जब सरकार को देश के धरोहर को बेच बेच कर थक गए है तब जाकर देश के किसान को मोदी सरकार अपने पूंजीपतियों मित्रो के हाथो में किसानों के बोली लगाने पर उतारू हो चुके है।
https://www.facebook.com/100004581871731/posts/1691641477665232/
अगर पीएम मोदी को लग रहा है कि तीन किसान बिल किसानों के हित में है तो मोदी सरकार इन बिलों को दोनों सदनों में पास कराने से पहले इस पर सदन में चर्चा करने से क्यों भाग गए और उनके इस भागने की प्रक्रिया यह साबित करती है कि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि दाल ही काली है।
मोदी सरकार द्वारा देश को व्यवसायिक नीति से चलाने की खामियाजा नोट बन्दी और जीएसटी का परिणाम देश के लोग देख चुके है और इस प्रकार की व्यवसायिक नीति ने देश के आर्थिक रीढ़ को तोड़कर तहस नहस कर दिया है और इसी कारण देश की जीडीपी अंधेरे खाई में गिर चुका है।
पीएम मोदी के लिए देश के किसान से बड़ा है उनके पूंजीपति दोस्त है जो देश को दीमक के तरह चाटना शुरू कर दिया है और अगले लोकसभा के चुनाव में देश की स्तिथि ऐसी हो जाएगी कि देश में चुनाव करवाने का भी रकम नहीं बचेगा।