Tuesday, 23 February 2021

बंगाल के चुनाव में भाजपा के पास कोई ठोस मुद्दा ही नही जिससे ममता बैनर्जी को घेर सके बल्कि मोदी अपने उपलब्धि नही गिनाने में असफल है

भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने एक बार दावा किया था कि बीजेपी अगले 50 सालों तक सरकार चलाएंगे पर उन्होंने इस दावे के पीछे उन्होंने उन संस्थानों जैसे मुख्य चुनाव आयोग, शीर्ष अदालत और तमाम संविधानिक संस्थानों के नाम गिनवाना भूल गए थे जिसके बल पर भाजपा अपना गुंडई चमकाते हुए चले आ रहे है।

पचास सालों का दावा ठोकने वाले पार्टी को बंगाल के एक महिला ममता बनर्जी ने उनके दावे का हवा ही नही निकाला है बल्कि पूरी बीजेपी को बंगाल में घुटनों के बल बैठा दिया है।

ममता बनर्जी को टक्कर देने के लिए केंद्र के मंत्री मंडल के साथ साथ पीएम मोदी और भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्य मंत्रियों को बंगाल के लिए केंद्र के बीजेपी को अपने। नेताओं को निर्यात करना पड़ रहा है।

बंगाल में भाजपा की स्तिथि यह है मोदी और शाह को अपने रैलियों में भीड़ दिखाने के लिए पड़ोसी राज्यों से ठीकेदारों के जरिए बाहरी लोगो को भी बुलाना पड़ रहा है।

जहां तक बंगाल के प्रदेश की नेताओं की बात है उनके पास कोई ठोस मुद्दा ही नही है जिसके बल से सीएम को घेर सके दूसरे तरफ भाजपा मोदी सरकार के उपलब्धियों को गिनाने में भी असफल है।

Monday, 22 February 2021

क्यों पीएम मोदी बंगाल में हिंदू_मुस्लिम एजेंडा पर बात रखकर बंगाल में धार्मिक जहर घोल रहे हैं

पीएम मोदी बंगाल के चुनाव प्रचार के दौरान कहा की बंगाल में बीजेपी सरकार बनी तो यहां विकास सभी का होगा, इस प्रकार की बात पीएम मोदी ने भाजपा के पुराने हिंदू_मुस्लिम एजेंडा का पिटारा खोलना चाहते है।

https://khabar.ndtv.com/news/india/pm-narendra-modi-says-west-bengals-infrastructure-development-priority-of-my-government-2376103

मोदी जिस विकास की बातो की आड़ में अपने हिंदू मुस्लिम एजेंडा को याद दिलाना चाहा उसी पर उन्होंने देश के विकास की बात करना लगभग बंद कर चुके है।

मोदी की स्तिथि यह हो चुकी है अपने द्वारा विकास की बात तो कर ही नही पाते है और जहां तक बंगाल के विकास की बात करें तो उसका फेरिस्ट लंबा है और उन योजनाओं के जरिए सभी धर्मो के लोगो को योजनाओं का लाभ पहुंचाया है जिसे बंगाल की जनता नकार नही सकते हैं।

Sunday, 21 February 2021

[নির্বাচন কমিশন বাংলার নির্বাচনের জন্য কোনও প্রজ্ঞাপন জারি করেনি, তবে কেন নির্বাচনের আগে কেন্দ্রীয় বাহিনী মোতায়েন করা হচ্ছে

পশ্চিমবঙ্গ বিধানসভা নির্বাচনে কি ব্যাপক হিংসার সম্ভাবনা রয়েছে?  এটি কি রাজ্য সরকারকে চাপ দেওয়ার কৌশল হিসাবে করা হচ্ছে?

 https://theaajkaindia.com/why-125-companies-of-central-forces-are-dep কাজের-in-bengal-before-asorses-eferences/

এই প্রশ্নগুলি জিজ্ঞাসা করা হচ্ছে কারণ পশ্চিমবঙ্গ বিধানসভা নির্বাচনের তারিখ 2021 ঘোষণা করা হয়নি তবে কেন্দ্রীয় সুরক্ষা বাহিনী সেখানে পৌঁছতে চলেছে।

মুখ্য নির্বাচন কমিশনের দাবিতে এটি করা হচ্ছে, এটি স্পষ্ট যে নির্বাচন কমিশন মোদী সরকারের হাতের পুতুল হয়ে গেছে আর মোদী সরকার দেশের গণতান্ত্রিক সংস্থান গুলির উপর দখল নিয়ে ফেলেছেন।

