Wednesday, 15 March 2017

चुनाव आयोग की मुहिम “Go slow on VVPAT” - सरकार और आयोग के बीच की सांठ गांठ तो नही?


पुरे देश और सोशल मीडिया मे एक लम्बी ह्लचल EVM को लेकर चल रहा है, लेकिन एक खास बात देखने को मिल रही है की भाजपा और मोदी जी ने अभी तक एक भी प्रतिक्रिया मीडिया पर इस बिषय पर न तो पढने को मिला और न ही सुन्ने को मिला, क्या उनका यह आचरण किसी गम्भीर Conspiracy के तरफ ईशारा तो नही?

जिस प्रकार देश के चुनाव आयोग EVM के Tampering की बात को सिरे से नकार रहे है उससे तो लोगो के मन मे और संदेह बढता जा राहा है, किसी बात पर चुनाव आयोग पर कोइ गम्भीर आरोप EVM को लेकर लगे तो उन्हे एक टिम का गठन कर के पुरे मामले को गम्भीरता से जांच करवानी चाहीये ताकी दुध का दुध और पानी का पानी अलग हो सके I

पिछले सन 2012 -13 से EVM के Transparency को लेकर एक याचिका Supreme Court मे लम्बित है जिसे Dr. Subramanium Swami जी ने दाखिल किया था जब वो भाजपा मे नही थे, शरुवाती दौर से ही EC अपने EVM को लेकर बचाव मे दिखीं और अपनी बात को पुक्ता करने के लिये स्वगठित Expert team की एक रिपोर्ट EVM के सन्दर्भ मे उच्चतम न्यालय मे पेश किया I

अगर Supreme Court मे चले चुके बहस को ध्यान से पढे जो कि Google मे उपल्ब्ध है तो बात साफ है कि SC ने भी EVM के Transparency को नकार दिया और शायद इसी कारण SC ने VVPAT के सुझाव को मान लिया और VVPAT को लागु करने के आदेश जारि किय, जो अभी तक आयोग ने 10% भी पुरा नही किया है I

परन्तु EC के द्वरा जिस ढंग से VVPAT मामले पर चिंटी के गति से चल रहें उससे तो एक बात साफ है कि VVPAT का प्रयोग अगले 10-15 साल मे भी पुरा न होगा, चुनाव आयोग की मुहिम “Go slow on VVPAT” से तो यही लगता है कि कहीं न कहीं सरकार और आयोग के बीच कोइ सांठ गांठ तो नही और इसी धिमि गति का लाभ ले कर वर्तमान सरकार EVM को एक प्रयोगशाला बना रही है I

http://www.thehindu.com/news/national/election-commission-should-dispel-doubts-on-evm-tampering/article17465899.ece?homepage=true



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