Wednesday, 28 June 2017

जीएसटी के जरीये ग्राहक और उपभोक्ताओ के जेबों पर दिन दहाडे डैकती होना तय है

मोदी जी की खुबी यह है कि जिस बात पर वो एक बार कमिटमेन्ट कर देते है फिर वो अपनी भी नही सुनते है, भले ही वो कोई वैज्ञानिक नही है पर यह निश्चित है की वो एक वैज्ञानिक की तरह मनमोहन सिंह से चुराये हुए जीएसटी (वस्तु एंव सेवा कर) को सैटेलाइट लांचिंग की तरह मिड नाइट मे संसद से दागने वाले है I

हमारे वित्त मन्त्री, श्री अरुण जेठली जिन्होने अपना सारा जीवन सुप्रीम कोर्ट मे एक अधिवक्ता के रुप मे खपा चुके है वो भाजपा सरकार आने पर देश के महानत्म अर्थ शास्त्री बनकर देश मे घुम-घुम कर एक कथा वाचक के रुप मे जीएसटी के गुणगान मे लगे हुए है I यह वही महाशय है जिन्होने मोदी जी के साथ नोट बन्दी के समय खुब ता-ता थैया किया था और नोट बन्दी का असर आज भी देश के लोगो को झेलना पड रहा है, जहां अभी भी आप बैंको से अपने जरुरत अनुसार रुपया नही निकाला सकते है I

मजे की बात यह है कि जीएसटी के नियमों और साफ्टवेयर की कोइ तैयारी नही है और न ही व्यपारी एंव प्रोफेशनल इसे लागू करने के लिये तैयार है, सरकारी सिस्टम, फार्म आदि तैयार नही है पर मोदी सरकार इन बातो को मानने के लिये तैयार नही है कि कुछ भी और कोई भी तैयार नही है I

जीएसटी पर अगर गौर करे तो यह नया कानून अपने प्रतिशत दरो मे भिन्नता के कारण भ्रामक नजर आता है जहां बच्चो के खाने वाले बिस्कुट जीएसटी 18% और दूसरी तरफ सोने के विस्कुट पर 5% जीएसटी, एक तरफ पुजा, हवन और अंतिम संस्कार मे प्रयोग होने वाले वस्तुओं पर जीएसटी लादी गई है पर बीफ और शराब पर 0% जीएसटी I

मोदी सरकार की जीएसटी पर कितनी तैयार है इस बात से तय की जा सकती है कि सरकार अभी तक धडल्ले से बिकने वाले मोबाइल फोन पर जीएसटी के दरो को तय नही कर पाई है उसका मूल कारण यह है कि मोबाइल बाक्स मे पाये जाने वाले चार्जर, वैटरी और ईयर फोन की जीएसटी दरो मे भिन्नता है और इसी कारण दुकानदार को ग्राहको के जेब काटने के लिये मोदी सरकार ने खुली छूट दे रक्खी है I

आम जनता का जीएसटी के दरो मे डिसपैरेटी और सही जानकारी न होने के कारण दूकानदारो की मनमानी का शिकार होना लगभग तय है और खुली डकैती के लिये दूकानदारो मे एक भाईचारा होना भी जरुरी है I

https://twitter.com/digvijaya_28/status/879906838912708608

Thursday, 22 June 2017

कई विपक्ष दल राष्ट्रपति चुनाव मे भाजपा के धन बल के आगे घुटने टेकें

इसमे कोइ शर्म और संकोच की बात नही कि पिछले लोकसभा के चुनाव मे भाजपा के मुखिया ने जो धन बल का नाजारा देश को दिखया था उसे आज तक देश की जनता भूली नही है, मूलत देखा जाये इतना महंगा चुनाव देश मे पहले कभी हुआ न होगा जिस कारण मोदी जी दिल्ली की केन्द्र सरकार मे काबिज हुए I

