Tuesday, 27 December 2022

योगी सरकार ओबीसी के आरक्षण को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने पर उतरी, सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती देकर ओबीसी को ठंडे वस्ते डालेगी

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश ने ओबीसी के पर को बुरी तरह से कतर कर रख दिया है जिस कारण यूपी के योगी सरकार को फजीहत का सामना करना पढ़ रहा है।

बीजेपी अब ओबीसी के मुद्दे पर घड़ियाली आंसू बहाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने का काम करेगी, इस चुनौती से ओबीसी को क्या लाभ मिलने वाला है क्यों कि सुप्रीम कोर्ट में इस चुनौती का समाधान अल्प समय में होने से रहा। जिस मुस्तैदी के साथ हाई कोर्ट में ओबीसी के पक्ष में योगी सरकार को लड़ना चाहिए था वंहा योगी सरकार उदासीन दिखे।

अगर ओबीसी के लोग निकाय चुनाव मे बीजेपी के खिलाफ लामबंद नहीं हुए तो आने वाले समय पर शिक्षा और नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

Friday, 16 December 2022

सुप्रीम कोर्ट से घबराए हुए है मोदी सरकार तभी शीर्ष अदालत का किया जा रहा विरोध

जब से सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई प्रारम्भ हुआ तब से मोदी सरकार राष्ट्रीय स्तर पर घिरती जा रही है पर कुछ दिनों से मोदी सरकार के कानून मंत्री और हाल में नियुक्त हुए उप राष्ट्रपति कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट को घेरने में लगी ताकि मोदी सरकार के खिलाफ चल रहे मुकदमों में राहत मिल सके।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने छह वर्ष पूर्व कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करने के नियत से विशेष कानून की मंजूरी दिया था पर सुप्रीम कोर्ट के संविधानिक पीठ ने उक्त कानून को निरस्त कार्के कॉलेजियम सिस्टम को पुनर्स्थापित किया था।

सुप्रीम कोर्ट में छ वर्षों पहले कॉलेजियम सिस्टम को लेकर फैसला सुना चुकी है पर मोदी सरकार ने आज तक उस फैसले को लेकर कोई रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में शायद दायर नही है पर क्यों आज कानून मंत्री और उप राष्ट्रपति अपने वाक्य युद्ध के जरिए सुप्रीम कोर्ट को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे है।

लोगों का मानना है कि निचली अदालत और उच्च अदालत पर मोदी सरकार अपना प्रभाव समय समय पर डालती रहती है, कुछ हद तक मोदी सरकार का प्रभाव उच्चतम न्यायालय पूर्व में देखने को मिला है पर जब से भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और उसके बाद डॉक्टर डी वाई चंद्रचूड़ ने मुख्य न्यायाधीश ने कठोर निर्णय सरकार के खिलाफ लेना शुरू किया है तब से मोदी सरकार दबाव में आ चुके है।

Saturday, 10 December 2022

क्या भाजपा ईवीएम के संशोधन को लेकर प्राइवेट बिल का समर्थन करेंगे

गुजरात में हाल के चुनाव में जिस तरह ईवीएम को लेकर बड़ी धांधली का खेल मुख्य चुनाव आयोग के सहयोग से खेला गया है इसकी चर्चा गोदी मीडिया में देखने को नही मिला है।

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24 घंटे के भीतर मोदी सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्त किया था जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी अचंभित थे पर जिस उद्देश्य से इस प्रकार की नियुक्ति की गई थी उसका भरपूर लाभ ईवीएम की हेरा फेरी करके पीएम मोदी ने अपने अंतर्राष्ट्रीय छवि को बनाए रखने में कामयाब हुए है।

पार्लियामेंट में शीतकालीन सत्र में ईवीएम को लेकर अमेंडमेंट को लेकर एक प्राइवेट बिल प्रस्तुत किया गया है जिसे सदन से स्वीकृत मिल चुका है । अब देखना है भाजपा इस अमेंडमेंट के पक्ष में क्या रवैया अपनाते है, अगर भाजपा अपने को बड़ी पार्टी समझते है तो उन्हे इस संदर्भ में बड़ा दिल दिखाना होगा।

