Wednesday, 17 January 2018

Political Analysis of India: मन्द बुद्दि वाले मोदे जी ने हज सब्सिडी बन्द करके इ...

Political Analysis of India: मन्द बुद्दि वाले मोदे जी ने हज सब्सिडी बन्द करके इ...: देश का बडा दुर्भाग्य है कि देश के लोगो ने एक ऐसे प्रधान मन्त्री का चयन किया है जिसकी दूरदर्शिता मामले मे ज्ञIन शून्य है और दुसरी तरफ उनके...

मन्द बुद्दि वाले मोदे जी ने हज सब्सिडी बन्द करके इण्डियन ऐयर लाइंस के पैरो मे चला दी कुल्हाडी, जाने हज सब्सिडी का सच

देश का बडा दुर्भाग्य है कि देश के लोगो ने एक ऐसे प्रधान मन्त्री का चयन किया है जिसकी दूरदर्शिता मामले मे ज्ञIन शून्य है और दुसरी तरफ उनके भीतर मुस्लिम समाज के लोगो के प्रति क्रुरता और घ्रिणा कुट-कुट कर भरा हुआ और क्यों न हो, जिस आर.एस.एस से उन्होने ऐ.बी.सी.डी सिखा है, जिनकी मादरी जुवान मुस्लिम घ्रिणा ही है I

आगामी समय पर होने वाले कुछ राज्यो के विधानसभा के चुनाव को ध्यान मे रखकर प्रधान सेवक ने अपने को कट्टर हिन्दु साबित करने के चक्कर मे मुस्लिम समाज पर दिये जाने वाले हज सब्सिडी को तत्काल और सम्पूर्ण रुप से बन्द करने का फैसला ले चुके भी है और दुसरी तरफ अगले साल 2019 के जनवरी महिने मे इलाहाबाद होने वाले अर्ध कुम्भ मेले पर 2019 के लोकसभा के चुनाव को ध्यान मे रखकर लम्बे खर्च की तैयारी शुरु कर चुके है I

https://hindi.news18.com/news/delhi/what-is-the-truth-of-haj-subsidy-1236556.html

मजे की बात यह है कि हज सब्सिडी बंद करने के बावजूद 1.79 लाख मुस्लिम लोग हज करने से पिछे नही हटे है, यह खुलासा मोदी सरकार के मन्त्री मुक्तार अब्बास नकवी ने ही किया है I

वैसे देखा जाये तो प्रधान मन्त्री ने एक पत्थर से दो शिकार करने की कोशिश की है, एक तरफ हज सब्सिडी को बन्द करना और दुसरी तरफ केन्द्र की ‘ऐयर इण्डिया’ का भट्टा बैठा कर इन्डियन ऐयर लाइंस को कौडी के दाम पर अम्बानी या अडानी के हाथो मे बेचना I

समझने वाली बात यह है सरकार अभी तक हज पर सब्सिडी देती तो थी पर उनके उपर यह अंकुश भी बना था कि वे किसी भी विदेशी विमान से हज के लिये नही जा सकते है, अगर जाना है तो ऐयर इण्डिया के विमान से ही जाना पडेगा, उधर ऐयर इण्डिया हज के दौरान अपने टिकट के मूल्यो पर जबरद्स्त बडा-चढा कर वसूल किया करती रही I



सब्सिडी के खत्म हो जाने के बाद आने वाले समय मे विदेशी ऐयर लाइंस कम्पनियां भी पुर–जोर कोशिश करेगी कि अपने टिकटो मे कुछ छूट देकर सभी हज करने वाले को अपने पाले मे डाले, और दुसरी तरफ मोदी सरकार हज करने वाले को जबरियन ऐयर इण्डिया मे सफर नही करा सकती है, इन्ही बातो से पता चलता है कि मोदी जी की दुरदर्शिता मे भारी कमी को दर्शाति है I

Sunday, 14 January 2018

Political Analysis of India: जस्टिस लोया के मौत वाले मामले मे अमित शाह को बचाने...

Political Analysis of India: जस्टिस लोया के मौत वाले मामले मे अमित शाह को बचाने...: पिछले शुक्रवार को चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्य न्याधीश को सरेआम उनके कार्यप्रणाली के खिलाफ जो भी बाते रखे थे वे अपने जगह सही रहा ...

