[ कोलकाता हाई कोर्ट के आदेशों से साफ हो चुका है कि मोदी सरकार की बंगाल में धारा 356 लागू करवाने की मंसा पर पानी फिर चुका है ]
बंगाल में चुनाव के बाद तथाकथित हिंसा को लेकर उच्चतम न्यायालय और कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई भले हो रही है पर दोनो अदालते किसी दबाव में आकर चुनाव पूर्व बंगाल के बीजेपी नेताओं के अनेक उत्तेजना और उसकाने वाली भाषणों जिसमे सत्ता में आने के बाद टीएमसी के नेताओं को जान से मारने की धमकी वाली बातों को नजरंदाज किया है।
https://www.jagran.com/west-bengal/kolkata-order-of-calcutta-high-court-police-should-register-all-cases-of-violence-after-elections-in-bengal-victims-get-ration-21792023.html
कोलकाता हाई कोर्ट ने जिस प्रकार के आदेश पारित किए है वे सब मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा हुआ है और इस प्रकार के आदेश अपेक्षित है पर जिस मंसा के साथ बीजेपी और मोदी सरकार ने इस प्रकार के याचिका दायर किया था उसका उद्देश्य था धारा 356 लगाकर एक चुनी हुई सरकार को गिराकर प्रदेश को केंद्र के अधीन लाना था।
गौर करने वाली बात यह है कि जिन हिंसा के घटनाओं को लेकर मामले दायर किए गये है वे सभी घटनाएं चुनाव आयोग के आचार संहिता लागू के दौरान हुआ था जिसकी जवाबदेही चुनाव आयोग की है।
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