कांग्रेस के 6 दशक के शासन काल मे उच्चतम न्यालय हो या चुनाव आयोग दोनो की गरिमा को कभी भी निचा नही किया गया लेकिन मोदी के शासन काल मे दोनो संवैधानिक संस्थानो का जो पतन हुआ है वो देश ही नही बल्कि पुरा विदेश भी इनके पतन के गवाह बन चुके है । दुनिया मे पहली बार उच्चतम न्यालय के वरिष्ठ न्यायाधिशों ने देश की जनता के सामने देश की लोकतन्त्र को बाचाने के लिये गुहार करना पडा था ।
वरिष्ठ न्यायाधिशों का Observation 2019 के चुनाव मे उनके बातो को सिद्ध कर दिया है जब चुनाव आयोग को पर्दे के पिछे से बन्धुवा बनाकर वे सभी काम करवाये जिसके कारण मोदी की जोरदार वापसी हो पाई है । दुर्भाग्य है उन मातदाताओ का जिनके मताधिकार का कोई सम्मान नही हुआ ।
https://www.satyahindi.com/india/electronic-voting-machine-malfunction-in-up-bihar-election-commission-102819.html?fbclid=IwAR28D_yNFmHIbR7sYldTrg7LyLacVElbaRIC8k6PCBZ0aNv0FelCGDE8OxY
https://www.satyahindi.com/india/evm-mismatch-in-370-seats-ec-refuses-to-reply-2-102805.html
गौरतलब है कि 2014 मे जब मोदी लहर होने के बाद भी भाजपा को 31% वोट शेयर मिले और 2019 मे मोदी की शाख गिरने के बावजूद वोट प्रतिशात 50 के पर चली गई है, इस वोट प्रतिशत के विकास के पिछे चुनाव आयोग की अहम भूमिका देखने को मिली ।
अंग्रेज़ी वेबसाइट ‘द क्विंट’ ने ख़बर को माने तो ईवीएम में जितने वोट पाए गए, वे कुल मतदाताओं की संख्या से मेल नहीं खाते। ईवीएम में जितने वोट पाए गए, उसी बूथ पर उससे कम मतदाता थे ।
ऐसा एक नहीं 373 सीटों पर हुआ। यहाँ मतदान पहले के चार चरणों में हुए थे। दिलचस्प बात यह है कि ये दोनों ही आँकड़े चुनाव आयोग की वेबसाइट पर डाले गए थे जिसके आधार पर यह Calculation किया गया था । भाजपा के पक्ष मे चुनावी परिणाम मे उलट फेर की वजह वो 20 लाख ईवीम है जो चुनाव आयोग के कब्जे से गुम हो चुका है ।
चुनाव आयोग के स्तिथी यह हो चुकी है कि वे अपने द्वरा प्रस्तुत आंकडे को ही अपने वेबसाइट से हटाने के लिये बाध्य हो गये है पर वो भूल रहे है कि उनके द्वरा पूर्व मे दर्ज किये गये आंकडे का Snap shot लिया जा चुका है, अब चुनाव आयोग का आलम यह है कि अंग्रेज़ी वेबसाइट ‘द क्विंट’ द्वरा इस विषय को लेकर फोन करने से भी कॉल रिसीव नही किया जा रहा है ।
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