जस्टिस लोया के मौत वाले मामले मे अमित शाह को बचाने के लिये भाजपा को गुण्डई पर उतरना पडा, जबरन करवाई पुत्र से प्रेस वार्ता

पिछले शुक्रवार को चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्य न्याधीश को सरेआम उनके कार्यप्रणाली के खिलाफ जो भी बाते रखे थे वे अपने जगह सही रहा पर उक्त वार्ता मे जस्टिस लोया के मौत के बारे मे चर्चा करना शायद अब गलत होता दिख रहा है I

जजों के द्वरा जस्टिस लोया के बारे मे बात करने पर भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह अपने को शोहराब उद्दीन के एन्कॉन्टर मामले मे फंसते दिखे, इसके अलावा उस याचिका से भी है जिसे तहसिन पूनेवाला ने उच्चतम न्यालय जस्टिस लोया के मौत के बारे मे जांच बैठाने की मांग शिर्ष अदालत से की गई, जिसकी सुनवाई आज होने की सम्भावना है I



सुत्रो के हवाले से खबर है कि जस्टिस लोया के मौत के कारणो की जांच वाले मामले ने अमित शाह के अन्दर भीषण घबराहट और बेचैनी इतनी बढ गई कि वे भाजपा के साथ पुरे दम पर गुण्डई पर ही उतर आये है और शायद महाराष्ट्र पुलिस के बल से जस्टिस लोया के लडके अनुज लोया पर दबाव देकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन अमित शाह ने करवाया I

उक्त प्रेस वार्ता मे लोया के पुत्र दबाव मे आकर अपने पिता के मौत के कारणो से पल्ला झाडने की कोशिश की और साथ मे यह भी कहा कि वे नही चाहते है कि उनके पिता के मौत की जांच हो, जब की उनके मौत को संदिग्ध बताने मे जस्टिस लोया के बहन ने ही उठाया था और तभी से यह मुद्दा मीडिया मे छाया रहा पर अमित शाह ने जस्टिस लोया के बहन की शंका पर कोई गम्भीरता नही दिखाई पर अमित शाह की घबराहट चार जजों के प्रेस वार्ता के बाद पैदा हुआ I


जस्टिस लोया के पुत्र के प्रेस वार्ता के पश्चात ट्वीटर मे कल से ही घमासान छिडा हुआ है, भाजपा और गोदी मीडिया कडे विरोध का जवाब देने मे असर्मथ दिखे पर यह तय है कि अमित शाह जस्टिस लोया के पुत्र के द्वरा प्रेस मे दिये गये बयान को शिर्ष अदालत मे मोहरा बनाकर पेश करेगी, अब देखना यह है कि अदालत पुत्र का दबाव मे आकर बयान को मानते है या वे अपने विवेक के आधार पर न्याय देते है I

Saturday, 13 January 2018

Political Analysis of India: चार जजो द्वरा प्रेष वार्ता कभी नही हुई तो कभी भी क...

Political Analysis of India: चार जजो द्वरा प्रेस वार्ता कभी नही हुई तो कभी भी क...: यह सत्य है कि पिछले 70 सालो मे कभी भी सुप्रीम कोर्ट के जजों ने एक साथ हो कर कोई प्रेष वार्ता नही की , पर यह भी सत्य है कि पिछले 70 सालो म...

चार जजो द्वरा प्रेष वार्ता कभी नही हुई तो कभी भी किसी प्रधान मन्त्री ने उच्चतम न्यालय के कार्य प्रणाली मे दखल भी नही दिया

यह सत्य है कि पिछले 70 सालो मे कभी भी सुप्रीम कोर्ट के जजों ने एक साथ हो कर कोई प्रेष वार्ता नही की, पर यह भी सत्य है कि पिछले 70 सालो मे देश के किसी भी प्रधानमन्त्री ने उच्चतम न्यालय के कार्यप्रणाली मे या जजमेन्ट मे छुपे तौर पर interfere या प्रभावित करने की कोशिश नही की और ना ही किसी प्रधान मन्त्री ने उच्च न्यालय या सी.बी.आई कोर्ट को मैनेज की होगी और ना ही किसी प्रधानमन्त्री ने उच्चतम न्यालय से अपने गुर्गे नेता को गम्भीर मुकदमे से बचाने के लिये मुख्य न्याधीश को रिटायरमेन्ट के बाद किसी प्रदेश का राज्यपाल बनाया होगा I


