Wednesday, 29 August 2018

क्या सीबीआई की तरह मुख्य चुनाव आयुक्त भी देश के बड़के मदारी का बन्दर बन चुकें है


भ्रष्टाचार की बात को ध्यान मे रखकर प्रधान सेवक ने उस व्यक्ती को मुख्य चुनाव आयुक्त का कमान सम्भालने दिया जो गुजरात मे आईएएस रहते हुए कि भ्रष्टाचार मे लिप्त पाये गये थे

प्रधान सेवक ने उनकी नियुक्ती दो कारणो से किया था ताकि एक ऐसे बन्दर को मुख्य चानाव आयुक्त के रुप मे पदासिन किया जये जो उनके छडी के इशारे नाचता रहे और साथ मे मुख्य चुनाव आयुक्त के द्वरा पूर्व मे गुजरात मे किये गये भ्रष्टाचार का भी भय बना रहे I

https://www.bhaskar.com/national-news/election-commission-holds-all-party-meeting-on-various-electoral-reforms-5946355.html?ref=twitter

https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1144058652417608&set=a.271526066337542&type=3

हाल मे सत्तारुढ दल और विरोधी दलो को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ने ईवीएम के विरोध मे जो बैठक बुलाये थे उक्त बैठक मे सभी विरोधी दलो ने एक सुर मे अगला चुनाव बैलेट पेपर करवाने की मांग की और उसी बैठक मे भाजपा ईवीएम के पक्ष शोर मचाते रहे I

विरोधी दलों का ईवीएम के विरोध मे सुर बुलन्द करने की वजह अनेक है लेकिन भाजपा का ईवीएम के पक्ष मे जो दलीलें दे रहे है उससे तो यही समझ मे आ रहा है कि भाजपा को निश्चित तौर पर ईवीएम से चुनाव कराने मे लाभ होता रहा है और दूसरे तरफ बैलेट पेपर से चुनाव कराने से उनके हारने की सम्भावना प्रबल दिख रही हो I

मुख्य चनाव आयुक्त ने उपरोक्त बैठक के बाद जो बयान प्रेस को दिये है उससे लग रहा है कि वे भाजपा के ऐजेन्ट के रुप मे भाजपा की ही भाषा बोल रहे है, जो अक्सर भाजपा बैलेट पेपर के विरोध मे ऐसी बेतुकी बाते बोलते रहते है I

मुख्य चुनाव का यह दलील बडा बचकाना है और हास्यपद लगा जब उन्होने यह कहा कि है कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने पार बूथ Capture हो जायेगा, शायद वो इस पद मे नये आने के कारण यह भूल्र रहे कि आज कल देश मे चुनाव प्रदेश के पुलिस द्वरा सम्पन्न नही कराये जाते है बल्कि बहुत बडे पैमाने पर हर बूथ मे Paramilitary forces तैनात किये जाते है I

चुनाव आयुक्त के इस प्रेस वार्ता के बाद यह साफ हो चुका है कि सीबीआई की तरह मोदी सरकार मुख्य चुनाव आयोग पर अपना कब्जा जमा चुके है और मुख्य चुनाव आयुक्त एक बन्दर की तरह मोदी सरकार के छडी के इशारे मे नाच रहे है I

Saturday, 28 July 2018

मुख्य चुनाव आयुक्त नही करा सकते है पुरे देश मे वीवीपैट से चुनाव, आयोग ने दिया उच्चतम न्यालय को धोखा पर मोगैम्बो खुश हुआ

यह कहना गलत न होगा कि जब से मोदी सरकार का गठन हुआ है तब से दिन प्रति दिन मुख्य चुनाव आयोग अपनी Credibility को खत्म करती जा रही है, भले ही आयोग को एक Autonomous body का दर्जा मिला हुआ पर न जाने क्यों वे केन्द्र सरकार के ताल पर नाचने पर मजबूर दिख रहे है I

बात गौर करने लायक है कि पिछले चार वर्षो मे मुख्य चुनाव आयोग ने Electoral Reforms के नाम पर एक भी उपल्बधी नही दिखा पाये है, बल्कि पिछले चार सालो मे जो भी मुख्य चुनाव आयुक्त 2014 के बाद पद भार सम्भाला है वे सभी ईवीएम को लेकर उलझ कर रह गये है I

https://indianexpress.com/article/india/vvpat-delivery-way-behind-schedule-advancing-lok-sabha-polls-not-so-easy-5274484/lite/

जब बात ईवीएम की चल ही गई है तो यह याद दिलाना महुत्वपूर्ण है कि ईवीएम को लेकर उच्चतम न्यालय मे सुनवाई के दौरान माननिय न्यालय ने आयोग को अगले लोक सभा चुनाव मे ईवीएम का साथ वीवीपैट मशिन लगाकर चुनाव करने का आदेश पारित कर चुकें है I