भाजपा का धन बल का सिल-सीला बादस्तुर पिछले राज्यो के विधान सभा के चुनाव मे भी देखने को मिले, जिस राज्य मे घी सीधी उंगली (ईवीएम) से निकली वहां तो ठिक था परन्तु गोआ और मणीपुर जैसे राज्यो मे धन बल के बुते से राज्यों को कब्जा किया I

आने वाले राष्ट्रपति के चुनाव मे भी मोदी जी धन बल के प्रयोग करने मे कोई कंजूसी नही कर रहे है और मोदी जी को पता है कि विपक्ष से समर्थन के लिये किस उंगली का प्रयोग करना है, भाई, एक बात तो साफ है कि जिस ओपोजिसन पार्टी भाजपा के विरोध मे पूर्व चुनाव लड़ चुकें है उन्हे अचानक राष्ट्रपति के चुनाव मे मोदी जी के साथ Love at first sight तो हुआ न होगा I

कुछ विपक्ष दल जो भाजपा के उम्मीदवार के लिये शिर्ष आसन पर है उस आसन के पिछे भी जरुर कुछ गुप्त समझौते या पैकेज डील की बात हुई होगी युंही ऐसे दल नागीन डांस करने के लिये तैयार न हुए होंगे I

अब बिहार के मुख्य मन्त्री श्री नीतीश कुमार को ही लेलें तो इन महाशय ने भाजपा के साथ अच्छी चल रहे सरकार को इस बात के लिये गिरा दिया क्यों कि भाजपा ने गलती से मोदी जी को पिछले लोक सभा के चुनाव के लिये प्रधान मन्त्री का दावेदार घोषित कर दिया, श्री कुमार तो ऐसे तिंगे जैसे भाजपा ने मोदी नामक किसी साण्ड को उनके पिछे छोड दिया हो I

कभी यही नीतीश कुमार भाजपा और संघ से इतने चिढ गये थे कि उन्होने संघ मुक्त भारत का नारा दे डाला, अब तो श्री कुमार ही कह सकते है कि भाजपा या मोदी जी के साथ कौनसा पैकेज डील हुई जिस कारण एक संघी श्री रामनाथ कोविन्द के लिये उन्हे घुटने टेंकनें पडे I

अब देखना यह बाकी 17 विपक्ष दलो द्वरा राष्ट्रपति पद के संयुक्त उम्मीदवार श्रीमती मीरा कुमार को नीतीश बाबु कैसे नकारते है जो एक उच्च शिक्षा प्राप्त, भूतपूर्व आई.एफ.एस और लोक सभा स्पिकर एवम कई बार लोकसभा का चुनाव जितने वाली एक काबिल बिहारी महिला है I

http://ucnews.ucweb.com/story/1630009322492320?channel_id=102&host=http%3A%2F%2Fucnews.ucweb.com&list_article_from=BhopalSamachar&item_type=0&content_type=0&app=app_iflow&uc_param_str=dnvebichfrmintcpwidsudsvpf&ver=1.4.8.939&sver=inapprelease2&demote_type=normal&adapter=null&grab_time=2017-06-21_17.16.23&lang=hindi&comment_stat=1&reco_id=e3760573-66f5-4632-b523-c3626aafc298&ucnews_rt=kUser2Item&entry=app&entry1=shareback&entry2=widget_Facebook&shareid=bTkwBMJWyLffhFxp69lwhtwMXEJw20bitKZvlsME2E2BkQ%3D%3D



Tuesday, 20 June 2017

भाजपा का राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने दिया था भ्रष्टाचारी के सर्मथन मे सी.बी.अई कोर्ट मे गवाही

भाजपा के खेल भी निराले है, हाल मे देश के राष्ट्रपति चुनाव के लिये उम्मिदवार तय करने की बात आई तो विपक्ष को पटाने के लिये एक तीन सदस्य वाली औपचारिक नाटकीय कमेटी श्री राजनाथ सिंह के अगुवाई मे विपक्ष के मन टटोल ने भेजा गया जिन्हे बैरंग इस बात के लिये लौटना पडा कि वे उम्मीदवारो की कोई सूचि प्रस्तुत नही किया जिससे एक निर्विवाद राष्ट्रपति के नाम पर मोहर लगया जा सके I

