कुछ दिन पूर्व देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन में अपने बातों को रखते हुए कहा कि इस कृषि कानून में काला क्या है, जिस अध्यादेश को लॉक डाउन के समय गुप चुप तरीके से पारित किया गया था और बिना सदन में बहस किए और बिना सदन के सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे इन कानूनों को काला नहीं तो क्या स्वच्छ कहा जाएगा।
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एक पुरानी कहावत है दाल में कुछ काला और कुछ लोग यह भी कहते है कि पूरी दाल ही काली है, सरकार ने किसान संगठनों से 11 बार वार्ता की पर कृषि मंत्री अपने ही कृषि कानून के उजालेपन या कृषि हित को किसानों को समझाने में विफल रहे।
अगर पीएम मोदी यह समझते है उनके द्वारा बनाए गए तीनो कृषि कानून परफेक्ट है तब अनेक संशोधन की बात क्यों कहा और क्यों इन कानूनों को दो सालों के लिए स्थगित करने की बात कही, जब की यह प्रस्ताव भी संविधान के विरोध में है किसी कानून पर नोटिफिकेशन के बाद किसी कानून को स्थगित नहीं रखा जा सकता है।
देश के लोगो ने भाजपा को भरपूर वोट देकर एक सरकार को अहंकारी और तानाशाही बनाने में मदद किया है।
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