मुख्य चुनाव आयुक्त ने 24 April 2017 अपने दाखिल हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट को यह वादा (Promise ) किया था कि लोकसभा चुनाव के लिये 2018 के सितम्बर माह तक दो Public Sector Unit, BEL और ECIL 16 लाख 35 हजार वीवीपैट मशिनो का उत्पादन करके आयोग के सुपूर्द कर देंगे और इस बात को ध्यान मे रखकर दोनो संस्थानो को 16 लाख 15 हजार वीवीपैट के ऑर्डर भी दी जा चुकी है I

देश के मशहूर मीडिया हाउस, The Indian Express ने एक आर.टी.आई के तहत आयोग से जानकारी लेनी चाही कि अब तक कितने उत्पादित वीवीपैट को हैण्ड ओवर किया गया है, इसके जवाब आयोग ने जानकारी दी कि उक्त ऑर्डर के 14 महिने के बीत जाने के बाद केवल 3.48 लाख वीवीपैट (23 प्रतिशत) जून के माह तक उन्हे प्राप्त हो सका है I

अगर अंक गणित के ऐकिक नियम का पालन किया जाये तो 23% वीवीपैट के निर्माण मे 14 महिने लगे तो 100% को प्राप्त करने के लिये आयोग को 5 सालो से ज्यादा समय तक इन्तजार करना पडेगा I

इन आंकडो को ध्यान मे रखते हुए देश के सभी विपक्ष दलो को चाहिये कि मुख्य चुनाव आयोग/ आयुक्त पर दबाव इस बात पर बनाये कि जहां भी वीवीपैट लागाने मे सक्षम न हो तो ऐसे Constituencies मे संदेह युक्त ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराई जाये ताकि चुनाव मे ईवीएम को लेकर कोई धांधली न हो सके I

Thursday, 26 July 2018

राहुल गान्धी प्रधान मन्त्री पद के दावेदारी से पिछे हटे, इसे कह्ते है कि मोदी के नहले पर राहुल का दहला

एक बात ध्यान देने योग्य है कि जब से राहुल गान्धी ने कांग्रेस की बागडोर एक अध्यक्ष रुप से सम्भाला है तब से उनकी राजनितिक सोच मे अमूल-चूल परिवर्तन देखने को मिला है जिसे गुजरात के चुनाव और बाद मे कर्नाटक के चुनाव के परिणामो से आंका जा सकता है I

मोदी जी को सदन मे प्यार की झप्पी देना तो लग-भग सभी देश वासीयों को अवाक ही कर दिया है, भले ही मोदी जी इस झप्पी की झेंप मिटाते दिखे पर तब तक देश मे राहुल गान्धी के लिये सकारात्मक सिग्नल चला ही गया है I

https://khabar.ndtv.com/news/india/rahul-gandhi-pm-candidate-2019-lok-sabha-election-tmc-congress-lok-sabha-election-2019-pm-modi-bjp-1889569?type=news&id=1889569&category=india

बहुत दिनो से भाजपा और उनकी गोदी मीडिया राहुल गान्धी के उस प्रयास का मजाक उडाते दिखे जिसमे उन्होने सभी विपक्ष दलो को एक साथ लेकर चलने का प्रयास करते पाये गये, जब कि मोदी जी ने विपक्ष दलो के एक सुत्र मे आने को दल-दल की संज्ञा दे डाली, यह उनका फ्रस्ट्रेशन भी कहा जा सकता है जब कि भाजपा और गोदी मिडिया ने एक भ्रामक प्रचार इस बात से शुरु की कि कौन बनेगा प्रधान मंत्री I

भाजपा के इस मिथ्या प्रचार को कांग्रेस के अध्यक्ष ने फ्रंट फुट मे खेलते हुए अपने नाम को प्रधान मन्त्री पद के लिये CWC के बैठक मे घोषित करवा दिया, जैसे ही राहुल का नाम प्रचार मे आया तो भाजपा की पेट की ऐंठन बढ गई, अब भाजपा कांग्रेस के सहयोगी पार्टी को आपस मे लडाने के जैसे ठान ली हो I

इस घटना के बाद राहुल की अगुवाई वाली कांग्रेस ने अपना पैतरा बदले हुए अपनी रणनीति को थर्ड गेयर मे डालते हुए धिरे से राहुल गान्धी का नाम प्रधान मन्त्री पद से हटा लिया और साथ मे सुश्री ममता बनर्जी वो सुश्री मायावाती के नामो को प्रधान मत्री पदों के लिये आगे रख दिया I

इसे कहते है मोदी के नहले पर राहुल का दहला, मोदी जी का राहुल और उनके पूर्व पुरुषों एंव वंशवाद को लेकर आये दिन हंगामा खडे करने वाली बात पर पूर्ण विराम लग गया है और इसके बावजूद भी इस संदर्भ मे मोदी जी कोई बात रखते हों तो लोग कहेंगे कि बुढ्ढा सठिया गया है I

Thursday, 28 June 2018

मोदी सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक पर फर्जीकल वीडियो का हुआ पर्दाफाश