देश के न्यूज चैनेल्स जिन्होने अपनी जमीर को मोदी सरकार के हाथों मे चन्द रुपयों के खातिर बेच चुके है ऐसे किडे मकौडे वाले पत्रकार का कोई अधिकार नही बनता है कि स्टुडीयो मे बैठ कर उन चार जजो के निर्णय पर उंगली उठाने का साहस दिखाये, सभी जानते है कि किस के बल पर अर्नगल साहस दिखाने की हिम्मत दिखाई I

जजों द्वरा बुलाये गये प्रेष वार्ता देश के लोकतन्त्र को बचने के लिये सही कदम माना जाना चाहिये, इन सुतीये पत्रकारो को यह भी नही पता है कि जब उच्चतम न्यालय मे आरजक्ता फैली हो उसकी रोक थाम के लिये किस दरवाजे को खटखटाया जाये I


बहुत लोगो को पता ही नही कि उच्चतम न्यालय मे फैले गन्दगी को साफ करने के लिये देश के राष्ट्रपति का संविधानिक अधिकार ही नही है और ना ही राष्ट्रपति उच्चतम न्यालय के किसी भी कार्य मे दखल दे सकते है, लिहाजा चार जजों द्वारा उठाये गये कदम को न्यालय मे फैले अराजक्ता को समाप्त करने कि दिशा मे सही कदम था I

Friday, 12 January 2018

Political Analysis of India: अपने एक नेता को बचाने के लिये देश के लोकतन्त्र की ...

Political Analysis of India: अपने एक नेता को बचाने के लिये देश के लोकतन्त्र की ...: देश दुनिया मे रोजाना प्रेस कॉन्फ्रेंस हुआ करती है पर पिछले दिन सुप्रीम कोर्ट के चार जजो ने जिस ढंग से एक ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कि...

अपने एक नेता को बचाने के लिये देश के लोकतन्त्र की बली देने मे प्रधान सेवक पिछे नही हटना चाहते है I


देश दुनिया मे रोजाना प्रेस कॉन्फ्रेंस हुआ करती है पर पिछले दिन सुप्रीम कोर्ट के चार जजो ने जिस ढंग से एक ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया इसकी सूचना न केवल देश मे बल्कि दुनिया के अन्य देशो मे भी अब तक पंहुच गई होगी, कल जिस विषय पर चर्चा की गई थी तकरिबन इसी भ्रष्टाचार के विषय को लेकर कोलकाता हाई कोर्ट के दलित जज श्री कूरियन ने सुप्रिम कोर्ट मे फैले भ्रष्टाचार पर उंगली रखे थे, पर आखिर हुआ क्या, सुप्रीम कोर्ट ने अपने रुतवा बनाये रखने के लिये उन्हे जेल मे डाल दिया I

उक्त चार जजों ने अपनी मन की बात मे सीजीआई द्वरा दुर्षित कार्य प्रणाली पर ही ज्यादा प्रहार किया और साथ इशारे–इशारे मे वे बातें भी कर गये जिससे सुप्रीम कोर्ट मे फैले प्रशासनिक अनिमितताओ का खुलासा हुआ I

https://twitter.com/PronobKumarRoy/status/951873516088975360
http://exposekhabar.com/judges-ke-sadak-par-aane-par-ravish-kumar-ne-diya-sandesh/?utm_source=Facebook&utm_medium=UTM1


चार जजों ने अपने जो भी बाते रखे है वह किसी भी रुप मे मोदी सरकार से लेना देना ही नही था और ना ही उक्त जजों ने मोदी सरकार के उपर कोई भी टिप्पणी की है, लेकिन जिस ढंग से उक्त कॉन्फ्रेस को लेकर मोदी के भक्त और गोदी मीडिया ने इस प्रेस वार्ता पर चिख-चिख कर अपने गंदे प्रतिक्रिया रखे है उससे एक बात साफ हो गई है कि चोर के दाढी मे कहीं न कहीं तिनका छुपा हुआ है I

