बाबा राम रहीम के दोहरे बलत्कार वाले मामले मे जिस तरह से सीबीआई कोर्ट ने जोरदार तरीके के साथ अपना फैसला सुनाया एक बार फिर से देश के न्यालय पर लोगो की विश्वास बड़ गया है, भले ही इस फैसले से भाजपा के नेताओं और उनके भक्तो को सांप सुंघ गया हो पर उन्हे ऐसा लागने लगा जैसे उनके घर के दामाद या जीजा के खिलाफ सजा सुनवाइ गई हो I
ट्रायल कोर्ट का यह फैसला भले ही एक नजिर के रुप मे आया हो पर हमारे देश के कानून के अनूसार इस फैसले को आखरि फैसला समझा नही जा सकता है, चूंकि सजायाफता मुजरिम एक हाई प्रोफाइल बाबा है और उसकी पकड और धमक मौजूदा भाजपा की केन्द्र और हरियाणा सरकार पर है तो यह भी मान लिया जाना चाहिये कि बाबा राम रहीम का जेल मे प्रवास के दौरान उनकी हर सुख सुविधा की जिम्मेदारी न चाहते हुये दोनो सरकारें करते नजर आयेंगे I
देश के न्यूज चैनेल्स और अन्य मीडिया भले ही इस समय बाबा राम रहीम के खिलाफ ढोल ताशे के साथ भिन्न कहानीयो के साथ जबरदस्त विरोध दर्ज कर रहे हो पर जिस दिन डेरा सच्चा सौदा की तरफ से ज्यादा चिल्ल पौंव करने वाले न्यूज चैनेल्स के आफिस मे बोरा भर कर माल पहुंच जायेगा उस दिन से मीडिया सन्नाटा खिंच लेगी I
जिस दिन इस प्रकार का सन्नाटा मीडिया मे व्यप्त होगा शायद वही अच्छा समय बाबा राम रहीम के लिये होगा कि वे अपना जमानत की अर्जी पंजाब और हरियाणा उच्च न्यालय मे दाखिल कर अपना चुपके से बेल करवा ले और एक बार उनका बेल मंजुर किसी भी उपरी न्यालय से हो जाये तो समझले कि इस ट्रायल कोर्ट के फैसले का राम नाम सत्य हो जायेगा I
यह सोचना बडी बैमानी होगी कि बाबा राम रहीम के जमानत के बाद पंजाब और हरियाणा उच्च न्यालय तीन तलाक के मुकदमे की रोज सुनवाई के तरह नही सुनने वाली है और उक्त न्यालय के पास वैसे भी हजारो पुराने केस पेडिंग पडे हुये है और बाबा राम रहीम वाले मामले का फैसला आते-आते दस-पंद्रह साल मजे से गुजर जायेंगे I
यह मान लिया जाये कि बाबा राम रहीम की कुल कानूनी लडाई केवल जमानत तक सिमित होगी और जब मोदी सरकार और खट्टर सरकार का सिद्द हस्त बाबा के उपर रहेगा तो यह समझ लिया जाये कि बेल को कडा विरोध सरकारी वकील के तरफ नही होगा, क्यों कि भाजपा को बाबा के सहारे दोबारा हरियाणा का चुनाव जीतना जो है I
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