जिस सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो देश की आर्मी ने दिखाने से मना किया या नहीं दिखाई तो २ साल बाद भाजपा के आई टी सेल ने फोटोशॉप वीडियो को आर्मी से बिना पूछे ही गोदी मीडिया के सहारे देश की जनता को बेवकूफ बनाने की नाकाम कोशिश की

जिस वीडियो को India Today के news चैनेल ने Breaking news करके चलाई वह वीडियो खुद ही संदेह युक्त है, उसका कारण है उक्त वीडियो को भारतीय सेना ने लिक नहीं की है और वो ऐसा कर भी नहीं सकते है, क्यो की सेना ने पूर्व में ही न दिखाने की बात कर चुके है I

पूरे वीडियो को लोंग शॉट से शूट किया गया है जिस कारण न तो भारतीय सेना के जवानों के चेहरे साफ़ दिख रहे है और ना ही कोई हथियार देखने को मिले और साथ में देश के झंडे भी नहीं दिखे, इस प्रकार के तमाम वीडियो गूगल में सर्च करने पर मिल सकते है I

जिस फोटोशॉप वीडियो के सहारे मोदी सरकार के मंत्री ने आज प्रेस कांफ्रेंस की यह भी अपने में हाष्यपद विषय है, उन्हें बताना चाहिए था कि मोदी सरकार ने इस वीडियो को यूएनओ को क्यो नही भेजा गया, जब की उक्त संगठन ने इस सर्जिकल स्ट्राइक को फेक घोषित किया था I

यह भी जानना जरुरी है कि जिस Army General ने Surgical Strike का जोरदार खुलासा मीडिया के सामने किया था तो क्या कारण इस बार हुआ जो मौजुदा Army General इतने बडे वीडियो का खुलासा क्यो नही किया और भूतपूर्व आर्मी जनरल अवकास के बाद किस सरकारी पद का शोभा बढा रहे है I

मोदी सरकार के पास 2019 के चुनाव को जीतने के लिए फर्जी बातो का सहारा रह गया है, कभी नेहरू, तो कभी इंद्रा गांधी तो कभी आपात काल, अगर देखा जाए तो उक्त वीडियो के जरीए मोदी सरकार ने भारतीय सेना के सम्मान को ठेस पहुंचाए है, क्यो की सेना ने इसे वीडियो को दिखाने की बात पूर्व में राजी नहीं हुए थे I



Friday, 15 June 2018

मोदी सरकार ने रक्षा सौदा के लिये विदेशी लॉबींग़ को किया खत्म और खुद कूद पडे लॉबींग़ मे

कांग्रेस के जमाने जब रक्षा समानो के सौदे हुआ करते थे तब किसी समान की खरीद फरोक्त के पूर्व International tender भारत सरकार की तरफ से दिये जाते थे और जैसे ही Tender float होता था उसी समय विदेश के तमाम कम्पनी के आला आधिकारी दिल्ली के North/ South block मे डेरा जमाना चालू कर देते थे, उनका यह डेरा जमाना अपने समानो की विशेषता को समझाने के लिये नही आपितू उनकी उपस्थीति उक्त मन्त्रालय के बडे अधिकारी के साथ Lobbying के लिये होता था I

https://openkhabar.com/rafael-me-ek-or-ghotala/?utm_source=social&utm_medium=push

लॉबींग़ की जरुरत इस लिये पडता था कि विदेशी कम्पनी उक्त टेण्डर को पाने के लिये Kick back मन्त्रालय के आला अधिकारी को चढावा के रुप मे ऑफर करते थे, ध्यान देने वाली बात है कि देश मे Kick back का पहली खबर राजीव गान्धी के शासन काल मे विश्वनाथ सिंह ने Boffors तोप के खरीद फरोक्त के लिये राजीव गान्धी के खिलाफ लम्बे Kick back लेने का आरोप जड दिया था I

सुत्रो की माने तो 2014 मे प्रधान सेवक के गद्दी सम्भालने के बाद रक्षा सौदा के खरीद फरोक्त को लेकर विदेशी कम्पनीयों द्वारा लॉबींग़ की परम्परा को खत्म कर दिया गया I

बदले मे एक नई परम्परा का आरम्भ किया गया जिसमे किसी सौदे के खरीद के पूर्व ही उक्त सौदे के असली दाम से 10 गुणा दाम बढा कर खरीद करने की बात तय की जाने लगी जिससे सौदा बेचने वाली कम्पनी को Kick back देना ही न पडे और मोदी जी Kick back लेने के आरोप से बच जायें I

आखिर एक ही सौदा को दस गुणा अधिक दाम से खरीद करने का क्या मतलब है जैसा की मोदी सरकार ने अमेरिका से लड़ाकू AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टर को दस गुणे महंगे दामों में खरीदा है ऐसे ही मोदी सरकार राफेल विमान डील मे कई गुणा अधिक दामो खरीद की गई थी I

