यह कहना गलत न होगा कि जब से मोदी सरकार का गठन हुआ है तब से दिन प्रति दिन मुख्य चुनाव आयोग अपनी Credibility को खत्म करती जा रही है, भले ही आयोग को एक Autonomous body का दर्जा मिला हुआ पर न जाने क्यों वे केन्द्र सरकार के ताल पर नाचने पर मजबूर दिख रहे है I
बात गौर करने लायक है कि पिछले चार वर्षो मे मुख्य चुनाव आयोग ने Electoral Reforms के नाम पर एक भी उपल्बधी नही दिखा पाये है, बल्कि पिछले चार सालो मे जो भी मुख्य चुनाव आयुक्त 2014 के बाद पद भार सम्भाला है वे सभी ईवीएम को लेकर उलझ कर रह गये है I
https://indianexpress.com/article/india/vvpat-delivery-way-behind-schedule-advancing-lok-sabha-polls-not-so-easy-5274484/lite/
जब बात ईवीएम की चल ही गई है तो यह याद दिलाना महुत्वपूर्ण है कि ईवीएम को लेकर उच्चतम न्यालय मे सुनवाई के दौरान माननिय न्यालय ने आयोग को अगले लोक सभा चुनाव मे ईवीएम का साथ वीवीपैट मशिन लगाकर चुनाव करने का आदेश पारित कर चुकें है I
मुख्य चुनाव आयुक्त ने 24 April 2017 अपने दाखिल हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट को यह वादा (Promise ) किया था कि लोकसभा चुनाव के लिये 2018 के सितम्बर माह तक दो Public Sector Unit, BEL और ECIL 16 लाख 35 हजार वीवीपैट मशिनो का उत्पादन करके आयोग के सुपूर्द कर देंगे और इस बात को ध्यान मे रखकर दोनो संस्थानो को 16 लाख 15 हजार वीवीपैट के ऑर्डर भी दी जा चुकी है I
देश के मशहूर मीडिया हाउस, The Indian Express ने एक आर.टी.आई के तहत आयोग से जानकारी लेनी चाही कि अब तक कितने उत्पादित वीवीपैट को हैण्ड ओवर किया गया है, इसके जवाब आयोग ने जानकारी दी कि उक्त ऑर्डर के 14 महिने के बीत जाने के बाद केवल 3.48 लाख वीवीपैट (23 प्रतिशत) जून के माह तक उन्हे प्राप्त हो सका है I
अगर अंक गणित के ऐकिक नियम का पालन किया जाये तो 23% वीवीपैट के निर्माण मे 14 महिने लगे तो 100% को प्राप्त करने के लिये आयोग को 5 सालो से ज्यादा समय तक इन्तजार करना पडेगा I
इन आंकडो को ध्यान मे रखते हुए देश के सभी विपक्ष दलो को चाहिये कि मुख्य चुनाव आयोग/ आयुक्त पर दबाव इस बात पर बनाये कि जहां भी वीवीपैट लागाने मे सक्षम न हो तो ऐसे Constituencies मे संदेह युक्त ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराई जाये ताकि चुनाव मे ईवीएम को लेकर कोई धांधली न हो सके I