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद राजनीतिक पार्टी ने भी अपने अपने नपी-तुली प्रतिक्रियायें दियें है, कांग्रेस के अध्यक्ष श्री राहुल गान्धी ने कहा कि जजों के सवाल बेहद जरुरी सवाल है उसे नजर अन्दाज नही किया जा सकता है, जजों ने जस्टिस लोया के निधन पर भी अपने बात रखे है, जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज से होनी चाहिये, वहीं प्रशान्त भूषण ने कहा कि जिस तरह सीजेआई ने अपनी ताकत का दुरुपयोग किया, उससे किसी को तो टकराना ही था I

भाजपा के एमपी श्री सुब्रमण्ययन स्वमी ने कहा कि ये चारो जज काफी ईमानदार है और उन की नीयत पर सवाल नही उठाए जा सकते, उन्होने आगे कहा कि प्रधान मन्त्री को इस मामले मे दखल देना चाहिये I

ऐसा माना जा रहा है कि मोदी जी द्वरा सुप्रीम कोर्ट के कार्यप्रणाली मे दखल देने वाले मामले को लेकर मे गुप्त दखल जस्टिस लोया के निधन सम्बन्धी वाली याचिका पर पंहुच चुकी होगी, अपने एक नेता को बचाने के लिये देश के लोकतन्त्र की बली देने मे प्रधान सेवक पिछे नही हटना चाहते है I

Thursday, 11 January 2018

Political Analysis of India: सिंगल ब्राण्ड रिटेल मे सिधे 100 फिसदी वेदेशी निवेश...

Political Analysis of India: सिंगल ब्राण्ड रिटेल मे सिधे 100 फिसदी वेदेशी निवेश...: देश की अर्थ व्यवस्था को पुरे दम से दिमक की तरह चट जाने के बाद देश के प्रधान सेवक को सिंगल ब्राण्ड रिटेल और निर्माण मे सीधे 100 फिसदी विदे...

सिंगल ब्राण्ड रिटेल मे सिधे 100 फिसदी वेदेशी निवेश, अच्छा पल्ले पड़ गई है थूक चाटु वाली सरकार

देश की अर्थ व्यवस्था को पुरे दम से दिमक की तरह चट जाने के बाद देश के प्रधान सेवक को सिंगल ब्राण्ड रिटेल और निर्माण मे सीधे 100 फिसदी विदेशी निवेश के मामले मे एक जोरदार सपना आया और उसे ठिक आम बजट से पहले आनन फानन मे अपने चेले-चापड़ मन्त्रीयो को लेकर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आई) नीति मे फेर बदल कर के सिंगल ब्राण्ड रिटेल ट्रेड और निर्माण मे ऑटो मैटिक रुट से 100 फिसदी की अनुमति दे दी है I

सोचने वाली बात यह है जिस देश की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है, उस देश मे विदेशी कम्पनी क्यो अपना पैसा लगायेगी, इसके पहले भी तो देश मे विदेशी निवेश हुआ होग,उससे देश की कितनी प्रगति हुई I

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=829933677213399&set=gm.1622442807799261&type=3

सिंगल ब्राण्ड रिटेल मे 100 फिसदी विदेशी निवेश की अनुमति के बाद यह बात साफ हो चुकी है कि सरकार चलाने की कला केवल और केवल कांग्रेस के गम्भीर राजनीतिक सोच और अनुभव मे ही थी, वहीं भाजपा और मोदी जी अपने कार्यकाल मे अपनी गम्भीर सोच को दिखा न सके I

यह बात अलग है कि मोदी जी अपनी कमियों और अल्प ज्ञान को छुपाने के लिये भले यह कहते रहे कि 70 वर्षो मे कांग्रेस ने किया क्या है, जब कि जिस मीडिया के बल पर मोदी जी फुल-पसर रहे है वे भी कांग्रेस की देन है I

जिन–जिन अनगिनत प्रक्लपो और योजनाओं पर भाजपा और मोदी जी ने विपक्ष मे रहते हुए कांग्रेस की सरकार को अपनी मन्द बुद्दि और अनुभवहिनता के कारण से घेरा था आज कांग्रेस के उसी गम्भीर अनुभव को कॉपी पेस्ट करने या नकल उतारने मे ही लगे है I