अधिक दामो मे सौदा खरीदने का एक मात्र कारण है कि किसी भी तरह मोदी सरकार Kick back के लफडे मे नही फंसना नही चाहते है, अधिक दामो मे खरीद का मतलब देश के White Money को विदेशी कम्पनी को भेजाना और Return gift मे बढे हुए दाम को अपनी पार्टी फण्ड के लिये वापसी लेना, यह तो देश के रुपयों की घर वापसी ही तो हुई I

Monday, 11 June 2018

मोदी सरकार कश्मीर मे शासन की लालच मे महबूबा मुफ्ती के हाथ की कठपुतली बन चुकें है

प्रधान सेवक के राज तीलक के बाद से ही एक के बाद एक कारनामे देखने को मिलते चले आ रहे है और जिस कारण देश को भारी क्षती का सामना करना पड रहा है और यह सब प्रधान सेवक के तुच्छ राजनीति के लिये ही हो रहा है, जो काम किसी भी पिछली सरकारों ने न की हो पर प्रधान सेवक ने देश को अपने राजनीतिक प्रयोगशाला समझते हुए कर डाला है I

https://timesofindia.indiatimes.com/.../articleshow/53903593.cms?from=mdr

एक बात समझ के परे है कि भाजप और आरएसएस रोहंगिया मुस्लिमो के प्रति इतना खुन्नस क्यो खायें हुए है जब कि दुसरी तरफ पाकिस्तान द्वरा भारत मे भेजे गये 36,343 मुस्लिम शरणार्थीयों परिवारों को जिसे पॉक औकोपाईड कश्मीर (POK ) के मार्ग से भेजे गये है पर मोदी सरकार इन परिवारों पर इतनी उदारता क्यों दिखा रहे है, मोदी सरकार ने इन परिवार के लिये 2000 करोड का पैकेज ऐलान किया हुआ है I

अब यह जानना जरुरी है कि इन 36,343 शरणार्थी परिवारो को मोदी सरकार ने देश से निकालने का काम काश्मीर से क्यों नही किया गया जब कि रोंहगिया मुस्लिम शरणार्थीयो को देश से निकालनी की भाजपा की पुरी तैयारी पुरे जोर से शुरु कर चुके है I

जब मोदी सरकार ने इतने बडे पैमाने POK के शरणार्थीयो के लिये पैकेज की घोषणा कर चुके है तो यह बात भी समझ लेनी चाहिये की PDP और BJP सरकार ने इन परिवारो को राष्ट्रीयता ( Nationality ) के साथ वोटर आईडी कार्ड एंव आधार कार्ड भी निश्चित तौर मुहय्या करा चुके होगें I

कुल मिलाकर मोदी सरकार शासन के लालच मे पडकर पीडीपी के राजनीतिक वोट बैंक को मजबूत करने मे लग गये है और साथ मे देश के खिलाफ आस्तिन के सांपो को दूध पिलाने का काम कर रहे है, कौन कह सकता है यही शरणर्थी परिवार पाकिस्तान से भेजे गये आतंकीयों को अपने घरो मे शरण देने का काम नही कर रहे है, गौर करने वाली बात यह है कि मोदी सरकार के आने के बाद आतंकी हमले बढे है और साथ मे देश के जवानो के शहीद होने मे इजाफा भी हुआ है I


Sunday, 3 June 2018

भाजपा का चुनाव जीतने का मूल मन्त्र है Selective EVM tampering

मोदी जी के प्रधान मन्त्री बनने और अमित शाह का भाजपा का अध्यक्ष पद सम्भालने के बाद भाजपा की चतुराई ही असल मे उनका मुख्य हतियार बन चुका है, किसी भी विधान सभा चुनाव को ध्यान से देखे तो अमित शाह की चतुराई सामने दिखने लगती है I

जिस राज्य मे विधान सभा चुनाव होना है, उस राज्य मे गिद्द की तरह अमित शाह का उस राज्य के विभिन्न शहरों मे विचरण शुरु कर देते है, उनका उक्त राज्य मे भ्रमण किसी राजनीतिक उद्देश्य से नही आपितू मोदी जी के चुनावी रैलीयों के लिये भाडे के भीड इक्कठा करने के लिये होता हैं, होम वोर्क के रुप मे पहले से ही तय कर लिया जाता है किन-किन शहरों मे मोदी जी की रैली होनी है और उसी हिसाब से रुपयो की थैली भी साथ मे बांट दी जाती है I

उसी दौरान चुनाव आयोग पर दबाव बनाकर EVM setting का खेल भी चालु कर लिया जाता है, जिसकी जानकारी किसी भी विपक्ष दलो को नही हो पाती है क्यों कि सारा खेल मुख्य चुनाव आयोग के अगुवाई मे की जाती है I

अमित शाह पहले से ही आंकलन कर लेते है कि किस Constituency मे भाजपा कमजोर है और Selective EVM tampering उन्ही Constituency मे की जाती है और जिस Constituency मे भाजपा मजबूत हो, उन जगहों ई.वी.एम गंगा जल से भी पवित्र होती है I

https://www.jansatta.com/sunday-column/tavleen-singh-article-way-to-delhi/676122/

