Friday, 15 June 2018

मोदी सरकार ने रक्षा सौदा के लिये विदेशी लॉबींग़ को किया खत्म और खुद कूद पडे लॉबींग़ मे

कांग्रेस के जमाने जब रक्षा समानो के सौदे हुआ करते थे तब किसी समान की खरीद फरोक्त के पूर्व International tender भारत सरकार की तरफ से दिये जाते थे और जैसे ही Tender float होता था उसी समय विदेश के तमाम कम्पनी के आला आधिकारी दिल्ली के North/ South block मे डेरा जमाना चालू कर देते थे, उनका यह डेरा जमाना अपने समानो की विशेषता को समझाने के लिये नही आपितू उनकी उपस्थीति उक्त मन्त्रालय के बडे अधिकारी के साथ Lobbying के लिये होता था I

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लॉबींग़ की जरुरत इस लिये पडता था कि विदेशी कम्पनी उक्त टेण्डर को पाने के लिये Kick back मन्त्रालय के आला अधिकारी को चढावा के रुप मे ऑफर करते थे, ध्यान देने वाली बात है कि देश मे Kick back का पहली खबर राजीव गान्धी के शासन काल मे विश्वनाथ सिंह ने Boffors तोप के खरीद फरोक्त के लिये राजीव गान्धी के खिलाफ लम्बे Kick back लेने का आरोप जड दिया था I

सुत्रो की माने तो 2014 मे प्रधान सेवक के गद्दी सम्भालने के बाद रक्षा सौदा के खरीद फरोक्त को लेकर विदेशी कम्पनीयों द्वारा लॉबींग़ की परम्परा को खत्म कर दिया गया I

बदले मे एक नई परम्परा का आरम्भ किया गया जिसमे किसी सौदे के खरीद के पूर्व ही उक्त सौदे के असली दाम से 10 गुणा दाम बढा कर खरीद करने की बात तय की जाने लगी जिससे सौदा बेचने वाली कम्पनी को Kick back देना ही न पडे और मोदी जी Kick back लेने के आरोप से बच जायें I

आखिर एक ही सौदा को दस गुणा अधिक दाम से खरीद करने का क्या मतलब है जैसा की मोदी सरकार ने अमेरिका से लड़ाकू AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टर को दस गुणे महंगे दामों में खरीदा है ऐसे ही मोदी सरकार राफेल विमान डील मे कई गुणा अधिक दामो खरीद की गई थी I

अधिक दामो मे सौदा खरीदने का एक मात्र कारण है कि किसी भी तरह मोदी सरकार Kick back के लफडे मे नही फंसना नही चाहते है, अधिक दामो मे खरीद का मतलब देश के White Money को विदेशी कम्पनी को भेजाना और Return gift मे बढे हुए दाम को अपनी पार्टी फण्ड के लिये वापसी लेना, यह तो देश के रुपयों की घर वापसी ही तो हुई I

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