वैसे भी लोग यह मानते है कि नकल के लिये अक्ल की जरुरत होती है पर मोदी जी के अल्प Eduucation के कारण नकल किये गये सभी विषय पिटने लगे है,चाहे व जीएसटी हो या आधार, पर मोदी सरकार थोडी चालाकी यह करते रहे कि कांग्रेस के जमाने मे अधिकांश चलाये गये कई विषयों के नाम बदले की हेरा-फेरी की I

देश का बडा दुर्भाग्य होगा अगर मोदी जी 2019 का चुनाव मुख्य चुनाव आयोग और ईवीएम की हेरा-फेरी कर दोबारा सरकार गठित कर लेते है, वैसे अगर यह होता है तो समझे कि बन्दर के हाथ मे दो बार तलवार थमाने जैसा होगा I

Friday, 5 January 2018

भाजपा और कांग्रेस का ‘आप’ के राज्यसभा के उम्मिदवारों के खिलाफ बोलना कुकुर के भौंकने के समान है

पिछले 70 सलो मे न जाने कितनी बार राज्य सभा का चुनाव सम्पन्न हुआ होगा पर इस बार दिल्ली के राज्य सभा के चुनाव को बहुत वर्षो तक देश की जनता उसे याद रखेगी, इस राज्य सभा के चुनाव को यादगार बनाने के लिये श्री केजरिवाल का राजनीतिक रणनीति ने भाजपा, काग्रेस और गोदी मीडिया को काफी दिनो तक भरमाये रक्खा और अन्त मे आम आदमी पार्टी ने जब खुल जा सिम-सिम कहा तो भाजपा और काग्रेस को ‘आप’ के प्रत्याशियो के नाम सुनकर पेट मे तगडा ऐंठन और मरोड चालु हो गया I

समझने की बात यह है कि कोई भी पार्टी किसी चुनाव मे किसे प्रत्याशी बनाती है यह सम्पूर्णता उस पार्टी का अन्दुरनी मामाला और अधिकार का विषय है, इसमे दुसरी पार्टी का टांग अडाना या टिप्पणी करना घोर अनैतिक विषय है और भाजपा और कांग्रेस ‘आप’ के उम्मिदवारों पर बोलना एक रास्ते के कुत्ते के भौंकने के समान देखा जाना चाहिये I

केजरीवाल के निर्णय से जब बीजेपी, कांग्रेस और मीडिया मे शोक की लहर हो तो यह साबित बात होगी कि निर्णय बिल्कुल सही हुआ है I राज्यसभा का चुनाव और भाजपा अपना प्रत्याशी देने से भागते रहे, फिर चुनाव किस बात की हो रही है, जब कोई बिपक्ष ही नही I

दिल्ली में राज्यसभा सीटों के लिए इस बार भी नही होगी वोटिंग। आम आदमी पार्टी के तीनों उम्मीदवारों का निर्विरोध चुना जाना तय नामांकन के आखिरी दिन किसी चौथे उम्मीदवार ने नही दाखिल किया नामांकन 16 जनवरी चुनाव के दिन नही होगी वोटिंग संजय सिंह, एनडी और सुशील गुप्ता बनेंगे सांसद I

https://www.youtube.com/watch?v=DGgdxdyi8rk&feature=share

भाजपा और कांग्रेस ने कभी नही सोचा था जिस खेल को दोनो पार्टीयां अब तक खेलते आ रहे थे उसे श्री अरविन्द केजरिवाल ने इस बार उनके साथ खेल गये, यह जो दोनो पार्टीयों के नेताओं का पाला बदलने वाला खेल बादस्तुर चुनाव के दौरान देखने को मिलता था वही खेल श्री केजरिवाल कर गये, इसी क्रम मे राहुल गान्धी ने गुजरात के चुनाव मे मन्दिरों मे माथा टेकने और घंटा बजाने का खेल और सुश्री ममता बनर्जी के द्वारा बंगाल मे ब्राहमणो के सम्मेलन के आयोजन का खेल केवल भाजपा के खेल को बिगाडने की राजनीतिक रणनीती ही है I

जब से आम आदमी पार्टी ने राज्य सभा चुनाव के लिये अपने प्रत्यशीयों की घोषणा किया है तभी से कुछ मोदी भक्त कुकुरमुत्ते की तरह ‘आप’ के मुखोटे पहनकर श्री कुमार विश्वा के समर्थन मे कुद पडे है, जब कि कुमार विश्वास दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ रोजाना एलजी द्वरा हर विषय पर अडंगे पर कभी मूंह नही खोला और न ही विरोध किया, पर दुसरी तरफ कुमार विश्वास ने भाजपा से उधारु फर्जी समर्थको को फेशबुक और ट्वीटर मे दो बाहरी चेहरो को उनके काबलियत को बिना समझे-बुझे उंगली उठाने का काम करवाया I