বিজেপি সুরক্ষা বাহিনীর আড়ালে নির্বাচন কমিশনের সহায়তায়, ইভিএম কে নিয়ে অবশ্যই খেলাটি খেলবে এবং তার পরে কৃতিত্ব সুরক্ষা বাহিনীকে দেওয়া হবে।

কিরণ বেদীর নাম "সিএম মাস্টার স্ট্রোক" ব্যর্থ হওয়ার পরে বিজেপি মুখ্যমন্ত্রী মুখ ঘোষণা করতে ভয় পায়ে

আসন্ন বিধানসভার নির্বাচনে বিজেপির বড় দুর্বলতা হলো যে তারা কোনও মুখ কে মুখ্যমন্ত্রী পদের জন্য ঘোষিত করতে পারছেন না যখন কি বিজেপি কিরণ বেদিকে দিল্লির মুখ্যমন্ত্রী হিসাবে ঘোষিত করেছিলন তবে কিরণ বেদীর হারের পর বিজেপি আর সাহস করেন না আগে ভাগে নাম ঘোষিত করতে।

https://www.indiatoday.in/amp/elections/video/bjp-challenges-mamata-to-announce-she-will-contest-only-from-nandigram-1771422-2021-02-21?__twitter_mpression=truer

তবে যে রাজ্যে বিজেপি সরকারে ছিলেন যেমন মহারাষ্ট্র, ছত্তিশগড়, বিহার, এমপি, রাজস্থান, এবং ঝাড়খন্ডের সিটিং মুখ্য মন্ত্রী কে আগে করে নির্বাচনে নেমেছিলেন

এটি টিএমসির ব্যক্তিগত সিদ্ধান্ত যে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় কোন আসন থেকে প্রতিদ্বন্দ্বিতা করবেন, টিএমসির সিদ্ধান্তে বিজেপির হস্তক্ষেপ কি ন্যায়সঙ্গত?  

নরেন্দ্র মোদী যখন তাঁর প্রথম লোকসভা নির্বাচনের দুটি জায়গায় কাগজপত্র জমা দিয়েছিলেন, তখন কোনও দলই এই রকম বোকা চ্যালেঞ্জ ছুড়ে দেননি।

बीजेपी का किरण वेदी के नाम का " सीएम मास्टर स्ट्रोक " फेल होने के बाद तब से सीएम चेहरा घोषित करने से घबराते है

भाजपा कर इस तरह के बयान से पता चलता है कि बीजेपी के पास बंगाल के लिए कोई सीएम चेहरा नहीं है, बीजेपी ने दिल्ली के लिए किरण बेदी को सीएम चेहरा घोषित किय था और वो अपनी सीट जीत नही पाई थी तब से बीजेपी ने नई रणनीति अपनाई थी।

https://www.indiatoday.in/amp/elections/video/bjp-challenges-mamata-to-announce-she-will-contest-only-from-nandigram-1771422-2021-02-21?__twitter_impression=true

लेकिन जिस प्रदेश में भाजपा की सरकार थी जैसे महाराष्ट्र,   छत्तीसगढ़, बिहार, एमपी, राजस्थान, और झारखंड में क्यों सिटिंग सीएम को सीएम फेस मान लिया था। 

यह टीएमसी का निजी फैसला है कि ममता बनर्जी किन किन सीटों से चुनाव लड़ेंगी क्या टीएमसी के फैसले पर बीजेपी का दखलंदाजी उचित है? जब नरेंद्र मोदी अपने पहले लोकसभा चुनाव में दो जगहों से पर्चा भरा था तब किसी पार्टी ने इस प्रकार की फिजूल बात नही किया था।

Friday, 19 February 2021

क्या अमित शाह बाहरी राज्यों के भीड़ और गोदी मीडिया के बल पर बंगाल का चुनाव जीतना चाहते है

प्राप्त सूत्रों से खबर है कि बंगाल चुनाव से पहले भाजपा समर्थक बंगाल छोड़कर घूमने के नियत से प्रदेश छोड़कर जाने वाले है तो फिर भाजपा का क्या होगा।

https://www.facebook.com/393475821165268/posts/1077347112778132/

इसमें कोई संदेह की बात नही है कि बंगाल में राजनीतिक हिंसा पिछले वाम दलों के शासन काल से चला आ रहा है और बंगाल के लोग राजनीतिक रूप से साल भर किसी ना किसी राजनीतिक पार्टी के साथ जुड़ाव बना रहता है।