मोदी जी को झटका तब लगा जब 17 विपक्ष दल ने एक स्वर मे 22 जून को एक सामूहिक बैठक बुलाने का ऐलान कर दिया, इससे मोदी जी फंसते नजर आये तो आनन-फानन मे एक लो प्रोफाइल विहार के राज्यपाल श्री रामनाथ कोविन्द को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी, इन क्रियाकलापो से तो यह बात तो साबित हो चुकी है कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारो की कोइ सूचि बनी ही नही थी और जो भी तय हुआ वो दबंगई से हुआ I

मोदी जी और अमित शा चाहते तो किसी हिंजडे के नाम की भी घोषणा कर सकते थे पर मोदी जी ने इस चुनाव के जरीये एक राजनीतिक पाली दलितो के नाम खेलना चाहा और अपने मीडिया के जरीये दलित व्यक्ती के पहचान का ढिंढोरा बजाया और साथ मे दलित जाती के रहनुमा बनने की कोशिश की I

सही मे देखा जाये तो राष्ट्रपति पद हमेशा ही एक गौरवमय पद होता है, शायद यह देश मे पहला मौका होगा जब राष्ट्रपति पद के चयन के लिये एक जाती को वरियता दी गई और अन्य विशेषताओं पर ध्यान नही दिया गया, मोदी जी की इस हटता के कारण राष्ट्रपति पद की गरिमा नीचे आ गई है I

उल्लेखनिय है कि श्री रामनाथ कोविन्द वही व्यक्ती है जिन्होने भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बंगारु लक्षमण के भ्रष्टाचार मे लिप्त वाले मुकदमे मे सी.बी.आई कोर्ट मे बंगारु लक्षमण के पक्ष मे गवाह बने थे और एक भ्रष्टाचार मे लिप्त नेता को बचाने की पुर जोर कोशिश की I

विधित हो कि बंगारु लक्षमण अटल बिहारी बाजपेय जी के कार्यकाल मे कई विदेशी कम्पनीयो से रिशवत लिये बैठे थे और स्टींग आप्रेशन मे कैमरे के सामने घुस लेते हुए कैद हुए थे I

मोदी जी अगर भ्रष्टाचार सर्मथक व्यक्ती को राष्ट्रपति पद मे लाना चाहतें हो तो बात तो साफ हो जायेगी कि भ्रष्टाचार को देश से मिटाना एक जुम्ला ही है I
http://thewire.in/149259/ram-nath-kovind-bangaru-laxman-corruption-president-bjp/?utm_source=socialshare&utm_medium=whatsapp

Saturday, 17 June 2017

भूमि अधिग्रहण बिल पास न करा पाने पर अब किसानो पर जीएसटी लाद कर किसानों से दुशमनी निकाल रहे है मोदी जी

किसी को अगर दुशमनी निभाना सिखना हो तो वो मोदी जी को गरु मान कर सिख सकता है, शायद प्रधान मन्त्री बनते ही किसानो के जमीनो को हडपने का मंसूबा भूमि अधिग्रहण बिल के जरीये भले कियें हो पर औंधे मूंह के बल गिरने का मलाल उनके दिल से गई नही है और अपने हार का बदला उन्होने किसानो के उपर जी.एस.टी लादकर किसानो के आत्मह्त्या से उपजे लाशो पर अपनी हुकुमत को कायम रखना चाहते है I

नोट बंदी कर के मोदी जी ने मझोले और छोटे किसानों के आधी कमर तो तोड ही चुके है और अब ऐसे किसानो पर जी.एस.टी लाद कर किसानो की आत्म हत्या का महाभारत अगले दो साल मे रचने वाले है I

