Saturday, 13 January 2018

चार जजो द्वरा प्रेष वार्ता कभी नही हुई तो कभी भी किसी प्रधान मन्त्री ने उच्चतम न्यालय के कार्य प्रणाली मे दखल भी नही दिया

यह सत्य है कि पिछले 70 सालो मे कभी भी सुप्रीम कोर्ट के जजों ने एक साथ हो कर कोई प्रेष वार्ता नही की, पर यह भी सत्य है कि पिछले 70 सालो मे देश के किसी भी प्रधानमन्त्री ने उच्चतम न्यालय के कार्यप्रणाली मे या जजमेन्ट मे छुपे तौर पर interfere या प्रभावित करने की कोशिश नही की और ना ही किसी प्रधान मन्त्री ने उच्च न्यालय या सी.बी.आई कोर्ट को मैनेज की होगी और ना ही किसी प्रधानमन्त्री ने उच्चतम न्यालय से अपने गुर्गे नेता को गम्भीर मुकदमे से बचाने के लिये मुख्य न्याधीश को रिटायरमेन्ट के बाद किसी प्रदेश का राज्यपाल बनाया होगा I


देश के न्यूज चैनेल्स जिन्होने अपनी जमीर को मोदी सरकार के हाथों मे चन्द रुपयों के खातिर बेच चुके है ऐसे किडे मकौडे वाले पत्रकार का कोई अधिकार नही बनता है कि स्टुडीयो मे बैठ कर उन चार जजो के निर्णय पर उंगली उठाने का साहस दिखाये, सभी जानते है कि किस के बल पर अर्नगल साहस दिखाने की हिम्मत दिखाई I

जजों द्वरा बुलाये गये प्रेष वार्ता देश के लोकतन्त्र को बचने के लिये सही कदम माना जाना चाहिये, इन सुतीये पत्रकारो को यह भी नही पता है कि जब उच्चतम न्यालय मे आरजक्ता फैली हो उसकी रोक थाम के लिये किस दरवाजे को खटखटाया जाये I


बहुत लोगो को पता ही नही कि उच्चतम न्यालय मे फैले गन्दगी को साफ करने के लिये देश के राष्ट्रपति का संविधानिक अधिकार ही नही है और ना ही राष्ट्रपति उच्चतम न्यालय के किसी भी कार्य मे दखल दे सकते है, लिहाजा चार जजों द्वारा उठाये गये कदम को न्यालय मे फैले अराजक्ता को समाप्त करने कि दिशा मे सही कदम था I

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