Sunday, 20 November 2022

गुजरात के चुनाव में भाजपा बाहरी नेताओं को चुनावी प्रचार में उतरना चाहते है ताकि गुजरात के अहम मुद्दों से लोगों का ध्यान हटे

पिछले गुजरात के चुनाव में भाजपा को 9 सीट अधिक मिलने के कारण सरकार गठन करने का मौका मिला था और कांग्रेस के पास आर्थिक तंगी के कारण 10 या 12 एमएलए को अपने पाले में नही कर सके जैसा भाजपा ने महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्यप्रदेश में एमएलए खरीदने में सफल हुए।

https://fb.watch/gWRvHmijW-/

पिछले गुजरात के चुनाव में दो पार्टियों के लड़ाई में भाजपा पिछड़ गए थे पर सरकार बनाने में सफल दिखे पर इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी के दमदारी के साथ चुनाव लडने के कारण भाजपा को अपने ही वोट घटने की संभावना प्रबल हो चुका है।

भाजपा अपने भय को दूर करने के लिए पीएम मोदी के अलावा   मोदी सरकार के सभी गैर प्रदेशों या बाहरी मंत्रियों को चुनाव प्रचार के लिए इसलिए उतारना पड़ रहा ताकि लोगों को गुजरात के मुद्दों से दूर रखा जाए और जनता उनके कार्पेट बॉम्बिंग का शिकार हो जाए।

Monday, 4 July 2022

[ भक्तों के द्वारा शीर्ष अदालत को सुप्रीम कोठा कहे जाने के लिए मोदीसरकार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जिम्मेदार है जो सरकार के गुलाम बने रहे ]

यह अति दुर्भगाय का विषय है सुप्रीम कोर्ट के सम्मान को बीजेपी और उनके कुकुरमुत्ते भक्त नीचा दिखाने पर आमादा है, जब बीजेपी के समर्थक सुप्रीम कोर्ट को सुप्रीम कोठा कहते है तब पीएम मोदी से लेकर मोदी सरकार के मंत्री के मुंह से विरोध के शब्द तक नही निकलता है।

सुप्रीम कोठा कहकर बीजेपी उच्चतम न्यायालय को मानसिक रूप से शीर्ष अदालत की आवाज को दबाना चाहते है पर मोदी सरकार भूल रहे मोदी सरकार के नीतियों के खिआफ अनेक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और अगर इन मामलो को अदालत सुनने और न्याय करने लग जाए तो पीएम मोदी की नींद हराम हो जायेगी।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट की इस दुर्दशा के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जिम्मेदार है जो पद या लोभ में आकर मोदी सरकार के गुलाम बन गए थे।

Thursday, 16 June 2022

यूपी के इतने शहरों में अग्निपथ योजना के खिलाफ इतनी तोड़फोड़ हुई पर #बाबा_बुल्डोजर का बुल्डोजर शांत रहे

उत्तरप्रदेश के कई शहरों जैसे बुलंदशहर, आगरा, बरेली, झांसी, मेरठ, बिजनौर, बागपत, वाराणसी, देवरिया, अलीगढ़, हाथरस, गोंडा सहित अनेक शहरों में अग्निपथ योजना के खिलाफ खुलकर जमकर तोड़फोड़ किया पर समझने वाली बात यह है कि बाबा बुल्डोजर पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है और ना ही उनके बुलडोजर को हरकत में आते देखा।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=429317262112996&id=100002229160291

बिहार में युवाओं ने तो कोहराम मचाने में सब से आगे निकले और अनेक ट्रेनों के बोगियों में आग लगाने का काम किया पर फिर भी बीजेपी सरकार का बोल्डोजर एक्शन में नही आया कारण प्रदर्शनकारियों अधिकांश हिंदू थे ना कि मुस्लिम समाज के लोग।

Wednesday, 20 April 2022

सुप्रीम कोर्ट को बीजेपी शासन अपने धुन और इशारे में चलाना चाहते है, देश में सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व पर सरकार से खतरा है

देश में मोदी सरकार नामक एक तानाशाही सरकार कायम हो चुका है तभी तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद एमसीडी ने जहांगीरपुर में ध्वस्तीकरण बदस्तूर जारी है, जब सरकार के धुन पर उच्चतम न्यायालय न नाचे तो उसके आदेश को जमींदोश कर के बुलडोजर चला दो।

