Friday, 19 July 2019

संविधान के रक्षक उच्चतम न्यालय ने कर्नाटक के विधायक प्रकरण मे संविधान की धज्जियां उडाकर रख दी

देश के बुद्धि जीवीयो का मानना है कि जब से केन्द्र मे मोदी सरकार का गठन हुआ है तब से उच्चतम न्यालाय अपनी गरिमा बहुत तेजी से गिरती जा रही है और साथ मे शिर्ष अदालत देश के राजनीतिक मामलो मे जिस प्रकार के आदेश पारित कर रहे है उससे से आम लोगो की नजर मे हंसी के पात्र बनते दिख रहे है ।

https://youtu.be/onoAoB3dJTU
(इस वीडियो को जरुर सुने )

उच्चतम न्यालाय की किरकिरी जितनी कर्नाटक के बागी विधयको के त्यागपत्र वाले याचिका मे हुआ शायद ऐसी जग हंसाई इसके पूर्व शिर्ष अदालत को कभी भी नही झेलनी पडी थी ।

मूलत: उच्चतम न्यालय की भूमिका और उनके कार्यप्रणाली देश के संविधान और कानून के अनूरुप करने के लिये होता है ना कि राजनीतिक दबाव मे आकर संविधान को ताक मे रखकर या संविधान की घोर उपेक्षा करके अपने आदेश को पारित करना होता है ।

कर्नाटक के विधायक वाले प्रकरण मे शिर्ष अदालत ने संविधान के अन्तर्गत Anti Defection Law को पुरी तरह से नकारते पाये गये और दूसरी तरफ No Confidence motion के दौरान जेडीएस और काग्रेस पार्टी को अपने विधायको को Whip जारी करने की संवैधानिक अधिकार पर रोक लगाकर बैठ गये छिनने का काम किया जब की विरोधी दल भाजपा को व्हिप जारी करने की खुली छुट दे दी ।

एक ही सदन मे एक ही विषय पर शासक दल पर एक मापदण्ड और विरोधी दल के लिये दूसरा मापदण्ड इसके पूर्व सुप्रीम कोर्ट मे कभी देखने को नही मिला था ।

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