कुछ समय पूर्व बंगाल के भाजपा नेताओं ने बंगाल के किसी क्षेत्र में रैली का आयोजन किया था और साथ में दस हजार लोगो की समागम का दावा किया था परंतु उक्त रैली में एक हजार लोगो का जमावड़ा हुआ था।

जब पत्रकारों ने उनके दावों की चर्चा बीजेपी से किया तो राज्य स्तर के नेता ने कहा की टीएमसी के डर से लोग रैली में नही आ रहे है, अगर इनके बातों को मान लिया जाए तो यही हाल तो चुनाव के दिन देखा जायेगा।

दूसरी तरफ जब अमित शाह बंगाल के किसी इलाके में रैली करते है तो पड़ोसी राज्यों से बुलाए गए बंपर भीड़ देखने को मिलता है।

Thursday, 18 February 2021

दूसरे राज्यों के भाड़े के भीड़ से अमित शाह बंगाल में रैली तो कर सकते है पर वोट में तब्दील नहीं कर सकते है

हिंदी बोले जाने वाले प्रांतों से अन्य प्रांतीय भाषा वाले राज्य कि राजनीती भिन्न है पर यह बात अमित शाह के दिमाग़ में नहीं घुस रही है ।

हर हफ्ते सरकारी खर्चे पर अमित शाह का बंगाल का दौरा करने पर विशेष लाभ होता नहीं दिख रहा है और दुसरी तरफ चुनाव प्रचार के नाम पर सरकार के खजाने को खाली करना नैतिकता के आधार पर भी गलत है ।

बंगाल में शिक्षा के प्रसार के साथ लोग राजनितिक सचेतन भी है और दुसरी तरफ बंगाल के लोगो के बिच अमित शाह कि पुरानी दागदार छवि बनी हुई है इस कारण अमित शाह को बंगाल के बंगाली समाज उनको गंभीरता से नहीं ले रहे है और दूसरी तरफ बंगाल के ग्रामीण बंगाली समाज इतना चुस्त हिंदी समझने के आदि नहीं है ।

दुर्भाग्य का विषय यह कि पिछले सात वर्षो में केंद्र की भाजपा ने बंगाल के जमीन पर ऐसा कोई धारदार नेता नहीं तैयार कर पाएं है जो प्रखर और तेजस्वी ममता बनर्जी का मुकाबला कर सके।

बीजेपी अपने को बंगाल में पिछड़ते हुए देख रहे है और इसी कारण पीएम मोदी के चेहरे को छिपाने में लगे है और जिसके फलस्वरूप अमित शाह को आगे किया गया है ।

Wednesday, 17 February 2021

मोदी की गगन चुम्बी विफलताओ के कारण मोदी के फैन मोदी से दूरी बनाने में लगे है

जिस तरह से बड़े बेबागी के साथ अनुमा आचार्य जो कभी एयर फोर्स में विंग कमांडर थी अपनी बातों को रखा है उससे इग्नोर करना बीजेपी और अंड भक्तों के अलावा पीएम मोदी और अमित शाह के बस की बात नही है।

https://www.facebook.com/110690743952684/posts/283094003379023/

मजे की बात है कि भूतपूर्व विंग कमांडर किसी समय पीएम मोदी के बड़े  फैन हुआ करती थी और जिसका शुरवती शिक्षा आरएसएस के शिक्षण संस्थान में हुआ था।

इस महिला ने जिस परिपक्वता के साथ अपने संवाद के जरिए अपने बातों को रखा है उससे बीजेपी के नेताओं में एक धनात्मक सोच पैदा करने में कामयाब हुई है। एक बार इस विडियो को जरूर देखे और सुने।

Tuesday, 16 February 2021

भाजपा को अपने राजनीतिक नारा जय श्री राम को बंगाल के चुनाव के पूर्व बचाव करना पड़ रहा है, जय सिया राम कहने से डरते है भाजपा

बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने माँ दुर्गा के खिलाफ अप्रिय बातें कहीं जिस कारण मां दुर्गा पर आस्था रखने वाले और भारत में रह रहे बंगाली समुदाय को भावनात्मक रूप से आहत किया है।

https://www.facebook.com/27682782579/posts/10161373067707580/

गौरतलब है कि पिछले वर्ष दुर्गा पूजा के आयोजन को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अवैध रूप से दुर्गा पूजा को पूरे राज्य में रोकने की कोशिश की थी।

दुर्गा पूजा के प्रति प्रदेश शासन के इस अनादर को लेकर इलाहाबाद के बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन की सचिव की हैसियत से मेरे द इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी।

