मोदी सरकार (प्रथम) के
दौरान देश की जनता को विकास अलबत्ता देखने के लिये आंखे भले ही तरस गई थी पर लोगो
का मानना है कि सरकार की पहली प्राथमिकता देश के उन बडे पूंजीपति को बैंक के भारी-भरकम
रुपयों के साथ विदेश भागने के मार्ग सुगम करना था, 2004
से 2009 तक जितने पूंजीपतियों ने बैंक कर्ज को लेकर भागने मे कामयाब हुए है वो देश
मे मिशाल बनकर रह गई है ।
मोदी सरकार 2 की
शुरुवात भले ही बजट सत्र से शुरु हुई हो पर इस बजट सत्र मे लगभग 21 कानूनी संशोधन
पास किये जिससे आम लोगो के भलाई कहीं नही देखने को मिला बल्कि आम आदमी पार्टी के
सांसद श्री संजय सिंह के द्वरा राज्य साभा के सदन मे दिये गये उस बात से लोग सहमत
है कि मोदी 2 ने हर संशोधन को चोरी छुपे पास करया है ।
श्री
संजय सिंह ने आगे कहा कि महत्वपूर्ण बिलों को मोदी सरकार संसदीय समितियों में
अध्ययन के लिए नहीं भेजा है। साफ है कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। उन्होंने मांग
करते हुए कहा, आदरणीय प्रधानमंत्री जी संसद और सांसदों की
जवाबदेही देश की जनता के प्रति पहले है।
चोरी-छिपे
कानून पास करने के बजाय कानून को पहले संसद की वेबसाइट पर डालना जरुरी था, ताकि जनता की तरफ से कोई
अतिमहत्वपूर्ण सुझाव हो पाता पर मोदी सरकार ने जान बूझकर संसदीय समितियों में
चर्चा करने से बचते रहे।
लेकिन
जिस ढंग से NIA Amendment Bill को पास करया गया है
उससे तो यही लगा कि एनआईए के गठन को ही भूला दिया गया और थाने मे बदल दिया । इसमे
कोई शक की बात ही नही है कि भाजपा ने Electoral Bond के जरीये अकूतधन जमा
कर चुकें है और जिस कारण विधायकों के खरीद-फरोक्त मामले मे Highest Bidder के रुप मे उभरे है, अनुमान यह भी है कि Electoral Bond के रुपयो के जरीये
तीन विरोधी दलो को आरटीआई कनून के संशोधन के लिये प्रलोभित किया गया होगा ।
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