किसी को अगर दुशमनी निभाना सिखना हो तो वो मोदी जी को गरु मान कर सिख सकता है, शायद प्रधान मन्त्री बनते ही किसानो के जमीनो को हडपने का मंसूबा भूमि अधिग्रहण बिल के जरीये भले कियें हो पर औंधे मूंह के बल गिरने का मलाल उनके दिल से गई नही है और अपने हार का बदला उन्होने किसानो के उपर जी.एस.टी लादकर किसानो के आत्मह्त्या से उपजे लाशो पर अपनी हुकुमत को कायम रखना चाहते है I
नोट बंदी कर के मोदी जी ने मझोले और छोटे किसानों के आधी कमर तो तोड ही चुके है और अब ऐसे किसानो पर जी.एस.टी लाद कर किसानो की आत्म हत्या का महाभारत अगले दो साल मे रचने वाले है I
अमित शा की भाषा मे अगर कहा जाये तो मोदी जी अपने को एक "अंतरष्ट्रीय चतुर बनीया" बनाने के फिराक मे है, सही पूछे तो इनके ऐसे कारनामो से कोइ अचरज नही है कारण उनके राजनीतिक जीवन ऐसे कारनामो से भरे पडे हुये है पर दूख इस बात का है कि देश की मीडिया और प्रमुख राजनीतिक दल खामोशी का चादर लपेटे हुए है और साथ मे किसानो के लिये मातम का ढोंग करते है I
http://headline24.in/national/modi-government-gst-in-agriculture-news-in-hindi/
नोट बंदी कर के मोदी जी ने मझोले और छोटे किसानों के आधी कमर तो तोड ही चुके है और अब ऐसे किसानो पर जी.एस.टी लाद कर किसानो की आत्म हत्या का महाभारत अगले दो साल मे रचने वाले है I
अमित शा की भाषा मे अगर कहा जाये तो मोदी जी अपने को एक "अंतरष्ट्रीय चतुर बनीया" बनाने के फिराक मे है, सही पूछे तो इनके ऐसे कारनामो से कोइ अचरज नही है कारण उनके राजनीतिक जीवन ऐसे कारनामो से भरे पडे हुये है पर दूख इस बात का है कि देश की मीडिया और प्रमुख राजनीतिक दल खामोशी का चादर लपेटे हुए है और साथ मे किसानो के लिये मातम का ढोंग करते है I
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