फैसले की सुनवाई और अदालती आदेश के बाद, योगी सरकार को दुर्गा पूजो को यूपी में आयोजन की अनुमति मजबूरी में देनी  पड़ी थी।

भाजपा का हिंदू देवी देवता के पूजन को लेकर अपना एक अलग नजरिया है, जय श्री राम का नारा बीजेपी को राजनीतिक तौर पर लाभदायक तभी माँ दुर्गा की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है।

Monday, 15 February 2021

दिशा रवि को मोदी पुलिस ने गिरफ्तार करके देश और विदेश में ख्याति देने काम किया है

जब से किसान आंदोलन ने जोर पकड़ा है तब से पीएम मोदी से लेकर मंत्री और मंत्री से लेकर बीजेपी आईटी सेल की सोच नाम स्तर को छूने लगा है और इसी कारण भाजपा के द्वारा लिए गए हर कदम उल्टा पड़ता दिख रहा है।

https://m.youtube.com/watch?v=d4UNt3mqR3Q&feature=share

संघी संप्रदाय के पास उनके तरकश में जितने तीर थे किसान आंदोलन के खिलाफ चला चुके है पर आंदोलन को आखिर अंतर्राष्ट्रीय दर्जा मिल चुका है, हम दो और हमारे दो के लिए जितनी फजीहत मोदी सरकार को करना था वो हो चुका है।

किसान आंदोलन के चर्चा को कुंद करने के लिए मोदी सरकार एक 22 वर्षीय लड़की को भी फर्जी एफआईआर के जरिए जेल में बंद इसलिए बंद करना पड़ा क्यों की वो एक अंतर्राष्ट्रीय टूल के जरिए किसान आंदोलन के लिए विश्व में जनमत तैयार करने में लगी थे पर दिल्ली पुलिस ने इस काम को देश विरोधी समझ कर उसे जेल में भेजने का काम किया है।

कल तक जिस लड़की को देश और दुनिया नही जानते थे उन्हे जेल भेजकर मोदी सरकार ने महामंडित करने का काम किया है।

Sunday, 14 February 2021

भाजपा का बंगाल में बिहार से ज्यादा बुरा हाल होना निश्चित है, सभाओ में भीड़ नदारद है

बंगाल में भाजपा का हाल  बिहार से ज्यादा बुरा होता दिख रहा है, बिहार में तो नितीश कुमार और जिला प्रशासन के सहयोग से किसी तरह से सत्ता हतियाने में सफल हुए थे।

अगर निचे दिए गए वीडिवो को देखे और कहे गए बातों को समझें तो भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के जान सभाओं में भीड़ नहीं जुट रहे है और दूसरी तरफ बीजेपी के राज्य स्तर के नेताओं का जेपी नड्डा से भी ज्यादा बुरा हाल है।

https://www.facebook.com/watch/?v=777557496505564

भाजपा कि इस बुरे हाल कि वजह इस कारण है कि मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने अपने दस साल के कार्यकाल में बंगाल के लोगो के लिए उम्मीद से ज्यादा से काम करके दिखया है ।

भाजपा ने जनसभाओ में भीड़ ना जुटने का ठीकरा तृणमूल पार्टी पर फोडा है, उनका कहना है कि TMC के डर के कारण भीड़ नहीं हो रही है ।

Saturday, 13 February 2021

एमएसपी को कानूनी जमा इसलिए नहीं पहनाया जा रहा है क्यों कि नुकसान हम दो और हमारे दो को होना है

जब तक नरेंद्र मोदी सरकार कृषि बिल और एमएसपी के मामले को लेकर लम्बे समय तक आँख मुंदे बैठे रहेंगे तब तक देश मे किसान आंदोलन कि आग धीरे धीरे देश में  फैल जायगी।

एक बात तो साफ हो चुकी है कि संयुक्त किसान मोर्चा भले ही सभी किसानो को तीन कृषि क़ानून को लेकर ना समझा पाएं हो पर सभी किसानो को एमएसपी के लाभ के बारे में अच्छी तरह से समझा चुके है कि एमएसपी से क्या आर्थिक लाभ होने वाला है।

https://www.facebook.com/NSUIHARYANA01/videos/712853752738575/

कल अगर मोदी सरकार एमएसपी को कानूनी जमा पहना देते है तो कल ही किसान आंदोलन खत्म हो सकता है चाहे कृषि क़ानून रहे या ना रहे।