उच्चतम न्यायालय अपनी बेबसी में आकर सुप्रीम कोर्ट ने महासचिव से कहा, जहांगीरपुरी में विध्वंस रोकने के आदेश से एनडीएमसी के मेयर, दिल्ली पुलिस प्रमुख को अवगत कराएं।

उच्चतम न्यायालय के आदेश का उलंघन अगर मौजूदा बीजेपी शासन ने किया है तो उसका संपूर्ण दोष उन तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर है जिन्होंने सरकारी पद पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व को मिटाने का काम किया है।

Thursday, 17 March 2022

2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर द कश्मीर फाइल्स की पटकथा लिखा गया है ताकि धार्मिक उन्माद को जन्म दे सके

आज देश के सामने असली समस्या *द कश्मीर फाइल्स* नहीं है। यह बात एक प्रत्यक्षदर्शी इतिहासकार *अशोक पांडण्य तथा सी.म. भूपिया जी* ने स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है, कि यह फिल्म किसलिए बनवाई गई है।

https://youtu.be/rFC8_S_USjM 
फिल्म कश्मीर फाइल्स की असलियत पर इतिहासकार अशोक पांडेय

इसका उद्देश्य लोगों में धार्मिक उन्माद फैलाना, और लोगों को जाति-धर्म के विवाद में इस तरह उलझा देना है कि वे विकास, शिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, असमानता, अपराध, बलात्कार, जैसे मुद्दों को भूल जाएं, और धार्मिक उन्माद में डूब जाए। जिससे E.V.M. घोटाले और चुनाव आयोग पर उठ रहे सवाल भी अपने आप दब जाए। 

यह कोई एक दिन में नहीं हुआ है। इसके पीछे पहले से एक long term Strategy काम कर रही है, कि फिल्म की पटकथा क्या होगी, सीन में क्या दिखाया जाएगा, फिल्म कब बनकर तैयार होगी, और कब रीलिज होगी, मीडिया और पेड़-ब्रोकर्स कैसे इसे प्रमोट करेंगे।

सब कुछ एक preset strategy के तहत हो रहा है लोग हमें असली मुद्दों से भटका कर धार्मिक उन्माद में उलझा रहे हैं, हमरा ध्यान भटका रहे हैं, और हमसब  उसमें बुरी तरह उलझते चले जा रहे हैं, लगातार असली मुद्दों से भटक कर *द कश्मीर फाइल्स* पर ही अटके हुए हैं। 

अगर हमसब को असली मुद्दों पर ध्यानाकर्षण करना है तो आज पावन पर्व होली के इस शुभ अवसर पर इसका शुभारम्भ कर देना चाहिए।

Tuesday, 15 February 2022

गृह राज्य मंत्री के बेटे की जमानत को लेकर योगी सरकार ने रिव्यू पिटीशन या बृहद पीठ में या सुप्रीम कोर्ट में क्यों चुनौती नही दिया

इलाहाबाद हाई कोर्ट के प्रवीण अधिवक्ता श्री विजय चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि जिस प्रकार से योगी सरकार के एजी के टीम ने पैरवी किया है उससे यह जाहिर हो रहा है उच्चतम न्यायालय के द्वारा गठित एसआईटी ने जो चार्जशीट न्यायालय में दाखिल किए है उसको प्रदेश के अटॉर्नी जनरल ने अपने पैरवी में कोई महत्व नहीं दिया है और कमजोर दलील दिए जाने के कारण आशीष मिश्रा को जमानत मिल पाया है।

उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश शासन अगर चाहते तो बेल पिटीशन पर दिए गए आदेश के खिलाफ स्टे या रिव्यू पिटीशन डाल सकते थे पर योगी सरकार ने जानबूझ कर नही किया।

हाई कोर्ट के अधिवक्ता श्री विजय चंद्र श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि अगर प्रदेश शासन CAA के तथाकथित उपद्रवियों के जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते है तो किसानों को गाड़ी से रौंदने वाले आशीष मिश्रा के जमानत के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में पिटीशन क्यों नही दाखिल किया।