Wednesday, 13 October 2021

प्रयागराज के जिलाधिकारी के खिलाफ मूर्ति विसर्जन के मामले को लेकर उच्च न्यायालय में होगी अवमानना याचिका दाखिल

प्रयागराज के जिला प्रशासन ने मूर्ति विसर्जन को लेकर भले ही उच्च न्यायालय के उस आदेश पर हावी हो गए है जिसमे माननीय उच्च न्यायालय ने मूर्ति विसर्जन को  न्यायालय ने 2015 के स्थाई आदेश के आधार पर कृत्रिम तलाव में मूर्ति विसर्जन की बात कह चुके है।

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यह दूरभाग्यपूर्ण विषय है की एक जिलाधिकारी हाई कोर्ट के आदेश को कूड़ेदान में फेंकने का साहस दिखा रहा है जिससे पता चल रहा है प्रदेश शासन का उच्च न्यायालय के आदेश का कोई सम्मान नहीं है।

चिंता का विषय यह भी है कि प्रयागराज के जिला प्रशासन ने नवमी के दिन भी मूर्ति विसर्जन स्थल का खुलासा अपने प्रेस विज्ञप्ति तक जारी नही किया है।

बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव डाo पी के राय ने प्रेस को अवगत कराया है कि संस्था के अधिवक्ता श्री विजय चंद्र श्रीवास्तव और सुनीता शर्मा ने प्रयागराज जिलाधिकारी के खिलाफ एक अवमानना याचिका तैयार कर चुके है जिसे पी.के.राय और समाजसेवी योगेंद्र कुमार पांडे की तरफ से आगामी सोमवार को दाखिल किया जायेगा।

Sunday, 10 October 2021

अगर प्रयागराज प्रशासन ने हाई कोर्ट के विसर्जन के आदेशों का उलंघन किया तो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश चंद्रचूड़ के संज्ञान में लाया जाएगा

गौरतलब है कि हाल में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज के जिलाधिकारी को मूर्ति विसर्जन के लिए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डाo डी वाई चंद्रचूड़ ने  2014 और 2015 के आदेश में कृत्रिम तलाव बनाकर मूर्ति विसर्जन का आदेश पारित किया था और कृत्रिम तलाव में 2014 से 2018 तक लगभग पांच वर्षो तक विसर्जन चलता रहा।

समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और अधिवक्ता श्री विजय चंद्र श्रीवास्तव एवम सुनीता शर्मा ने कहा कि अगर जिला प्रशासन हटधर्मिता के कारण हाल में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर अनदेखा और अवहेलना करते तो पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग न्यायाधीश डाo डी वाई चंद्रचूड़ के संज्ञान में लाया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी वर्तमान जिलाधिकारी पर होगी।

Friday, 1 October 2021

मोदी सरकार आखिर में किसान के आंदोलन के खिलाफ न्यायपालिका को मैनेज कर लिया है

मोदी सरकार आखिर में उच्चतम न्यायालय को किसान के खिलाफ मैनेज कर लिया है तभी तो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश किसानों के आंदोलन में खामी ढूढना शुरू किया है।अब यह जानना जरूरी किसान के किसान खिलाफ बोलने के लिए मोदी सरकार के साथ न्यायाधीश का क्या डील हुआ है।

दुर्भाग्य की बात यह है की न्यापालिका 2014 से 2021 अपने अस्तित्व को मिट्टी में मिला चुका है जितने भी सरकार विरोधी मुकदमे उच्चतम न्यायालय में दबाने में लगे है चाहे धारा 370 को हटाने का मामला हो या एनआरसी का मामला हो सब को ठंडे बस्ते में डालने की सुपाड़ी मोदी सरकार दिए हुए है।

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पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई को राफेल डील में कोई भ्रष्टाचार नही दिखा और बाबरी मस्जिद मामले में मुस्लिम को हकदार नहीं माना और यह सब भाजपा के डील का हिस्सा था।