भले ही सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई के लिये तैयार हो गयें है, जिसमे बिहार के मुख्य मन्त्री नीतीश कुमार ने सालो तक चुनावी हलफनामे मे निचली अदालत मे लंबित अपने अपराधिक मामले की जानकारी नही दी पर क्या उच्चतम न्यालय इस संदर्व मे नीतीश कुमार को कडे दण्ड दे पायेगी जिसमे एक नजिर स्थापित किया जा सके I
अगर प्रिन्ट मीडिया मे छपे खबरो को माने तो याचिकाकर्ता ने अपने याचिका मे केवल नितीश कुमार की विधान परिषद की सदस्यता रद्द करने की गुहार की है I हम यह मान कर चल रहे है कि यह मुकदमा लम्बे समय तक चलेगा जिसका फायदा नीतीश कुमार को मिलगा I
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सीबीआई को इस मामले मे एफआईआर दर्ज करने के ऑर्डर दिया जाए। याचिकाकर्ता के मुताबिक इलेक्शन कमीशन ने कुमार के खिलाफ केस की जानकारी होते हुए भी उनकी मेंबरशिप खारिज नहीं की जिसके कारण वो अब भी संवैधानिक पद पर काबिज हैं। नीतीश पर 2004 से 2012 के दौरान चुनावी हलफ़नामों में आपराधिक केस की जानकारी छुपाने का आरोप है।
हो सकता है आने वाले समय मे नीतीश कुमार अपने गिरती हुई छवि को बचाने के लिये एक नये पैंतरे का साहारा लें और एक आध महीने के भीतर ही एक नये प्रलाप के साथ उच्चतम न्यालय के किसी आदेश के आने के पुर्व ही एमएलसी के पद से त्यागपत्र दे डालें और पुन: दो घंटे के भितर ही दोबारा अपने नये गुरु घंटाल के सहारे मुख्य मन्त्री का शपथ ग्रहण करलें और अगले छ्ह माह के भितर पुन: एमएलसी बन जायें I
एक बात तो तय है कि आरजेडी के लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव उच्चतम न्यालय मे दाखिल याचिका को पुरा भुनाने की कोशिश करेंगे और समय–समय पर कुर्सी कुमार का सरेआम वस्त्र हनन करते रहेंगे भले ही न्यालय का बाद मे जो भी आदेश दें I
अब देखना यह है कि कुर्सी कुमार के इस धोका-धडी को सुप्रीम कोर्ट कोई कठोर दण्डात्मक आदेश पारित करते है कि नही I
http://www.jaihindmaithilinews.in/%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%9f-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%a6%e0%a4%96%e0%a4%b2-%e0%a4%b9%e0%a4%9f%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a5%87%e0%a4%82%e0%a4%97/
अगर प्रिन्ट मीडिया मे छपे खबरो को माने तो याचिकाकर्ता ने अपने याचिका मे केवल नितीश कुमार की विधान परिषद की सदस्यता रद्द करने की गुहार की है I हम यह मान कर चल रहे है कि यह मुकदमा लम्बे समय तक चलेगा जिसका फायदा नीतीश कुमार को मिलगा I
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सीबीआई को इस मामले मे एफआईआर दर्ज करने के ऑर्डर दिया जाए। याचिकाकर्ता के मुताबिक इलेक्शन कमीशन ने कुमार के खिलाफ केस की जानकारी होते हुए भी उनकी मेंबरशिप खारिज नहीं की जिसके कारण वो अब भी संवैधानिक पद पर काबिज हैं। नीतीश पर 2004 से 2012 के दौरान चुनावी हलफ़नामों में आपराधिक केस की जानकारी छुपाने का आरोप है।
हो सकता है आने वाले समय मे नीतीश कुमार अपने गिरती हुई छवि को बचाने के लिये एक नये पैंतरे का साहारा लें और एक आध महीने के भीतर ही एक नये प्रलाप के साथ उच्चतम न्यालय के किसी आदेश के आने के पुर्व ही एमएलसी के पद से त्यागपत्र दे डालें और पुन: दो घंटे के भितर ही दोबारा अपने नये गुरु घंटाल के सहारे मुख्य मन्त्री का शपथ ग्रहण करलें और अगले छ्ह माह के भितर पुन: एमएलसी बन जायें I
एक बात तो तय है कि आरजेडी के लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव उच्चतम न्यालय मे दाखिल याचिका को पुरा भुनाने की कोशिश करेंगे और समय–समय पर कुर्सी कुमार का सरेआम वस्त्र हनन करते रहेंगे भले ही न्यालय का बाद मे जो भी आदेश दें I
अब देखना यह है कि कुर्सी कुमार के इस धोका-धडी को सुप्रीम कोर्ट कोई कठोर दण्डात्मक आदेश पारित करते है कि नही I
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