एमएसपी को कानूनी दर्जा देने पर सरकार को कुछ नुकसान नहीं होना है पर सूट बूट कि सरकार को तो अपने हम दो और हमारे दो कि चिंता ज्यादा है।

Sunday, 7 February 2021

अहंकारी मोदी सरकार चोरी छिपे पारित किए गए कृषि कानून पर पूछते कि कृषि कानून में काला क्या है, सदन में चर्चा से भागना क्यों पडा

कुछ दिन पूर्व देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन में अपने बातों को रखते हुए कहा कि  इस कृषि कानून में काला क्या है, जिस अध्यादेश को लॉक डाउन के समय गुप चुप तरीके से पारित किया गया था और बिना सदन में बहस किए और बिना सदन के सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे इन कानूनों को काला नहीं तो क्या स्वच्छ कहा जाएगा।

https://www.facebook.com/102861874573266/videos/543502829852247/

एक पुरानी कहावत है दाल में कुछ काला और कुछ लोग यह भी कहते है कि पूरी दाल ही काली है, सरकार ने किसान संगठनों से 11 बार वार्ता की पर कृषि मंत्री अपने ही कृषि कानून के उजालेपन या कृषि हित को किसानों को समझाने में विफल रहे।

अगर पीएम मोदी यह समझते है उनके द्वारा बनाए गए तीनो कृषि कानून परफेक्ट है तब अनेक संशोधन की बात क्यों कहा और क्यों इन कानूनों को दो सालों के लिए स्थगित करने की बात कही, जब की यह प्रस्ताव भी संविधान के विरोध में है किसी कानून पर नोटिफिकेशन के बाद किसी कानून को स्थगित नहीं रखा जा सकता है।

देश के लोगो ने भाजपा को भरपूर वोट देकर एक सरकार को अहंकारी और तानाशाही बनाने में मदद किया है।

Friday, 5 February 2021

आरएसएस प्रधान मोहन भागवत किसान आंदोलन पर इतनी लंबी चुप्पी क्यों साधे हुए है

देश की जनता यह कहना शुरू कर दिया है कि पीएम मोदी अदानी और अंबानी की चाटुकारिता के कारण पूरे देश और विदेश में नंगे हो चुके है।

क्या यह दृश्य आरएसएस के पितामह मोहन भागवत को नही दिख रहा है या भाजपा उनके बातों को आजकल उतना भाव नहीं दे रहे है।

https://khabar.ndtv.com/news/india/repeal-fir-restore-internet-service-government-should-make-positive-environment-for-talks-farm-unions-2362927

इस बात पर शोध होनी चाहिए कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जो हर विषय पर अपनी प्रतिक्रिया देने से पीछे नहीं हटते है तो किसान आंदोलन को लेकर देश के लोगो के सामने अपनी बातों को रखने में साहस क्यों दिखा रहे है।

क्या आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को मोदी सरकार के द्वारा दिए गए जेड+ सुरक्षा को खोने का डर सता रहा कि किसानों के पक्ष में बात करने पर उनकी सुरक्षा जा सकती है।

Thursday, 4 February 2021

मानवाधिकार का हनन किसी भी देश का आंतरिक मामला नही हो सकता है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसान आंदोलन को सपोर्ट करना कोई दोष नही

पीएम मोदी और उनके मंत्रिमंडल ने अपने सपने में भी नही सोचा होगा कि किसान आंदोलन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक विकराल रूप धारण कर सकता है।

अब तो अनेक विदेशी हस्तियां मोदी सरकार के मानवाधिकार हनन को लेकर अपने विचार ट्वीटर के जरिए रखना शुरू किया है और हो ना हो कल मानवाधिकार के हनन को लेकर दूसरे देश इस संदर्भ में विरोध शुरु कर दें।

जहां तक मानवाधिकार के हनन की बात है तो मोदी सरकार को याद होना चाहिए कि विश्व में एक संस्थान है जिसे International Human Rights Commission के नाम से जाना जाता है और इस संस्था का मूल उद्देश है कि किसी भी देश में मानवाधिकार के हनन होने पर उस देश के विरुद्ध सवाल जवाब शुरू हो जाता है।

जिस प्रकार भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में किसानों के लोकतांत्रिक अधिकार को कुचलने का षड्यंत्र पीएम मोदी और उनकी पुलिस द्वारा किया जा रहा है उसकी कड़ी आलोचना विश्व स्तर में अगर हो रही है तो भारत सरकार और बीजेपी के समर्थको को यह नही कहना चाहिए कि मानवाधिकार के हनन देश का आंतरिक मामला है।