जब से मोदी सरकार का गठन हुआ है तब से देश के लगभग सभी संवैधानिक संस्थानों को ना केवल ध्वस्त किया गया बल्कि उनके जुबान को काट दी गई ताकि मोदी सरकार के विरोध में अपना मुंह ना खोल सके और जिन्होंने भी मोदी सरकार के खिलाफ मुंह खोलना चाहा उस परलोक भेजने का त्वरित गति से किया गया।
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पिछले 5 सली में अनेक सभ्य और भद्र सांविधानिक संस्थानों ने अपने जन बचाकर त्याग पत्र देना उचित समझा और इस प्रकार के त्याग पत्र पिछले पांच सालों में इसलिए देखने को मिले क्यों की उन्होंने अपने जमीर के साथ समझौता नहीं कर पाए है।
मोदी के दोबारा छल कपट से सरकार बना लेना उनकी हिम्मत का इजाफा हो गया है और शायद यही कारण है कि वे देश के उच्चतम न्यालय को भी पंगु बनाने के लिए आतुर हो चुके है।
मोदी सरकार के टारगेट में उच्चतम न्यालय शुरू से ही रहा और शीर्ष अदालत के द्वारा गठित कॉलेजियम सिस्टम को ध्वस्त करके विधी आयोग के गठन करने की मंशा अपने चहेते लोगो को न्यायाधीश के पद पर बैठाया का सके।
जिस प्रकार इस बार मोदी सरकार ने जानबूझ कर उच्चतम न्यालय के कॉलेजियम के आदेश को ठुकराकर अपने पसंदीदा न्यायाधीश को मध्य प्रदेश के उच्च न्यालय में चीफ जस्टिस के पड़ पर आसीन करने के लिए Notification जारी किया है उससे तो यही लग रहा है कि मोदी 2 ने उच्चतम न्यालय की चीरहरण करके रख दी है और दूसरी तरफ CJI और अन्य कॉलेजियम के न्यायाधीश चंद रुपयों के खातिर अपना त्याग पत्र भी नहीं दिया।
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