Thursday, 24 September 2020

अगले लोकसभा चुनाव को देखने का सपना विपक्ष पार्टियों को छोड़ देना चाहिए तब तक चुनाव करवाने की रकम बचेगी नहीं

जब सरकार को देश के धरोहर को बेच बेच कर थक गए है तब जाकर देश के किसान को मोदी सरकार अपने पूंजीपतियों मित्रो के हाथो में किसानों के बोली लगाने पर उतारू हो चुके  है।

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अगर पीएम मोदी को लग रहा है कि तीन किसान बिल किसानों के हित में है तो मोदी सरकार इन बिलों को दोनों सदनों में पास कराने से पहले इस पर सदन में चर्चा करने से क्यों भाग गए और उनके इस भागने की प्रक्रिया यह साबित करती है कि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि दाल ही काली है।

मोदी सरकार द्वारा देश को व्यवसायिक नीति से चलाने की खामियाजा नोट बन्दी और जीएसटी का परिणाम देश के लोग देख चुके है और इस प्रकार की व्यवसायिक नीति ने देश के आर्थिक रीढ़ को तोड़कर तहस नहस कर दिया है और इसी कारण देश की जीडीपी अंधेरे खाई में गिर चुका है।

पीएम मोदी के लिए देश के किसान से बड़ा है उनके पूंजीपति दोस्त है जो देश को दीमक के तरह चाटना शुरू कर दिया है और अगले लोकसभा के चुनाव में देश की स्तिथि ऐसी हो जाएगी कि देश में चुनाव करवाने का भी रकम नहीं बचेगा।

Tuesday, 15 September 2020

झूठ बोलना पीएम मोदी के लिए बायें हाथ का खेल है, चुनाव के समय झूठ बोलने के फेरिस्ट बढ़ जाती है

जब कभी भी किसी भी राज्य में चुनाव नजदीक आने लगते है तब पीएम मोदी के झूठ बोलने और झूठे आश्वासन में एक तेजी देखने को मिलते है।

पीएम मोदी की विशेषता यह रही कि देश में जितने बडी समस्या आ जाए उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है, भले ही देश के विपक्ष पार्टी देश के समस्यायों को लेकर जितना शोर मचा ले पर क्या मजाल है पीएम मोदी इस मामले में ट्स से मस होते हुए कभी भी नहीं दिखे।

https://khabar.ndtv.com/news/bihar/bihar-did-not-got-its-package-announced-by-pm-modi-reveals-in-rti-1667613

लॉक डॉउन पीरियड में जिस प्रकार अन्य प्रदेशों की तरह बिहार के अप्रवासी मजदूरों को परेशानी उठनी पड़ी यह देश के सभी लोगो ने ना केवल देखा बल्कि उनके पीड़ा का भी एहसास किया गया था उस समय पर मोदी सरकार यह कहकर झूठ बोलते दिखे कि मोदी सरकार और नीतीश सरकार मजदूरों के ट्रेन का किराया अदा कर रहे है जो बाद कोरा झूठ साबित हुआ।

राजनीतिक कारणों के वजह पीएम मोदी झूठ बोलने का काम करते है, वो अच्छी तरह से जानते है कि एक झूठ बोल दो और सारे देश के गंभीर मुद्दे छुप जाएगा क्यों की चर्चा झूठ पर चलता रहेगा।

Monday, 14 September 2020

बीजेपी और भक्तो का #JusticeforSSR हुआ फ्लॉप, मोदी सरकार अहम को बचाने के लिए रिया को किया अरेस्ट

रिया चक्रवर्ती के मामले को बीजेपी ने एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत शुरू किया था । सीबीआई और ईडी से जांच करने के बावजूद बीजेपी समर्थक #JusticeForSushant चलाकर रखने के बाद सीबीआई और ईडी के हाथ खाली है, क्या में ड्रग एंगल लगाकर रिया को बन्द कर देने पर सुशांत को क्या न्याय मिल जाएगा?

https://m.thewirehindi.com/article/sushant-death-case-rhea-chakraborty-indian-media-misogyny/139117

सुशांत के पिता के द्वारा दर्ज किए गए FIR में जितने भी आरोप एक महिला को प्रताड़ित करने के लिए लगाए गए थे वे सभी झूठे और बेबुनियाद साबित हो चुके है।

सीबीआई और ईडी द्वारा रिया से गहन पूछ - ताछ के बाद भी जांच एजेंसियों के पास ऐसे कोई सबूत हाथ में नहीं लगे जिससे सुशांत के मौत के कारणों का खुलासा हो सके।

सीबीआई और ईडी के जांच फेल होने के बाद मज़बूरी में गृहमंत्रालय को जबरिया ड्रग एंगल को लाना पड़ा ताकि रिया के गिरफ्तारी करके बीजेपी अपना पिट थपथपा सके।

