Thursday, 18 February 2021

दूसरे राज्यों के भाड़े के भीड़ से अमित शाह बंगाल में रैली तो कर सकते है पर वोट में तब्दील नहीं कर सकते है

हिंदी बोले जाने वाले प्रांतों से अन्य प्रांतीय भाषा वाले राज्य कि राजनीती भिन्न है पर यह बात अमित शाह के दिमाग़ में नहीं घुस रही है ।

हर हफ्ते सरकारी खर्चे पर अमित शाह का बंगाल का दौरा करने पर विशेष लाभ होता नहीं दिख रहा है और दुसरी तरफ चुनाव प्रचार के नाम पर सरकार के खजाने को खाली करना नैतिकता के आधार पर भी गलत है ।

बंगाल में शिक्षा के प्रसार के साथ लोग राजनितिक सचेतन भी है और दुसरी तरफ बंगाल के लोगो के बिच अमित शाह कि पुरानी दागदार छवि बनी हुई है इस कारण अमित शाह को बंगाल के बंगाली समाज उनको गंभीरता से नहीं ले रहे है और दूसरी तरफ बंगाल के ग्रामीण बंगाली समाज इतना चुस्त हिंदी समझने के आदि नहीं है ।

दुर्भाग्य का विषय यह कि पिछले सात वर्षो में केंद्र की भाजपा ने बंगाल के जमीन पर ऐसा कोई धारदार नेता नहीं तैयार कर पाएं है जो प्रखर और तेजस्वी ममता बनर्जी का मुकाबला कर सके।

बीजेपी अपने को बंगाल में पिछड़ते हुए देख रहे है और इसी कारण पीएम मोदी के चेहरे को छिपाने में लगे है और जिसके फलस्वरूप अमित शाह को आगे किया गया है ।

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