कर्नाटक के बागी विधायको ने जिस ढंग से अपने-अपने पार्टीयो से त्यागपत्र के मामले को लेकर विधानसभा के स्पिकर के खिलाफ अदालत पहुंचे थे और जिस प्रकार उच्चतम न्यालाय ने उनके याचिका को स्विकार किया उसी दिन देश के पढे लिखे लोगो को यह अहसास हो चुका था भाजपा कोर्ट को मैनेज करने मे सफल हो चुके है ।
जिस वरियता से शिर्ष अदालत ने बागी विधायको के याचिका को सुना उससे देश के लोगो को एहसास हो चुका था कि न्यालाय भाजपा के दबाव मे पुरी तरह से आ चुकी है और कोर्ट ने जो फैसला सुनया वो भी पूर्व कल्पित या आभासित थी ।
दूसरी तरफ यही शीर्ष अदालत आजतक राफेल स्कैम वाले मामले मे Revision Petition को लेकर मौन धारण किये हुए है जैसा मोदी Mob Lynching पर कोई ठोस कानून लाने मे मौन है । शायद कभी वो समय भी आयेगा जब लोग हतोउत्साहीत होकर सरकार के विरोध मे सुप्रीम कोर्ट मे याचिका डालने से कतरायेंगे
https://www.indiatoday.in/india/story/karnataka-floor-test-postponed-bjp-mlas-go-to-sleep-all-developments-1571065-2019-07-18
उच्चतम न्यालय के बागी विधायको पर दिये गये आदेश को उचित ढंग से समझा जाये तो यह देखने को मिला कि कोर्ट ने बागी विधयको के उपर No Confidence Motion के दौरान कोई भी Whip जारी करने पर रोक लगा दियें है और साथ मे अपने आदेश मे यह भी लिख चुके है कि पार्टी इन बागी विधायको No confidence Motion के दौरान सदन मे उपस्थित होने के लिये बाध्य नही कर सकते है ।
शीर्ष अदालत ने इस प्रकार के आदेश पारित करके भाजपा को Horse Trading के लिये दरवाजे खोलने का काम किया है, क्या अदालत यह समझ नही सके कि क्यो इतने विधायक अपने पार्टी छोड़ने मे अमादा थे, इस आदेश के जरीये उच्चतम न्यालय ने दल बदल कानून को नजर अन्दाज किया है जिस कारण द्ल-बदल कानून की महुत्व व गरिमा को कमजोर किया गया है ।
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