Selective EVM tampering का खेल पिछले गुजरात चुनाव और कर्नाटक के विधान सभा चुनाव मे देखने को मिला, जंहा कर्नाटक मे कांग्रेस के लगभग 30 मन्त्रीयों को हार का सामना करना पडा और EVM tampering ही एक वजह रही जिसके कारण भाजपा 40 सीट से 104 सीट छलांग लगाई I

उचित calculation के अभाव के कारण भाजपा को बहुमत से दूर रहना पडा I एक बात तो माननी पडेगी कि भाजपा ईवीएम की Credibility को बनाये रखने के लिये Selective EVM tampering का खेल किसी भी उप चुनाव मे नही की और इस कारण कई उप चुनाव मे भाजपा को हार का सामना करना पडा I

ईवीएम के घाल-मेल और हेरा फेरी को लेकर लगभग सभी राजनीतिक दल के अलावा आम जनता अपनी आवाजें बुलन्द करते आ रहे है पर भाजपा ने ई.वी.एम को लेकर कोई विरोध प्रदर्शन आजतक नही किया और दुसरी तरफ भाजपा के सहयोगी दल शिव सेना ने तो जमकर ई.वी.एम के साथ मुख्य चुनाव आयोग को खुब लताडा है और 2019 के लोक सभा के चुनाव मे बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की I

दूर्भाग्य की बात यह है कि लगभग सभी विपक्ष दलो ने बैलेट पेपर के द्वरा 2019 मे चुनाव कराने की मांग न्यूज चैनेलों के सामने करते आ रहे पर संसद मे बैलेट पेपर को लेकर कोई शोर-सराबा नही की, अब देखना यह है कि विपक्ष पार्टीयां बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मूहिम को संसद के Monsoon session सत्र मे दबाव बना पाते है कि नही अगर दबाव बना लेते है तो मोदी सरकार को ' मिले सुर मे सुर हमारा ' गाना ही पडेगा I

Sunday, 22 April 2018

Political Analysis of India: मोदी सरकार को महाभियोग को लेकर इतना परेशान क्यों ह...

Political Analysis of India: मोदी सरकार को महाभियोग को लेकर इतना परेशान क्यों ह...: कांग्रेस और अन्य पार्टी द्वरा उच्चतम न्यालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग के नोटीश जमा करनेवाले मामले मे अभी तक उपराष्ट्रपति ने को...

मोदी सरकार को महाभियोग को लेकर इतना परेशान क्यों है, जब की महाभियोग का अधिकार संविधान मे उल्लेख है

कांग्रेस और अन्य पार्टी द्वरा उच्चतम न्यालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग के नोटीश जमा करनेवाले मामले मे अभी तक उपराष्ट्रपति ने कोई ठोस फैसला नही किया है पर भाजपा द्वारा विधवा प्रलाप करते हुए छाती पिटना केवल इस बात का संकेत करता है कि हाल मे उच्चतम न्यालय द्वारा अमित शाह के पक्ष मे दिये गये फैसले को भाजपा द्वरा बचाव करने की एक कोशिश मात्र है I

अगर देखा जाये तो मुख्य न्यायाधीश को इस महाभियोग के संदर्भ मे जितनी पेट मे मरोड या चिन्ता सतानी चाहिये थी वह तो देखने को नही मिली परन्तु मोदी सरकार इस महाभियोग को लेकर Angina pain का शुरु हो जाने वाली बात को गम्भीरता से समझने की जरुरत है I

भले ही महाभियोग का मामला राजनीति से प्रेरित है पर यह भी सत्य है महाभियोग की प्रक्रिया पुरे दम से संविधान अधारित है जिसे नकरा नही जा सकता है और देश का संविधान जब इस बात का अधिकार राजनीतिक पार्टी को महाभियोग के मामले मे प्रदान करती है तब मोदी सरकार को किस बात की आपत्ती है I

https://www.nationalheraldindia.com/opinion/prashant-bhushan-its-the-government-which-tried-to-blackmail-the-chief-justice-of-india?utm_source=one-signal&utm_medium=push-notification

देश के अधिकांश जनता को इस बात पर कोई संदेह नही कि देश के लगभग सभी संविधानिक संस्थानो के साथ जूडिशियरी भी मोदी सरकार से प्रभावित हो चुकी है जिसे नकारा नही जा सकता है और कांग्रेस और अन्य पार्टी के द्वारा लाये गये महाभियोग कंही न कंही मोदी सरकार के इस प्रभाव को पर्दाफास करने की चेष्ठा के रुप मे देखा जाना चाहिये I

भाजपा सरकार यह भली भांती जानती है कि उच्चतम न्यालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग का लाना लोहे के चने चबाने जैसा है तो फिर कांग्रेस और अन्य पार्टी द्वारा लाये गये महाभियोग को लेकर मोदी सरकार हाय तौबा करना और साथ मे यह कहना कि कांग्रेस जूडिशियरी को डरा रही है I