जिस आत्मविश्वास के साथ रिया ने मोदी सरकार के तीन जांच एजेंसियों का सामना किया इसके लिए रिया को सलाम, बंगाली बाला ने जांच एजेंसी के दांत ख्ट्टे कर चुके है।

Saturday, 12 September 2020

रिया चक्रवर्ती को बंगाल के अस्मिता से जोड़कर कांग्रेस ने बीजेपी को बंगाल में पीछे धकेलने का काम किया

जिस प्रकार रिया चक्रवर्ती को मोदी सरकार और उनके एनसीबी ने जबरदस्ती फसाने का काम अपने राजनीतिक उद्देश्य और  सुशांत सिंह को बिहार चुनाव के लिए इस्तमाल किया उसका तोड कांग्रेस के दिग्गज नेता और बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष श्री अधीर रंजन चौधरी ने आखिर में निकाल ही लिया

https://khabar.ndtv.com/news/india/congress-came-out-on-the-streets-of-bengal-in-support-of-daughter-of-bengal-rhea-chakraborty-2294474

एक तरफ जहां बीजेपी बिहार के चुनाव को ध्यान में रखकर सुशांत सिंह के मौत के आड में राजनीतिक समीकरण बनाकर बिहार के जनता को इमोशनल ब्लैकमेलिंग शुरू किया है वहीं कांग्रेस के अधीर रंजन ने रिया को बंगाल की कहकर बीजेपी को चुनौती दे दिया है।

कांग्रेस के नेता ने रिया को बंगाल के अस्मिता से जोड़कर बंगाल के बीजेपी को पीछे ढकलने का काम किया है और अगर  रिया के साथ मोदी सरकार की जांच एजेंसी ज्यादा दिक्कत पैदा करते है तो उसका सीधा असर अगले साल बंगाल में विधानसभा चुनाव में असर देखने को मिलेगा।

अगर बिहार के चुनाव में बीजेपी सुशांत सिंह के मौत को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ते है तब बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस भी रिया को मुद्दा बनाने में पीछे नहीं रहेंगे।

Tuesday, 8 September 2020

NCB ने गृहमंत्रालय के प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए रिया चक्रवर्ती को जबरियां गिरफ्तार किया

एक पुरानी कहावत है कि चले थे दुबे बनने और छबबे बनकर रह गए और यही हाल मोदी सरकार के गृह मंत्रालय का है जो  चक्रवर्ती को सीबीआई और ईडी के जरिए जेल भेजना चाहते थे पर फर्जी ड्रग मामले में रिया को गिरफ्तार करना पड़ा है और वो भी बिना ठोष सबूत और साक्ष्य के।

https://janchowk.com/pahlapanna/salute-to-rhea-chakrabortys-courage/

NCB का इस प्रकार का कवायद केवल गृह मंत्रालय के दबाव और उनके प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए किया गया प्रयास मात्र है।

भाजपा सुशांत सिंह के मौत के दो माह बाद तब जगे जब उन्हें लगा कि सुशांत के मौत पर राजनीति से बिहार चुनाव में लाभ हो सकता है और सुशांत के पिता के द्वारा जबरदस्ती एफआईआर दर्ज करवाया गया था।

जब सीबीआई और ईडी को रिया के खिलाफ कोई ठोस सबूत हाथ में नहीं लगा तब मोदी सरकार ने अपने प्रतिष्ठा बनाने के नियत से NCB के ट्रंप कार्ड की खेला ताकि रिया को जबरदस्ती गिरफ्तार किया जा सके।

दूसरी तरफ एनसीबी मान चुके है कि सुशांत के कहने पर रिया सुशांत के उपयोग के लिए ड्रग का इंतजाम करते थे।

गृह मंत्रालय को बताना पड़ेगा कि सुशांत के मौत के कारणों का पता सीबीआई कब तक लगा लेंगे ।

Saturday, 5 September 2020

एनसीबी के जांच के बहाने रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार करने का चक्रव्यू मोदी सरकार और भाजपा ने रचा है

मोदी सरकार के दबाव में आकर सीबीआई सुशांत सिंह के मौत के कारणों की जांच मुस्तैदी से इसलिए कर रहे है ताकि बीजेपी का बिहार के चुनाव में रिया चक्रवर्ती के गिरफ्तारी को भंजाया जा सके।

हकीकत यह है कि रिया के अलावा सीबीआई अनेक लोगो के साथ पूछताछ कर चुके और सुशांत सिंह के फ्लैट में जाकर क्राइम सीन को रीक्रिएट भी कर चुके है।

