कहते है कि खाया पिया कुछ नही, गिलास फोडा बारा आना, वही हाल चौकीदार का है जो वायु सेना पर दबाव बनाकर पाक अधिकृत कश्मीर मे हवाई हमला करवाया पर इस हमले से कुछ हासील नही हुआ बल्कि देश के दो मीराज फाईटर विमान को नष्ट किया साथ मे देश के पायलेट को बन्दी बना दिया ।
फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद का ऐसा नैरेटिव तैयार किया गया है कि आज के पढ़े-लिखें नौजवानों के सोचने एवं समझने के रास्ते बंद हो गए है। हमारी वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर हमला जरूर किया है। साथ ही वायुसेना ने स्वीकार किया है कि इस हमला से जान-माल की क्षति नहीं हुई है बल्कि आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया है।
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पाकिस्तानी सेना ने भी स्वीकारा है कि हमला हुआ जरूर है मगर मृत्यु की पुष्टि नहीं हुई है, फिर यह 300 आतंकवादियों के मारे जाने की झूठी ख़बर कैसे परोसे जाने लगी? कई विदेशी मिडिया चैनलों द्वारा भी सिर्फ आतंकी ठिकानों पर हमलें की बात कबुली गई है ना कि किसी भी प्रकार की हानि की नहीं जिनमें मुख्य बीबीसी हिंदी, सीएनएन न्यूज, फ्रांस 24, वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयोर्क टाईम्स, चैनल्स है ।
जबतक पाकिस्तानी सेना के अधिकारी ने छतिग्रस्त स्थानों की तस्वीर ट्विटर पर ट्वीट नहीं किया था तबतक भारतीय मीडिया के पास इस हमला से प्रभावित स्थानों की कोई तस्वीर भी नहीं पहुँची थी I उस मीडिया को 300 आतंकियों के मारे जाने और मसूद अज़हर के बहनोई के मारे जाने की ख़बर कैसे मिल गयी?
किस आधार पर प्रधानमंत्री मोदी राजस्थान के चुरू के एक चुनावी सभा मे 300 आतंकी के मारे जाने की झूठी दिलासा लोगों को दे रहे है? जब्कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने अभी तक एक भी आतंकी के मृत्यु की पुष्टि नहीं करी है।
क्या प्रधानमंत्री द्वारा देश की जनता को मूर्ख बनाया गया। देश के युवाओं भले तुम अगले चुनाव में वोट भाजपा के मोदी जी को देना मगर इन सभी बिंदुओं पर ठहरकर सोचना एवं फिर निष्कर्ष पर पहुँचना। कही ऐसा तो नहीं कि तुम्हारी बुद्धि एवं विवेक के दरवाज़े पर ग्रहण लगाने के लिए ये 300 आतंकी के मारे जाने की झूठी ख़बर फैला रहे है?
पहले पुलवामा आतंकी हमले को होने दिया गया और किसकी लापरवाही से यह घटना हुई उसकी जांच तक नही कराई गई, यंहा तक उच्चतम न्यालाय ने उस जनहित याचिका को खारिज किया जिसमे पुलवामा हमले के दोषीयों को पकडने के लिये जांच मांग की गई थी, क्या सुप्रीम कोर्ट पीएमओ के दिशा निर्देश चल रही है ।
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