Tuesday, 13 March 2018

मुख्य चुनाव आयोग ने आप एमएमएल की सदस्यता रद्द वाले मामले मे दिल्ली उच्च न्यालय द्वारा उठाये गये नेचूरल जस्टिस की बात को दर किनार किया


दिल्ली उच्च न्यालय मे आम आदमी पार्टी के एम.एल.ए की सदस्यता खत्म करने वाले मामले पर मुख्य चुनाव आयोग द्वरा राष्ट्रपति को भेजे गये Recommendation के खिलाफ आप एमएलए ने एक याचिका दायर की थी, जिसकी पहली सुनवाई हो चुकी है I

उल्लेखनिय है कि इस याचिका की पहली सुनवाई के दौरान दिल्ली के उच्च न्यालय ने न केवल मुख्य चुनाव आयोग को 21 एमएलए की सदस्यता रद्द होने के बाद नये चुनाव के Notification जारि करने पर प्रतिबन्ध लागाया आपितू माननीय कोर्ट ने यह भी कह डाला कि जो भी फैसला आयोग ने लिया है वह Natural justice के विरुद्द है और इसी बात को लेकर कोर्ट ने इस संदर्भ मे चुनाव आयोग को फिर से विवेचना करने का मौका दिया I

हाल मे चुनाव आयोग ने उच्च न्यालय की भावनाओं को दरकिनार करते हुए एक लिखित बयान दाखिल किया, जिसमे आयोग ने अपनी दबंगई दिखाते हुए यह लिख डाला कि आयोग बाध्य नही है कि आप एमएलए की बातो को सुने, इससे यह पता चल रहा है कि आयोग देश के कानून के उपर बैठा हुआ है I

http://www.jantakareporter.com/india/not-bound-call-aap-mlas-oral-hearing-ec-high-court/171645/

देश का कानून बडे से बडे कातिल या घोर आतंकवादी को सजा सुनाने से पहले मौका देती है कि वो अपने बचाव मे अपनी बात को रखे पर आयोग ने अपनी दबंगई को बनाये रखने के लिये कोर्ट के सामने झूठी बातो का सहारा लेते हुए यह कह दिया कि आप एमएलए को कई बार अपनी बातो के रखने के लिये मौका दिया जा चुका है, जब की आप के एमएलए ने इनकी झूठी बातो को शुरु मे ही नकार दिया है I

बात साफ है कि मुख्य चुनाव आयोग की दबंगई के पिछे भाजपा और मोदी सरकार का खुला हाथ है, नही तो आयोग की इतनी हिम्मत न होती की वे दिल्ली उच्च न्यालय के भावनाओं से खेल सके, जिसमे उच्च न्यालय ने Natural justice की बात रखे थे, दुसरी तरफ आयोग जानबूझ कर अपने जावाब मे Natural justice के विषय पर कोई गम्भीर प्रतिक्रिया नही दी I यह बात सभी समझने लगे है कि मुख्य चानाव आयोग भी पिंजरे का तोता बन चुकी है और इसी कारण चुनाव के परिणाम प्रभावित होने लगी है I

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