हद तो तब हो गईं जब सीबीआई चौथी बार सुशांत के फ्लैट में क्राइम सीन को रीक्रिएट करने के उद्देश्य से अपने साथ इस बार  AIIMS याने डॉक्टर्स टीम के साथ फोरेंसिक टीम को भी साथ ले गए।

सीबीआई द्वारा अपने साथ AIIMS के एक्सपर्ट डॉक्टर्स को ले जाने की वजह समझ के परे है और सुशांत के मृत्यु के महीनो बाद क्राइम सीन रीक्रिएट करने के पीछे फोरेंसिक टीम को काम पर लगना भी अटपटा लग रहा है।

यह सही है किसी भी क्राइम में फोरेंसिक जांच की एक विशेष महत्व है पर सुशांत सिंह के मृत्यु के दो महीने बाद फोरेंसिक के हाथ में क्या सबूत मिलने वाला है जब कि सुशांत के फ्लैट में कई बार और कई लोगो द्वारा आने जाने के कारण सभी सबूत अब तक नष्ट हो चुका है।

Wednesday, 2 September 2020

जब सीबीआई को सुशांत सिंह के हत्या के सबूत नहीं मिले तो बीजेपी के इशारे पर रिया के भाई को नारकोटिक में फंसाना चाहते है

जब सीबीआई खुद अपने हाथ इस बात के लिए हाथ खड़े कर चुके है कि सुशांत सिंह के हत्या का कोई सबूत नहीं मिला है तो फिर किस कारण दुसासन के तरह चिर हरन में लगे है उससे यह बात साफ हो चुका है सीबीआई को गुप्त निर्देश देने के पीछे बीजेपी या गृह मंत्रालय के हाथ होने की संभावना लोगो के द्वारा  बताया जा रहा है।

https://www.aajtak.in/entertainment/news/story/sushant-case-cbi-states-no-evidents-on-actors-murder-yet-tmov-1122510-2020-09-01

दूसरी तरफ ईडी के हाथो में वे सबूत नहीं मिल सका है जिसमें सुशांत के परिवार द्वारा आरोप लगाया गया था कि रिया चक्रवर्ती ने कई करोड़ रुपए की सुशांत के खाते से निकाल कर अपने खाते में ट्रांसफर किया था।

भाजपा जब थक हार चुके है तब इतने गंभीर मुद्दे को एक दिशाहीन जांच के लिए Narcotic Control Bureau को काम पर लगा दिया है ताकि किसी तरह रिया के भाई को इस मामले में फंसाया जा सके और NCB ने इस बीच एक drug peddler को अरेस्ट करने में कामयाब हुए और यह भी कहा जा रहा उस drug peddler के साथ रिया के भाई का सम्बंध है।

क्या यह मान कर चला जाए कि उस ड्रग विक्रेता का पूरे मुंबई में केवल रिया के भाई ही एक ही ग्राहक है और मुंबई में किसी अभिनेता या अभिनेत्री ड्रग विक्रेता का कोई ग्राहक नहीं है। 

कुल मिलकर बीजेपी का एक एजेंडा है कि किसी तरह इस मामले को बिहार चुनाव तक खींचा जा सके।

Tuesday, 1 September 2020

प्रशांत भूषण के खिलाफ एक रुपए का दंड निर्धारित करने पर क्या सुप्रीम कोर्ट की खोई हुई विश्वसनीयता वापस आ सकती है?

जिस प्रकार कंटेंप्ट पिटीशन को लेकर देश के सुप्रीम कोर्ट को विश्व के सामने झुकना पड़ा है उससे तो शीर्ष अदालत का फजीहत हो चुकी है और अपने शर्म को छुपाने के लिए एक रुपए का दंड निर्धारित करना पड़ा।

http://www.mediavigil.com/op-ed/supreme-court-reserved-verdict-on-prashant-bhushans-sentence/

क्या इसके पूर्व विश्व के किसी भी उच्चतम न्यायलय ने कंटेंप्ट पिटीशन का दण्ड एक रुपए मुक्कर्र किया है?

ध्यान देने वाली बात यह भी कि जब से मोदी सरकार का गठन हुआ है और पिछले छह साल में मोदी सरकार के खिलाफ किसी भी मुकदमा के खिलाफ आजतक सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला मोदी सरकार के खिलाफ नहीं गया है और राजनीति से जुड़े फैसले भी बीजेपी के पक्ष में किया गया है।

उपरोक्त कारणों से लोगो की नजर में सुप्रीम कोर्ट अपनी विश्वसनीयता खो चुके है, अब प्रशांत भूषण के खिलाफ कंटेंप्ट पेटिशन के संदर्भ में केवल एक रुपए के दण्ड लगाने से क्या सुप्रीम कोर्ट की गिरी प्रतिष्ठा क्या वापस आ सकती है?