अमित शा की भाषा मे अगर कहा जाये तो मोदी जी अपने को एक "अंतरष्ट्रीय चतुर बनीया" बनाने के फिराक मे है, सही पूछे तो इनके ऐसे कारनामो से कोइ अचरज नही है कारण उनके राजनीतिक जीवन ऐसे कारनामो से भरे पडे हुये है पर दूख इस बात का है कि देश की मीडिया और प्रमुख राजनीतिक दल खामोशी का चादर लपेटे हुए है और साथ मे किसानो के लिये मातम का ढोंग करते है I

http://headline24.in/national/modi-government-gst-in-agriculture-news-in-hindi/

Wednesday, 14 June 2017

अरुण जेठली ने किया भाजपा का दोगले चरित्र का सही चित्र

कल तक मोदी सरकार पर यह आरोप लगया जाता रहा है कि भाजपा अपनी दोगली राजनीति के कारण देश के किसानो के साथ केवल सौतेला व्यवहार ही नही कर रही है बल्कि देश के किसानो को उनके फसलो के सही किमत न दिलाकर उन्हे आर्थिक रुप से कमजोर करने पर तुले हुए जिसके फल स्वरुप किसान अपने कृषि पैदावार पर लिये गये ऋण को चुकता करने मे असर्मथ हो चुकें है I

 

मध्य प्रदेश मे इन्ही संदर्भ मे किसानो का आंदोलन बडे पैमाने घटित होने के बावजूद मोदी सरकार ने कोई नसीहत लेना उचित नही समझा उपरंत देश के वित्त मन्त्री श्री अरुण जेठली ने मोदी सरकार का दोगले चरित्र का सही चित्रण करते हुये यह कह दिया कि जो राज्य किसानो के फसली कर्ज माफ करना चाहतें हो तो वो अपने बुते पर करे, पर सवाल यहां यह खडा होता है कि जब करोडो- करोडो रुपयो का ऋण पूंजीपति या उद्द्योगपति बैंको से लेने के बाद नही चुकाते है तो उन्ही रकम को मोदी सरकार किस गणित के आधार माफ कर देते है I

 

उत्तर प्रदेश मे विधान सभा के चुनाव के पुर्व किसानो के कर्ज माफी पर बिना किसी तौयारी के भाजपा ने मामले को खुब उछाल कर अपने सिटें तो बढा लिये पर जब कर्ज माफी का समय आया तो किसानो को केवल झून झूना थमा कर बैंक के चक्कर काटने पर मजबूर किया और बैंको ने जीओ के अभाव मे ऋण माफी पर अपने कन्नी काट कर बैठ गये है I

 

उल्लेखनिय यह है कि योगी सरकार ने केवल एक चौथाई किसानो के ऋण माफी का झून-झूना ही थमाया है बाकी तीन चौथाई किसानो को ठंडे बस्ते मे रखकर अपनी पिठ थप-थपाने मे लगे हुए है I

 

उधर महाराष्ट्र मे मुख्य मन्त्री देवेन्द्र फडणवीस ने किसान आंदोलन को उग्र होने से यह कह कर बचा लिया कि महाराष्ट्र के किसानों का कर्जा माफ होगा और साथ मे यह भी वादा किया कि राज्य सरकार इसके लिये पैनेल का गठन करेगी जो कर्ज माफी को लागू करने के लिये प्ररुप तैयार करेगी I

 

किसानो को सब्ज बाग दिखाने के लिये तो बाते अच्छी परन्तु यह भी जानना जरुरी है कि उक्त पैनेल मे कितने किसानों के संगठनो के नेता को जोडा गया है अगर पैनेल मे किसानों के संगठन के नेता को नही जोडा गया है तो आगे सरकार अपनी मन-मानी जरुर करेगी I

 

http://www.thedailygraph.co.in/the-compensation-of-the-government-also-came-out/