जब की उच्चतम न्यालय के अधिवक्ता श्री प्रशान्त भूषण के कथानुसार मोदी सरकार उच्चतम न्यालय के प्रधान न्यायधीश को किसी मामले को लेकर ब्लैकमेल कर रही है और जिसके फलस्वरुप जस्टिस लोया के मामले को रफा दफा किया गया है I

Tuesday, 10 April 2018

आम चुनाव से पहले ईवीएम के खरीद फरोक्त मे शुरु हो चुका है जबरदस्त धांधली

मोदी सरकार 2019 के आम चुनाव की तैयारी ईवीएम के फर्जी खरीद फरोक्त से शुरु कर चुकी है Iइस फर्जी खरीद फरोक्त को अगर राजनीतिक पार्टीयां उच्चतम न्यालय मे चुनौती नही देती है तो आगे चल कर केवल हाथ मलना पडेगा I

यह सर्वविधित है कि मुख्य चुनाव आयोग पर प्रधान सेवक का अकथित रुप से कब्जा हो चुका है और अगले चुनाव मे ईवीएम के खरीद फरोक्त मे जो धांधली दोनो की मिली भगत से चल रही है उसको चुनौती देना जरुरी हो चुका है I पुरी खबर को अवश्य पढे और शेयर करें



https://www.firstpost.com/india/rti-reveals-contradictory-numbers-of-evms-from-election-commission-suppliers-raise-question-mark-on-polls-4422967.html

Sunday, 8 April 2018

केजरिवाल के आगे डोर टु डोर राशन डेलिवेरी सिस्टम मामले मे एल.जी को खाना पड़ा सेल्फ गोल

प्रधान सेवक और उनके तडीपार अध्यक्ष अमित शाह ने तमाम मानहानि के मुकदमे के जरिये श्री केजरिवाल को फास्ट ट्रैक कोर्ट के बल से जेल भेजने और आम आदमी पार्टी को खत्म करने की योजना बनाये थे उस पर केजरिवाल ने पैंतरा बदलते हुए माफिनामा के जरिये उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया I

दिल्ली मे राशन वितरण मे पाये जाने वाले घोर अनिमितताओं को खत्म करने दिशा मे एक बडे कदम उठाते हुए Door to door delivery सिस्टम को लागू करने के उद्देश्य से केजरिवाल एल.जी को सुझाव भेजा पर एलजी महोदय ने अपने आई.ऐ.एस अफसरान और भाजपा के नेताओ द्वारा फैलाये गये राशन घोटालों को ऑक्सिजन प्रदान करने के नियत से Door to door delivery सिस्टम को पुरे दम से नकार दिया और फाइल को दिल्ली सरकार को वापस भेज दिया I

https://twitter.com/twitter/statuses/983057405679472643

अब श्री केजरिवाल भाजपा और आई.ऐ.एस के द्वरा फैलाये गये राशन घोटालों को कब तक बरदास्त करते, इस घोटाले से स्थाई निजात पाने के नियत से श्री केजरिवाल ने फिर एक बार अपने बुद्दी का परिचय देते हुए जान बूझ कर विधान सभा के पटल पर सीऐजी की रिपोर्ट को रखा और जान बूझकर राशन घोटाले को लेकर चर्चा करवाई I

अमूमन कोई भी राज्य सरकारें सीऐ.जी की रिपोर्ट को सदन मे रखने से कतराती पर केजरिवाल का मंसा तो राशन घोटालो को उजागर करना था और साथ मे इन घोटालों की खात्मा के लिये सीऐजी से Door to door delivery system को Recommend करवाना था जो सीएजी ने अपने रिपोर्ट मे कर चुके है I

राशन घोटाले का मामला सामने आते ही भाजपा और मोदी जी के गोदी मीडिया को लगा की आम आदमी पार्टी को घेरने का बडा मौका मिल गया है और बिना समझे बूझे केजरिवाल सरकार का फलूदा निकाल मे लग गये और दूसरी तरफ केजरिवाल पुरे घोटाले का दोषी एलजी और उनके आई.ए.एस गुर्गो पर डाल दी I

अपनी होशियारी को कायम रखते हुए केजरिवाल ने पुरे घोटाले की जांच को सी.बी.आई से कराने की मांग कर दी और और इसके फलस्वरुप एल.जी को बैक फुट आना पडा और साथ मे Door to door delivery system के फाइल को भी पास करना पडा, वैसे अब देखना यह है कि एलजी महोदय सीबीआई जांच के लिये राजी होते है कि नही I

Tuesday, 20 March 2018

केजरिवाल का माफीनामा भगवान कृष्ण से प्रेरित पर गधे हुए बेचैन


एक पुरानी कहावत है कि तेली का तेल जले और मशालची की ...... फटे, वही हाल भाजपा (मशालची) और उनके गोदी मीडिया का है, जब माफी मांगने वाले का कोई संकोच नही है तो भाजपा और गोदी मीडिया क्यों जले जा रहे है, जलने की कोई ठोस वजह तो होगी ही, चलिये खोजते है उनके जलने का राज I

