Sunday, 3 June 2018

भाजपा का चुनाव जीतने का मूल मन्त्र है Selective EVM tampering

मोदी जी के प्रधान मन्त्री बनने और अमित शाह का भाजपा का अध्यक्ष पद सम्भालने के बाद भाजपा की चतुराई ही असल मे उनका मुख्य हतियार बन चुका है, किसी भी विधान सभा चुनाव को ध्यान से देखे तो अमित शाह की चतुराई सामने दिखने लगती है I

जिस राज्य मे विधान सभा चुनाव होना है, उस राज्य मे गिद्द की तरह अमित शाह का उस राज्य के विभिन्न शहरों मे विचरण शुरु कर देते है, उनका उक्त राज्य मे भ्रमण किसी राजनीतिक उद्देश्य से नही आपितू मोदी जी के चुनावी रैलीयों के लिये भाडे के भीड इक्कठा करने के लिये होता हैं, होम वोर्क के रुप मे पहले से ही तय कर लिया जाता है किन-किन शहरों मे मोदी जी की रैली होनी है और उसी हिसाब से रुपयो की थैली भी साथ मे बांट दी जाती है I

उसी दौरान चुनाव आयोग पर दबाव बनाकर EVM setting का खेल भी चालु कर लिया जाता है, जिसकी जानकारी किसी भी विपक्ष दलो को नही हो पाती है क्यों कि सारा खेल मुख्य चुनाव आयोग के अगुवाई मे की जाती है I

अमित शाह पहले से ही आंकलन कर लेते है कि किस Constituency मे भाजपा कमजोर है और Selective EVM tampering उन्ही Constituency मे की जाती है और जिस Constituency मे भाजपा मजबूत हो, उन जगहों ई.वी.एम गंगा जल से भी पवित्र होती है I

https://www.jansatta.com/sunday-column/tavleen-singh-article-way-to-delhi/676122/

Selective EVM tampering का खेल पिछले गुजरात चुनाव और कर्नाटक के विधान सभा चुनाव मे देखने को मिला, जंहा कर्नाटक मे कांग्रेस के लगभग 30 मन्त्रीयों को हार का सामना करना पडा और EVM tampering ही एक वजह रही जिसके कारण भाजपा 40 सीट से 104 सीट छलांग लगाई I

उचित calculation के अभाव के कारण भाजपा को बहुमत से दूर रहना पडा I एक बात तो माननी पडेगी कि भाजपा ईवीएम की Credibility को बनाये रखने के लिये Selective EVM tampering का खेल किसी भी उप चुनाव मे नही की और इस कारण कई उप चुनाव मे भाजपा को हार का सामना करना पडा I

ईवीएम के घाल-मेल और हेरा फेरी को लेकर लगभग सभी राजनीतिक दल के अलावा आम जनता अपनी आवाजें बुलन्द करते आ रहे है पर भाजपा ने ई.वी.एम को लेकर कोई विरोध प्रदर्शन आजतक नही किया और दुसरी तरफ भाजपा के सहयोगी दल शिव सेना ने तो जमकर ई.वी.एम के साथ मुख्य चुनाव आयोग को खुब लताडा है और 2019 के लोक सभा के चुनाव मे बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की I

दूर्भाग्य की बात यह है कि लगभग सभी विपक्ष दलो ने बैलेट पेपर के द्वरा 2019 मे चुनाव कराने की मांग न्यूज चैनेलों के सामने करते आ रहे पर संसद मे बैलेट पेपर को लेकर कोई शोर-सराबा नही की, अब देखना यह है कि विपक्ष पार्टीयां बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मूहिम को संसद के Monsoon session सत्र मे दबाव बना पाते है कि नही अगर दबाव बना लेते है तो मोदी सरकार को ' मिले सुर मे सुर हमारा ' गाना ही पडेगा I

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