कांग्रेस और अन्य पार्टी द्वरा उच्चतम न्यालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग के नोटीश जमा करनेवाले मामले मे अभी तक उपराष्ट्रपति ने कोई ठोस फैसला नही किया है पर भाजपा द्वारा विधवा प्रलाप करते हुए छाती पिटना केवल इस बात का संकेत करता है कि हाल मे उच्चतम न्यालय द्वारा अमित शाह के पक्ष मे दिये गये फैसले को भाजपा द्वरा बचाव करने की एक कोशिश मात्र है I
अगर देखा जाये तो मुख्य न्यायाधीश को इस महाभियोग के संदर्भ मे जितनी पेट मे मरोड या चिन्ता सतानी चाहिये थी वह तो देखने को नही मिली परन्तु मोदी सरकार इस महाभियोग को लेकर Angina pain का शुरु हो जाने वाली बात को गम्भीरता से समझने की जरुरत है I
भले ही महाभियोग का मामला राजनीति से प्रेरित है पर यह भी सत्य है महाभियोग की प्रक्रिया पुरे दम से संविधान अधारित है जिसे नकरा नही जा सकता है और देश का संविधान जब इस बात का अधिकार राजनीतिक पार्टी को महाभियोग के मामले मे प्रदान करती है तब मोदी सरकार को किस बात की आपत्ती है I
https://www.nationalheraldindia.com/opinion/prashant-bhushan-its-the-government-which-tried-to-blackmail-the-chief-justice-of-india?utm_source=one-signal&utm_medium=push-notification
देश के अधिकांश जनता को इस बात पर कोई संदेह नही कि देश के लगभग सभी संविधानिक संस्थानो के साथ जूडिशियरी भी मोदी सरकार से प्रभावित हो चुकी है जिसे नकारा नही जा सकता है और कांग्रेस और अन्य पार्टी के द्वारा लाये गये महाभियोग कंही न कंही मोदी सरकार के इस प्रभाव को पर्दाफास करने की चेष्ठा के रुप मे देखा जाना चाहिये I
भाजपा सरकार यह भली भांती जानती है कि उच्चतम न्यालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग का लाना लोहे के चने चबाने जैसा है तो फिर कांग्रेस और अन्य पार्टी द्वारा लाये गये महाभियोग को लेकर मोदी सरकार हाय तौबा करना और साथ मे यह कहना कि कांग्रेस जूडिशियरी को डरा रही है I
जब की उच्चतम न्यालय के अधिवक्ता श्री प्रशान्त भूषण के कथानुसार मोदी सरकार उच्चतम न्यालय के प्रधान न्यायधीश को किसी मामले को लेकर ब्लैकमेल कर रही है और जिसके फलस्वरुप जस्टिस लोया के मामले को रफा दफा किया गया है I
No comments:
Post a Comment