केजरिवाल ने अपने माफीनामो की प्रमुख वजह दिल्ली के लोगो के प्रति ध्यान देने वाली बात को ठहराया है और शायद यह प्रेरणा केजरिवाल ने भगवान कृष्ण से लिया है, सभी जानतें है कि कृष्ण भगवान ने अपने बसे बसाये मथुरा को छोड कर द्वारिका चले गये थे, जिसका कारण ज्ररासंध के बारमबार मथुरा मे आक्रमण रहा, ऐसे अचानक आक्रमण के कारण कृष्ण के राज्य के लोगो को नुकसान होता रहा I

द्वारका मे शिफ्ट होने की वजह प्रजा ही रहे और भगवान कृष्ण ने जान बूझकर जरासन्ध को नजर अन्दाज किया, यह कृत उनके चतुराई को ही दर्शाता है और केजरिवाल की प्रेरणा यहीं से उत्पन्न हुआ और इसमे कोई बुराई भी नही है I

इसमे संदेह करने की गुंजाइस नही है कि देश का प्रधान सेवक का दबद्बा हर संवैधानिक संस्थाओं पर बना हुआ है और उच्चतम न्यालय के चार वरिष्ठ जजों द्वारा प्रेस वार्ता मे दबी जवान पर उनके दब-दबे की बात स्विकारी है I

प्रधान सेवक का केजरिवाल के खिलाफ षडयन्त्र तब देखने को मिला जब मानहानी के मुकदमे को फास्ट ट्रैक मे चलाने की योजना प्रधान सेवक ने बनाई और दोष सिद्द होने पर दो वर्षो की सजा और साथ मे चुनाव लडने पर अनिश्चित काल तक रोक पक्का I

प्रधान सेवक की मंसा यह रही कि 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले ही केजरिवाल को निपटाया जाये ताकि जेल के भीतर बैठकर केजरिवाल कुछ उखाड न सके और खरीद-फरोक्त के जरिये ‘आप’ एम.एल.ऐ को खरीद कर दोबारा दिल्ली मे चुनाव करया जा सके I

केजरिवाल ने अपने प्रचण्ड बुद्दी के कारण प्रधान सेवक के इस षडयन्त्र को समय रहते हुए भांप लिया और उनके मंसूबे पर पानी फेरने के लिये शुरु किया अपना "माफीनामा यात्रा", आज भाजपा के नेतागण और गोदी मीडिया केजरिवाल के इस माफीनामा यात्रा पर एक खिसयानी बिल्ली की तरह व्यवहार शुरु कर चुके है I


Sunday, 18 March 2018

मझेठिया यूपीए और मोदी सरकार के लिये साझा दामाद साबित हुए, आखिर दोनो का रिशता क्या कहलाता है



पंजाब मे बच्चा-बच्चा जानता है कि विक्रम मझेठिया ने पंजाब के कितने परिवार के लोगो को ड्रग का लत डालने मे अहम भूमिका निभाया ही नही बल्कि कितने घरो और परिवारो को उजाडा है और ध्यान देने योग्य है कि पंजाब के चुनाव के दौरान सभी छोटे बडे पार्टीयों ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया था और विशेष कर नवजोत सिंह सिद्दु तो इस मामले मे मुखर ही नही रहे बल्कि उन्होने इस मुद्दे को लेकर भाजपा से ही निकल लिये पर मझेठिया को इस मामले मे तब बुरा न ही ल गा और ना ही उन्होने कोई मानहानि का मुकदमा सिद्दु के खिलाफ दर्ज की I

मझेठिया का ड्रग का कारोबार कोई दो चार महिना का नही है, इनका धंधा अकाली द्ल और भाजपा के सरकार के दौरान दिन दूगनी और रात चौगनी बढा और उनके धंधे की जानकारी यूपीए के कांग्रेस सरकार और मौजूदा मोदी सरकार को है पर दोनो सरकारो ने कभी भी इस ड्रग कारोबार के सरगना मझेठिया पर हाथ डालने की कोशिश नही की, जबकी तत्कालिन मीडिया पंजाब मे फैलते युवाओं के नशे की बात बिच–बिच मे अपने चिन्ता व्यक्त करते रहे, हांलाकि मोदी सरकार के गठन के बाद मीडिया अब गोदी मीडिया बन चुके है I

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दोनो सरकारें इस बात को जानते है कि थोक भाव से ड्रग सीधे पाकिस्तान से पंजाब मे पंहुच रहे है और इसी ड्रग के बहाने कितने illegal arms और आतंकवादी देश मे घुसे आ रहे है I

हाल मे पंजाब मे सैनिक स्थलों पर हुए आतंकी हमले इसी ड्रग के परिणाम स्वरुप देखा जा सकता है पर इतना होने के बावजूद पूर्व और मौजूदा सरकार ने इस ड्रग के कारोबार को गम्भीरता से नही लेने की ठानी है और शायद यही कारण रहा है पंजाब के कांग्रेस सरकार और मोदी सरकार ने मझेठिया को साझा दामाद समझ कर किसी जांच ऐजेन्सी जांच नही करवाये I

