अयोध्या राम मंदिर के निर्माण मोदी सरकार के किसी कानून या अध्यादेश के जरिए नही हुआ है बल्कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार हो रहा है, बल्कि माननीय कोर्ट ने जिस याचिका पर अपनी राय रखे है उस याचिका में ना तो मोदी सरकार और ना ही बीजेपी के किसी मंत्री ने इस मुकदमे को शुरू से लड़ने का काम किया था।
2024 के लोकसभा के चुनाव को ध्यान में रखकर देश के गृह मंत्री अमित शाह ने मंदिर निर्माण को लेकर बयान बाजी शुरू कर चुके है जब की इस मंदिर निर्माण में मोदी सरकार की उतनी ही भूमिका है जो उच्चतम न्यायालय ने तय किया हुआ है।
अमित शाह का मंदिर निर्माण को लेकर इस प्रकार की बयानबाजी करना अनुचित है उसकी वजह यह है मंदिर निर्माण को लेकर माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार एक बोर्ड का गठन किया गया है जिसकी निगरानी में मंदिर निर्माण का काम शुरुवात किया गया है, पीएम मोदी के द्वारा शिलान्यास किए जाने पर यह साबित नही होता राम मंदिर मोदी सरकार या भाजपा की कोई निजी सपत्ति है।
मंदिर निर्माण कब तक पूरी होगी और कब मंदिर का उद्घाटन होना है उसे मोदी सरकार तय नहीं कर सकते है बल्कि न्यास के महंत और बोर्ड के सदस्यों द्वारा बैठक करके शुभ काल को ध्यान में रखकर किया जाना है
जिस प्रकार से मोदी सरकार के मंत्री और भाजपा मंदिर निर्माण को लेकर माहौल बनाना चाहते है उससे देश के लोगो के सामने यह जताना चाहते मंदिर निर्माण में मोदी सरकार की मुख्य भूमिका जब कि मंदिर निर्माण में अहम भूमिका माननीय उच्चतम न्यायालय की रही, भाजपा अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए राम मंदिर निर्माण की कुल क्रेडिट खुद लेने पर उतारू है।
यह जानना जरूरी है क्या राम मंदिर के निर्माण के कारण देश की अहम मुद्दे जैसे महंगाई, बेरोजगारी, महिलाओं पर बलात्कार की घटना, हिंदू मुस्लिम एजेंडा और भगवा रंग पर राजनीति खत्म हो जाएगी अगर ऐसा होता है तो बीजेपी को साधुवाद देना जरूरी हो जाता है।