये क्या फर्क होने वाला है ।
जब तक संसद के अगले सत्र मे 21 या 22 विरोधी पार्टीया ईवीएम के साथ साथ बैलेट पेपर की विक्लप व्यवस्था के लिये बिल प्रस्त्तुत नही करती है तब तक कुछ होने वाला नही है और अगर इस के लिये सदन को लम्बे समय तक स्थगन किया जाना जरुरी भी है ।
मतदान केन्द्रों मे ईवीएम के साथ-साथ बैलेट पेपर के प्रविधान होने पर वोटरो को मतदान के लिये एक खुला विक्लप मिल जायेगा जिसके फलस्वरुप चुनाव आयोग की छवि भी सुधर जायेगी ।

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