गौरतलब है कि मोदी सरकार अपने पूंजिपति मित्रो को बचाने का एक नया पैंतरा आविष्कार किया है, अब आप मोदी जी के लुटेरे और चोर मित्रों को चोर या लुटेरे नही कह सकते है अगर गलती से हिम्मत की तो मानहानी के मुकदमे झेलने पडेंगे और फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिये आप की सजा तय है वो भी 2 साल के लिये

मोदी जी को इस बात की फिर्क बिलकुल नही है कि देश के तमाम उच्चन्यालय मे हजारो कि संख्या मे मुकदमे पर्याप्त जजो के अभाव के कारण लम्बित है और जजो की नियुक्ती पर मोदी जी मौन साधे हुए है, मोदी जी दागी एमपी और एमएलऐ को फास्ट ट्रैक कोर्ट से फैसला करवाना चाहते थे, उस कोर्ट का कोई पता नही चल रहा है I

मझेठिया जैसे ड्रग माफिया को मिला मोदी सरकार और पंजाब की कांग्रेस सरकार का साथ, नही की कोई एस.आई.टी से जांच

पंजाब के शहर से लेकर गांव तक विक्रम मझेठिया का नाम बच्चो से लेकर बुर्जग लोग के जुवान मे बैठा हुआ है, उनका यह प्रचार उनके समाज सेवा या किसी बडे पैमाने मे धर्माथ कार्यो के लिये नही है आपितू उनकी पहचान एक ड्रग माफिया के रुप मे बनी हुई है, जिसे मोदी सरकार से लेकर पंजाब के कांग्रेस की सरकार अच्छी तरह से जानते है और पिछले विधान सभा के चुनाव मे कांग्रेस ने पंजाब से ड्रग के कारोबार को खत्म करने की बात पर मझेठिया का नाम लिया था I

जब आम आदमी पार्टी के मुखिया श्री अरविन्द केजरिवाल ने पंजाब के चुनाव मे जम कर उछाला तो मझेठिया को जबरद्स्त मिर्ची लग गई और पूंजिपति होने के नाते उन्होने मानहानी का मुकदमा केजरिवाल पर ठोक डाला I

कहते है कि कहीं मारे वीर तो कहीं भागे वीर और कुछ ऐसा ही कार्य केजरिवाल ने किया, उन्होने राजनीति से प्रेरित होकर मझेठिया से माफी के पेशकश की, केजरिवाल इसी बहाने मोदी सरकार और पंजाब के कांग्रेस सरकार का ड्रग माफिया के साथ गठजोड का खुलासा यह कह कर किया कि पंजाब की अमरिंदर सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार दोनों ने अदालत में कोई जांच रिपोर्ट नही दी, और मजीठिया को क्लीन चिट मिल गया I

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इस बात से यह खुलासा तो हुआ कि पंजाब मे मझेठिया के दस सालों से अधिक समय से चले आ रहे ड्रग कारोबार से हुए लाभ मे भाजपा और कांग्रेस की झोली भी चन्दे के रुप मे भरते रहे और शायद यही कारण रहा जो दोनो सरकार ने अदालत मे कोई जांच रिपोर्ट पेश नही की और दुसरी तरफ मझेठिया को क्लिन चिट भी मुहैया करवाया. पंजाब मे ड्रग के कारण जो भी परिवार उजडे उसके पिछे मझेठिया को बचाने वाले दोनो पार्टी उतने पाप के भागीदार है जितना मझेठिया है I

उच्चतम न्यालय के चार वरिष्ठ जजो द्वारा देश के लोकतन्त्र की खतरे वाली बात कह कर देश के लोगो को चार जजो ने यह संदेश देने की कोशिश की जो न्यालय मे चल रहा है वह ठिक नही है

उन चार जजों की बातें तब पुक्ता साबित हुई जब उच्चतम न्यालय ने दिल्ली सरकार बनाम एलजी के पॉवर शेयरिग वाले मुकदमे की सुनवाई खत्म होने के बावजूद भी माननिय कोर्ट ने अपने फैसले को अनिश्चित काल के लिये सुरक्षित करके रखा है, जब कि आम प्रचलन यह भी है कि Justice delayed is justice denied I

Judiciary के इस माहौल एंव जांच एजेंसियां केंद्र सरकार की कठपुतली होने वाली बात को ध्यान मे रखकर अरविन्द केजरिवाल ने माफी मांगने की जो पेशकश की वो काम केवल एक बुद्दीमान व्यक्ती ही कर सकता है, केजरिवाल मे एक खास बात है कि वे जल्दी भावनाओ मे नही तैरना चाहते है बल्कि भगवान कृष्ण से प्रेरित होकर रण छोड होना पसंद करते है I

मानहानि के मुकदमे अब फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेंगे
साबित न होने पर 2 साल की सज़ा का प्रावधान है
केंद्र सरकार पहले से ही अरविंद के पीछे