Saturday, 28 July 2018

मुख्य चुनाव आयुक्त नही करा सकते है पुरे देश मे वीवीपैट से चुनाव, आयोग ने दिया उच्चतम न्यालय को धोखा पर मोगैम्बो खुश हुआ

यह कहना गलत न होगा कि जब से मोदी सरकार का गठन हुआ है तब से दिन प्रति दिन मुख्य चुनाव आयोग अपनी Credibility को खत्म करती जा रही है, भले ही आयोग को एक Autonomous body का दर्जा मिला हुआ पर न जाने क्यों वे केन्द्र सरकार के ताल पर नाचने पर मजबूर दिख रहे है I

बात गौर करने लायक है कि पिछले चार वर्षो मे मुख्य चुनाव आयोग ने Electoral Reforms के नाम पर एक भी उपल्बधी नही दिखा पाये है, बल्कि पिछले चार सालो मे जो भी मुख्य चुनाव आयुक्त 2014 के बाद पद भार सम्भाला है वे सभी ईवीएम को लेकर उलझ कर रह गये है I

https://indianexpress.com/article/india/vvpat-delivery-way-behind-schedule-advancing-lok-sabha-polls-not-so-easy-5274484/lite/

जब बात ईवीएम की चल ही गई है तो यह याद दिलाना महुत्वपूर्ण है कि ईवीएम को लेकर उच्चतम न्यालय मे सुनवाई के दौरान माननिय न्यालय ने आयोग को अगले लोक सभा चुनाव मे ईवीएम का साथ वीवीपैट मशिन लगाकर चुनाव करने का आदेश पारित कर चुकें है I

मुख्य चुनाव आयुक्त ने 24 April 2017 अपने दाखिल हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट को यह वादा (Promise ) किया था कि लोकसभा चुनाव के लिये 2018 के सितम्बर माह तक दो Public Sector Unit, BEL और ECIL 16 लाख 35 हजार वीवीपैट मशिनो का उत्पादन करके आयोग के सुपूर्द कर देंगे और इस बात को ध्यान मे रखकर दोनो संस्थानो को 16 लाख 15 हजार वीवीपैट के ऑर्डर भी दी जा चुकी है I

देश के मशहूर मीडिया हाउस, The Indian Express ने एक आर.टी.आई के तहत आयोग से जानकारी लेनी चाही कि अब तक कितने उत्पादित वीवीपैट को हैण्ड ओवर किया गया है, इसके जवाब आयोग ने जानकारी दी कि उक्त ऑर्डर के 14 महिने के बीत जाने के बाद केवल 3.48 लाख वीवीपैट (23 प्रतिशत) जून के माह तक उन्हे प्राप्त हो सका है I

अगर अंक गणित के ऐकिक नियम का पालन किया जाये तो 23% वीवीपैट के निर्माण मे 14 महिने लगे तो 100% को प्राप्त करने के लिये आयोग को 5 सालो से ज्यादा समय तक इन्तजार करना पडेगा I

इन आंकडो को ध्यान मे रखते हुए देश के सभी विपक्ष दलो को चाहिये कि मुख्य चुनाव आयोग/ आयुक्त पर दबाव इस बात पर बनाये कि जहां भी वीवीपैट लागाने मे सक्षम न हो तो ऐसे Constituencies मे संदेह युक्त ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराई जाये ताकि चुनाव मे ईवीएम को लेकर कोई धांधली न हो सके I

Thursday, 26 July 2018

राहुल गान्धी प्रधान मन्त्री पद के दावेदारी से पिछे हटे, इसे कह्ते है कि मोदी के नहले पर राहुल का दहला

एक बात ध्यान देने योग्य है कि जब से राहुल गान्धी ने कांग्रेस की बागडोर एक अध्यक्ष रुप से सम्भाला है तब से उनकी राजनितिक सोच मे अमूल-चूल परिवर्तन देखने को मिला है जिसे गुजरात के चुनाव और बाद मे कर्नाटक के चुनाव के परिणामो से आंका जा सकता है I

मोदी जी को सदन मे प्यार की झप्पी देना तो लग-भग सभी देश वासीयों को अवाक ही कर दिया है, भले ही मोदी जी इस झप्पी की झेंप मिटाते दिखे पर तब तक देश मे राहुल गान्धी के लिये सकारात्मक सिग्नल चला ही गया है I

https://khabar.ndtv.com/news/india/rahul-gandhi-pm-candidate-2019-lok-sabha-election-tmc-congress-lok-sabha-election-2019-pm-modi-bjp-1889569?type=news&id=1889569&category=india

बहुत दिनो से भाजपा और उनकी गोदी मीडिया राहुल गान्धी के उस प्रयास का मजाक उडाते दिखे जिसमे उन्होने सभी विपक्ष दलो को एक साथ लेकर चलने का प्रयास करते पाये गये, जब कि मोदी जी ने विपक्ष दलो के एक सुत्र मे आने को दल-दल की संज्ञा दे डाली, यह उनका फ्रस्ट्रेशन भी कहा जा सकता है जब कि भाजपा और गोदी मिडिया ने एक भ्रामक प्रचार इस बात से शुरु की कि कौन बनेगा प्रधान मंत्री I

भाजपा के इस मिथ्या प्रचार को कांग्रेस के अध्यक्ष ने फ्रंट फुट मे खेलते हुए अपने नाम को प्रधान मन्त्री पद के लिये CWC के बैठक मे घोषित करवा दिया, जैसे ही राहुल का नाम प्रचार मे आया तो भाजपा की पेट की ऐंठन बढ गई, अब भाजपा कांग्रेस के सहयोगी पार्टी को आपस मे लडाने के जैसे ठान ली हो I

इस घटना के बाद राहुल की अगुवाई वाली कांग्रेस ने अपना पैतरा बदले हुए अपनी रणनीति को थर्ड गेयर मे डालते हुए धिरे से राहुल गान्धी का नाम प्रधान मन्त्री पद से हटा लिया और साथ मे सुश्री ममता बनर्जी वो सुश्री मायावाती के नामो को प्रधान मत्री पदों के लिये आगे रख दिया I

इसे कहते है मोदी के नहले पर राहुल का दहला, मोदी जी का राहुल और उनके पूर्व पुरुषों एंव वंशवाद को लेकर आये दिन हंगामा खडे करने वाली बात पर पूर्ण विराम लग गया है और इसके बावजूद भी इस संदर्भ मे मोदी जी कोई बात रखते हों तो लोग कहेंगे कि बुढ्ढा सठिया गया है I