भले ही तीन तलाक के मुद्दे पर देश के सभी चैनेल्स मे कल दिन भर उच्चतम न्यलाय के आदेश और निर्णय पर घन घोर चर्चा होती रही पर उच्चतम न्यलय ने बडे ही ईमानदारी के साथ तीन तलाक के मुद्दो को केन्द्र सरकार के पाले मे डाल दिया है, क्यों कि न्यालय जानती है कि कानून बनाना उनके अधिकार मे नही है I
देश के उच्चतम न्यालय ने इस मामले को लेकर बहुत ही माथा पच्ची किया होगा और साथ मे न्यालय ने शरियत कानून को भी खुब आदर और सम्मान दिया और मोदी सरकार के उन बातो को खारिज किया जिसमे सरकार ने तलाक के अन्य पहेलुओ को खत्म करने के लिये न्यालय के समक्ष अपनी बात रक्खे थे I
देखने और समझने की बात यह है कि न्यालय ने कुरान मे दिये गये तलाक के अन्य पहेलुओं जैसे तलाक-ए-अहशान और तलाक-ए-हसन पर कोई कमेन्ट ही नही किया बल्कि एक बार मे कहे गये तलाक,-ए-विद्द्त (Instant triple Talak) पर ही अगले छह माह तक रोक लगा दी है I
यह बात ध्यान रखने की है कि सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मूल सिद्दांतों को खत्म नही किया है और अगले छह माह तक तलाक के दूसरे फारमेट का भी प्रोयग बंद हो जायेगा ऐसा सोचना भी गलत है और कुछ सिर फिरे मुस्लिम पुरुष अपने रुतवा को बनाये रखने के लिये इधर उधर हाथ मारने के फिराक मे रहेगे I
भारत जैसे देश मे उच्चतम न्यालय द्वरा तीन तलाक पर जबरदसत दखल और जोरदार न्याय को हिस्टोरिकल तो कहा जा सकता है पर अलौकिक नही कहा जा सकता है उसका कारण यह रहा कि विश्व के उन्नीस इस्लामिक देशो ने इस तीन तलाक के खिलाफ शक्त कानून अपने अपने देशो मे पारित कर चुके है, जिसकी अधिक जानकारी निचे दिया गये लिंक पर क्लिक करके जाना जा सकता है I
भले ही भाजपा उच्चतम न्यालय के इस आदेश के लिये “बैगाने की शादी मे अब्दुल्ला दिवाना” जैसा व्यवहार करे पर कांग्रेस के अलावा अन्य सभी दलो ने न्यालय के इस आदेश की प्रसंसा करने मे पिछे नही रहे I
अब देखना यह है कि मोदी सरकार अगले छह महिने के भितर तलाक-ए-विद्दत पर शरियत आधारित कोइ ठोस कानून लाती है या संघी आदेशो का पालन करेगी, हालांकि कि मोदी सरकार उच्चतम न्यालय के आदेश के बावजूद जन लोकपाल के नियुक्ती के विषय कोइ रुची अब तक नही दिखाया है I
http://indianexpress.com/article/india/pakistan-egypt-among-19-countries-that-have-abolished-triple-talaq-supreme-court-verdict-4808780/
http://indianexpress.com/article/india/instant-triple-talaq-unconstitutional-against-teachings-of-islam-supreme-court-4807974/
देश के उच्चतम न्यालय ने इस मामले को लेकर बहुत ही माथा पच्ची किया होगा और साथ मे न्यालय ने शरियत कानून को भी खुब आदर और सम्मान दिया और मोदी सरकार के उन बातो को खारिज किया जिसमे सरकार ने तलाक के अन्य पहेलुओ को खत्म करने के लिये न्यालय के समक्ष अपनी बात रक्खे थे I
देखने और समझने की बात यह है कि न्यालय ने कुरान मे दिये गये तलाक के अन्य पहेलुओं जैसे तलाक-ए-अहशान और तलाक-ए-हसन पर कोई कमेन्ट ही नही किया बल्कि एक बार मे कहे गये तलाक,-ए-विद्द्त (Instant triple Talak) पर ही अगले छह माह तक रोक लगा दी है I
यह बात ध्यान रखने की है कि सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मूल सिद्दांतों को खत्म नही किया है और अगले छह माह तक तलाक के दूसरे फारमेट का भी प्रोयग बंद हो जायेगा ऐसा सोचना भी गलत है और कुछ सिर फिरे मुस्लिम पुरुष अपने रुतवा को बनाये रखने के लिये इधर उधर हाथ मारने के फिराक मे रहेगे I
भारत जैसे देश मे उच्चतम न्यालय द्वरा तीन तलाक पर जबरदसत दखल और जोरदार न्याय को हिस्टोरिकल तो कहा जा सकता है पर अलौकिक नही कहा जा सकता है उसका कारण यह रहा कि विश्व के उन्नीस इस्लामिक देशो ने इस तीन तलाक के खिलाफ शक्त कानून अपने अपने देशो मे पारित कर चुके है, जिसकी अधिक जानकारी निचे दिया गये लिंक पर क्लिक करके जाना जा सकता है I
भले ही भाजपा उच्चतम न्यालय के इस आदेश के लिये “बैगाने की शादी मे अब्दुल्ला दिवाना” जैसा व्यवहार करे पर कांग्रेस के अलावा अन्य सभी दलो ने न्यालय के इस आदेश की प्रसंसा करने मे पिछे नही रहे I
अब देखना यह है कि मोदी सरकार अगले छह महिने के भितर तलाक-ए-विद्दत पर शरियत आधारित कोइ ठोस कानून लाती है या संघी आदेशो का पालन करेगी, हालांकि कि मोदी सरकार उच्चतम न्यालय के आदेश के बावजूद जन लोकपाल के नियुक्ती के विषय कोइ रुची अब तक नही दिखाया है I
http://indianexpress.com/article/india/pakistan-egypt-among-19-countries-that-have-abolished-triple-talaq-supreme-court-verdict-4808780/
http://indianexpress.com/article/india/instant-triple-talaq-unconstitutional-against-teachings-of-islam-supreme-court-4807974/
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