केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजनों को 4 लाख का मुआवजा देने से इंकार कर दिया है। सरकार ने ये इंकार सुप्रीम कोर्ट में दिए एक हलफनामे में किया है। सरकार का कहना है कि करोना की वजह से सरकार आर्थिक दबाव में है। स्वास्थ्य व्यवस्था पर सरकार को बहुत पैसा खर्च करना पड़ रहा है, वहीं टैक्स वसूली भी बहुत कम हो गई है।
20 हजार करोड़ रुपये सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर खर्च के लिए सरकार पर पैसे हैं? कॉरपोरेटस के लाखों करोड़ माफ करने के लिए सरकार पर कोई आर्थिक दबाव नहीं पड़ता? सरकार ने पेट्रोल-डीजल से इतना पैसा कमा लिया है, जितना उसने अन्य टैक्सों से नहीं कमाया।
मतलब यह है कि पेट्रोल-डीजल ही सरकार के लिए कामधेनु गाय बने हुए हैं। वैसे कोरोनो के लिए 20 लाख करोड़ का पीएम केयर्स फंड किस काम आ रहा है? उस पर क्यों कुंडली मार कर बैठे हैं? क्यों उसे आरटीआई के दायरे से बाहर कर दिया है? क्यों उसका आडिट नहीं हो सकता? कुछ तो है जिसकी पर्देदारी है। परदा कभी तो उठेगा?
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