यह अति दुर्भाग्य का विषय है कि संविधान की शपथ लेने के बाद भी बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ संविधान विरोधी काम में लिप्त पाए गए। संविधान आधारित प्रोटोकॉल का उलंघन करना भी संविधान का विरोध ही है।
शीतलकूची या कुचबिहार में हिंसक घटना को बीते अनेक समय बीत जाने के बाद उनका उन हिंसक घटना वाले स्थानों पर जाने के पीछे राजनीति को समझना जरूरी है।
बंगाल के चुनाव में बीजेपी अपने भारी असफलता को अभी तक पचा नहीं पा रहे है तभी आइन श्रृंखला को मुद्दा बनाकर बीजेपी राष्ट्रपति शासन लगाने की फिराक में है ताकि पिछले दरवाजे से बंगाल पर कब्जा किया जा सके।
जब राजनीतिक हिंसा को लेकर एक मामला कोलकाता हाई कोर्ट में लंबित है तब राज्यपाल हाई कोर्ट को दरकिनार करते हुए नॉर्थ बंगाल जाना बीजेपी के गंदे राजनीति को उजागर करता है।
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