अगर आप निचे दिये गये श्री मनीश शिसोदिया के प्रेष वार्ता के वीडियो को सुने तो आप को दो नये आगंतुको के प्रतिभा का पता चल जायेगा और कुमार विश्वास उनके प्रतिभा के आगे दूर-दूर तक कहीं खडे नजर नही आते है I

Wednesday, 3 January 2018

Political Analysis of India: कुमार विश्वास को दो नावों की सवारी भारी पड़ा, केजर...

Political Analysis of India: कुमार विश्वास को दो नावों की सवारी भारी पड़ा, केजर...: कुमार विश्वास को राज्य सभा मे न भेज कर दिल्ली के मुख्य मन्त्री ने साफ संकेत दे दिया है कि किसी भी सूरत मे अनुशासनहिनता पार्टी मे बर्दास्त...

कुमार विश्वास को दो नावों की सवारी भारी पड़ा, केजरिवाल को बदनाम करने के लिये भाजपा के साथ जाना लगभग तय है

कुमार विश्वास को राज्य सभा मे न भेज कर दिल्ली के मुख्य मन्त्री ने साफ संकेत दे दिया है कि किसी भी सूरत मे अनुशासनहिनता पार्टी मे बर्दास्त नही किया जा सकता है और यही अनुशासनहिनता पार्टी मे रह कर योगेन्द्र यादव और प्रंशात भुषण ने किया था और आखिर मे उन्हे पार्टी को स्वत: छोडना पडा I

अरविन्द केजरिवाल की जगह अगर मै केजरिवाल के पद पर होता तो मै भी शायद श्री विशवास के खिलाफ यही निर्णनय लेता, जिस दिन कुमार विश्वास ने अपने कद को केजरिवाल से बडा दिखाने के चक्कर मे आकर भाजपा के सहयोग से आम आदमी पार्टी के कार्यलय मे प्रदर्शन किया था तभी मुझे लगा यह बन्दा पार्टी पर हावी होना चाहता है जो किसी भी आप के सद्स्यों या समर्थको को हजम नही हुआ, अगर केजरिवाल विश्वास के दबाव मे आकर निर्णय लिये होते तो विश्वास जैसा चौवनी नेता आगे चल कर भी धमकी देने से बाज न आते I

https://twitter.com/PronobKumarRoy/status/948606834524356608

मजे की बात यह है कि श्री विश्वास को राज्यसभा मे न भेजे जाने पर सबसे बडा दुख और झटका भाजपा के साथ-साथ भक्तो और गोदी मीडिया को लगा है और दिल्ली के भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कुमार विश्वास को लेकर केजरिवाल के खिलाफ बयान ही दे डालें है और फेसबुक और ट्वीटर मे भक्तो के रुदाली रुप देखने को मिले I

भाजपा ने अपने भक्तो के बल पर ट्वीटर और फेसबुक पर श्री विश्वास के लिये जो घडियाली आंसू बहायें है उसके पिछे भी राजनीती देखने को मिला, भाजपा यह चाहती है कि केजरिवाल को इस विषय को लेकर इतना बदनाम ही न करो ब ल्कि इतना जहर घोल दो ताकि उनके समर्थक उनसे पिछे हट जायें और उसके साथ उनके चन्दे भी आना कम हो जाये I

कुमार विश्वास के समर्थक अगर यह समझते है कि आम आदमी पार्टी मे वे एक बडे दम दार नेता है तो क्यों नही वे 2019 के लोक सभा चुनाव मे आप के टिकट से जीत कर दिखायें, आखिर एक तथाकथित दमदार नेता संसद के पिछले दरवाजे से प्रवेश करना क्यों चाह रहा है I



जब @SwatiJaiHind जी को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया तब भी ऐसे ही शोर भ क्तो और छदम आप समर्थक ने मचाया था, नतीजा सबके सामने है। थोडा सब्र तो करो। राज्य सभा मे भी #AAP का डंका बजेगा I